आइंस्टाइन से पहले हर कोई ग्रेविटेशनल फोर्स यानि गुरुत्वाकर्षण बल को एक ऐसा फोर्स समझता था जिसकी वजह से आसमान में फेंकी गई हर वस्तु वापिस नीचे ही गिरती है, धीरे-धीरे हमारी समझ विकसित हुई और हमने जाना कि समुचे ब्रह्मांड का आधार यही फोर्स है जिसकी मदद से दो चीज़े आपस में एकदूसरे से जुड़ी रहती हैं। सूर्य जैसे भारी तारे अपने ताकतवर ग्रेविटेशनल फोर्स की मदद से पूरे सौरमंडल को बांधे रखते हैं, वहीं ग्रेविटी (Why Gravity Is Always Attractive) के कारण ही हम भी पृथ्वी की सतह पर आसानी से चिपके रहते हैं इसी की मदद से स्पेस औऱ टाइम भी चलता है और पूरा ब्रह्मांड नियत्रित रहता है।
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क्या है ग्रेविटी?
आइंस्टीन की जनरल थ्योरी आफ रिलेटिविटी की मानें तो अगर किसी इंसान के पास पूरे ब्रह्मांड की ग्रेविटी कंट्रोल करने की शक्ति आ जाए तो एक तरह से वह भगवान बन जाएगा, वह जहां चाहे जा सकता है, जिस समय में भी आना जाना चाहे जा सकता है, भूत और भविष्य में भी यात्रा कर सकता है, किसी भी तारे और ग्रह को प्रकाश से भी तेज स्पीड में कहीं भी फिक्स कर सकता है, वास्तव में ग्रेविटी की मदद से वह हर टाइप की सभ्यता से भी ज्यादा ताकतवर बन सकता है। पर ये कैसे होता है और किस तरह गुरुत्वाकर्ष बल काम करता है आइये जानते हैं।
खैर गुरुत्वाकर्षण सीधे सीधे दो वस्तुओं के मास से जुड़ा हुआ है… और Newton’s Third law of motion के हिसाब से एक वस्तु जितनी ग्रेविटेशनल फोर्स दूसरे पर लगाती है दूसरी वस्तु भी उतना ही ग्रेविटेशनल फोर्स पहली वस्तु पर लगाती है। एक सेकंड.. इसका मतलब गिरती हुई बॉल भी पृथ्वी को उतने ही फोर्स से खींचती है जितना कि पृथ्वी उसे अपनी ओर खींच रही है!
जी हां! ऐसा ही होता है। लेकिन फिर भी आपको बॉल पृथ्वी पर गिरती दिखाई देगी, पृथ्वी बॉल पर गिरती हुई, नहीं! तो ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बॉल की तुलना में पृथ्वी का Mass (द्रव्यमान) बहुत बहुत ज्यादा है और Newton’s के दूसरे नियम के अनुसार इस कारण से पृथ्वी की स्पीड बहुत बहुत कम हो जाती है और हमें लगता है सारी वस्तुएं पृथ्वी पर ही गिरती हैं। इस फोर्स की इसी खुबी के कारण ही हम अपने स्पेस मिशन कर पाते हैं और इसी की वजह से भारत ने चंद्रयान और मंगलयान मिशन किये हैं।
ग्रेविटी हमेशा खिंचाव ही क्यों उत्पन्न करती है?
हम बात कर रहे थे कैसे ग्रेविटी की मदद से पृत्वी और गेंद एक दूसरे को खींचते हैं पर बहुत ज्यादा मास होने के कारण वाल हमेशा ही नीचे गिरती है, ग्रेविटी की इन्हीं प्रोपटीज को देखकर कई साल पहले एक सवाल वैज्ञानिकों के मन में उठा कि आखिर “ग्रेविटी हमेशा खिंचाव ही क्यों उत्पन्न करती है? Why Gravity Is Always Attractive?
तो इसे समझने के लिए हमें ग्रेविटेशनल फोर्स की तुलना किसी दूसरे ताकतवर फोर्स से करनी पड़ेगी, अगर आप ग्रेविटेशनल फोर्स और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फोर्स (Electromagnetic Force) की इ्क्वेशन देखें तो आप पायेंगे कि ये दोनों काफी मिलती-जुलती हैं। दोनों ही इक्केशन फोर्स की गणना करने के लिए इस्तेमाल होती हैं, जिस तरह ग्रेविटेशनल फोर्स के फार्मूले में बड़ा M और छोटा m पहली और दूसरे औबजेक्ट का मास है, तो r उनके बीच की दूरी है और G एक Constant number है।
इनकी वेल्यु हमें पता हो तो हम आसानी से दोनों औजेक्ट के बीच में लगने वाले ग्रेविटेशनल फोर्स को निकाल सकते हैं, टीक इसी तरह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फोर्स के फार्मूले को देखें तो यहां Q और q उन दोनों पार्टिकल्स का चार्ज है जिनके बीच लगने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फोर्स हमें निकालनी है और r उनके बीच की दूरी है और k भी एक constant number है।
अब जहां एक तरफ इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फोर्स खिंचाव के साथ-साथ दोनों पार्टिकल्स को ढकेल भी सकती है वहीं दूसरी तरफ ग्रेविटी हमेशा खिंचाव पैदा करने के लिए जानी जाती है। ये कभी भी दोनों औबजेक्ट को ढकेल नहीं सकती है, तो इसके पीछे का जो कारण है वो ये है कि इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फोर्स में दो तरह के चार्ज होते हैं एक पॉजिटिव और एक नेगेटिव पर जैसा कि हमें पता है मास हमेशा पॉजिटिव होता है और निगेटिव मास जैसी कोई चीज नहीं होती और या फिर हमें मिली नहीं है तो इसलिए ग्रेविटेशनल फोर्स (Why Gravity Is Always Attractive?) हमेशा अट्रैक्टशन यानि की खिंचाव ही पैदा करती है।
नेगेटिव मास और रहस्य खत्म!
अगर हमें कोई ऐसा औबजेक्ट मिल जाये जिसमें नेगेटिव मास हो तो वो कभी भी ग्रेविटी के कारण किभी भी किसी विशाल औबजेक्ट के पास नहीं आयेगा वह नीचे गिरने की जगह सीधा ऊपर की ओर बढ़ता रहेगा, पर नेगेटिव मास वाले औबजेक्ट को खोजना और समझना जितना आसान लगता है वह उतना ही कोंपलेक्स है, क्वांटम फिजिक्स पर रिसर्च कर रहे वैज्ञानिकों का मानना है कि हमारे ब्रह्मांड में एग्जॉटिक मैटर (Exotic Matter) नाम की चीज भी अस्तित्व में है।
एग्जॉटिक मैटर या तो किसी अकल्पनीय पार्टिकल से बना है और या फिर सामान्य मैटर का ही कोई ऐसा स्टेट है जो मानव सभ्यता की समझ से भी परे है। एग्जॉटिक मैटर में ऐसी फिजिकल प्रॉपर्टीज है जो फिजिक्स के नियमों को नहीं मानती हैं और इसीलिए माना जाता है कि अगर एग्जॉटिक मैटर अस्तित्व में हुआ तो इसमें नेगेटिव मास भी होगा। एक्सपेरिमेंट करते दौरान वैज्ञानिक ऐसे कई पार्टिकल्स की खोज कर चुके हैं जो हमें सामान्य मैटर में नहीं मिलते लेकिन यह सभी स्टैंडर्ड मॉडल ऑफ पार्टिकल फिजिक्स का पालन करते हैं। यानि की फीजिक्स की लिमिट में ही रहते हैं।
मैटर के कई असाधारण स्टेट्स जिनके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं, उनका भी अध्ययन किया जा चुका है। आपने आज तक मैटर के सॉलिड, लिक्विड और गैस स्टेट के बारे में सुना होगा लेकिन इनके अलावा भी कई स्टेट्स होती है जैसे Plasma, Bose-Einstein condensates, fermionic condensates, nuclear matter, quantum spin liquid, string-net liquid, supercritical fluid, Rydberg matter, photonic matter और time crystal. लेकिन यह सभी स्टेट्स फिजिक्स के सभी नियमों का पालन करती हैं, इसलिए इन पर ग्रेविटी का वही इफैक्ट रहता है जो आम मैटर की स्टेट में देखने को मिलता है।
पर मैटर के ऐसे भी कई रूप हैं जिन्हें अब तक वैज्ञानिक बहुत कम समझ पाए हैं जैसे dark matter और mirror matter. इन मैटर का कोई असल रूप तो अभी तक हमारे सामने नहीं है लेकिन माना जाता है कि यह सब कहीं ना कहीं एग्जॉटिक मैटर से ही जुड़े हुए हैं। सामान्य मैटर से बनी कोई भी चीज की दिशा दाईं तरफ है तो उसके मिरर मैटर की दिशा बाईं तरफ होगी। लेकिन इसके अलावा सामान्य मैटर और मिरर मैटर में कोई भी फर्क नहीं आएगा। (Why Gravity Is Always Attractive?)
डार्क मैटर
1884 में Lord Kelvin जब हमारी गैलेक्सी मिल्की वे के सेंटर के आसपास मौजूद तारों का अध्ययन कर रहे थे तब उन्होंने यह पाया कि अगर हम उन सभी तारों का सारा मास जोड़ दें तभी भी उतना मास इतनी बड़ी गैलेक्सी को संभालने के लिए काफी नहीं होगा। हमारी पूरी गैलेक्सी में सभी तारों का मास लगभग 100 अरब सूर्यों जितना होगा लेकिन फिर भी यह 2,00,000 प्रकाश वर्ष में फैली इस गैलेक्सी को संभाल नहीं सकता। इतना ही नहीं कैलकुलेशंस के मुताबिक तो हमारी गैलेक्सी में बहुत सारा मास होना चाहिए और तारों का मास तो केवल 15% है। तो फिर यह 85% मास कहां से आया? इसी सवाल से जन्म हुआ डार्क मैटर का।
यह मैटर हमारे पूरे ब्रह्मांड की हर गैलेक्सी में बड़ी मात्रा में मौजूद है। पर इसका नाम डार्क क्यों है? तो दोस्तों वह इसलिए क्योंकि यह मैटर किसी भी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन से interact नहीं करता मतलब यह लाइट से भी कोई संबंध नहीं रखता और इसीलिए वैज्ञानिकों को अब तक इसके बारे में बहुत कम जानकारी है। कुछ जानकारों का तो यह भी मानना है कि डार्क मैटर किसी दूसरे डायमेंशन का पदार्थ है और क्योंकि लाइट दूसरे डायमेंशन्स में यात्रा नहीं करती लेकिन ग्रेविटी कर सकती है, इसीलिए यह केवल ग्रेविटी (Why Gravity Is Always Attractive?) से इंटरेक्ट करता है।
एग्जॉटिक मैटर के बारे में हमें बस इतनी ही जानकारी है, लेकिन अगर मैटर का कोई ऐसा स्वरूप मिला फिजिक्स के नियमों का उल्लंघन कर रहा हो तो वही एग्जॉटिक मैटर होगा। और उसमें नेगेटिव मास भी होगा जिसके कारण उसमें लग रही ग्रेविटी भी नेगेटिव होगी। कल्पना कीजिए एग्जॉटिक मैटर से बने ग्रह की जिसमें आप खड़े भी नहीं हो सकते क्योंकि नीचे खींचने की बजाय वह आपको अंतरिक्ष में ढकेलेगा!
तो अभी हम एकदम से नहीं कह सकते कि Gravity हमेशा attractive होती भी है या नहीं क्योंकि अगर इस अनंत ब्रह्मांड में कहीं negative mass वाला matter हुआ तो वहां gravity repulsive हो जाएगी।
Great knowledge About Gravity and how it works? Difference between Electromagnetic and Gravity force.
Sir youTube ke liye contant le sakte he. copyright to nhi aayega sir
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