ये तो हम सभी जानते हैं कि हमारा वजन समय के साथ बदल जाता है | पर क्या आपने कभी ये ध्यान दिया है कि आपका वजन एक समय पर भी बदल जाता है | जी हाँ , आपका वजन पृथ्वी पर एक जैसा नहीं रहता , वो जगह के हिसाब से बदल जाता है | पृथ्वी पर ऐसी जगह भी है जहां आपका वजन अचानक सबसे कम हो जाएगा | दूसरी जगह पर ये वजन अचानक बढ़ जाएगा | चलिए जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों होता है ? ( Where On Earth Do You Weigh The Least? )
विषय - सूची
वजन का असली मतलब
जिस वजन को आप किलोग्राम में नापते हो,वो वास्तव में उसका द्रव्यमान यानी mass है | ये उनका weight या भार नहीं बता रहा है | mass का मतलब है, कि किसी भी चीज में कितनी मात्रा में matter या द्रव्य मौजूद है | ये समझिए, कि ये किसी भी body में मौजूद atoms की मात्रा के बारे में बताता है | इसे अक्सर gram, kg , pounds में नापा जाता है |
किसी body में , amount of matter यानी द्रव्य की मात्रा , हमेशा constant ही रहती है , जब तक आप उसमें कोई energy या और matter न जोड़ दें |
बात करें किसी body के weight यानी भार या वजन की , तो ये एक प्रकार की force यानी बल है , जिसके पीछे का कारण है gravity यानी गुरुत्वाकर्षण |
Gravity बताती है आपका वजन
GRAVITY, हर एक body की वो property या कहें कि गुण है , जिसकी वजह से वो किसी दूसरी body को अपनी तरफ attract या pull यानी खींचती है | ये नियम हर एक वस्तु पर लागू होता है | इसके चलते , हर एक body की अपनी gravitational field होती है | gravity के कारण ही हर एक body किसी भी दूसरी body पर force यानी बल लगाती है |
बात करें weight यानी भार की , तो ये वास्तव में पृथ्वी यानी हमारी earth की gravity द्वारा लगाई जाने वाली force है | किसी भी body में मौजूद mass या द्रव्यमान पर , ये earth की gravity, force लगाती है | जितनी मात्रा में force लगती है , उतना ही उस body का weight यानी भार होता है | आप जो weighing machine में अपना वजन नापते हो , वो दरअसल earth की gravity द्वारा , आपके mass पर लगाया जाने वाला force होता है | weight को अक्सर force की units, like N में नापा जाता है |
पृथ्वी का असर आपके वजन पर
यहाँ मैं आपको एक जरूरी चीज और बताना चाहूँगा | Earth की gravity जब किसी body पर force लगाती है , तो वो body उसके earth के center की तरफ accelerate करती है | इसे acceleration due to gravity कहा जाता है | किसी fixed mass वाली body पर जितना ज्यादा acceleration लगता है , उतना ही ज्यादा उसका weight होता है |
इसे आप Newton के law of motion से ही समझ सकते हो | इसके according , weight = mass X acceleration due to gravity होता है | यानी आपका वजन या भार , इस gravity पर ही depend करता है , क्योंकि mass तो किसी भी body का constant ही रहता है |
आपने earth gravity की acceleration value लगभग 9.8 m/s2 तो सुनी ही होगी | इसे हम अक्सर constant की तरह इस्तेमाल कर लेते हैं | अगर आप अपने घर में , 1 kg रुई और 1 kg लोहे का वजन नापेंगे तो आपको ये दोनों बराबर भारी लगेंगे , क्योंकि दोनों का mass तो बराबर है ही , आपके घर पर gravity की value भी constant है |
क्यों बदल जाता है अचानक वजन ?
पर पूरी पृथ्वी के हिसाब से, ये एकदम सही नहीं है | earth की gravity , constant बिल्कुल नहीं है | ये depend करती है ,कि आप पृथ्वी की किस जगह पर खड़े हुए हैं | North pole पर मौजूद 1 kg रुई , आपको equator पर मौजूद 1 kg लोहे से ज्यादा भारी लगेगी|
पर आखिर ऐसा होता क्यों है ? चलिए जानते हैं |
Earth की gravity, उसकी shape , उसके rotation और उसके mass distribution पर depend करती है |
अगर हमारी पृथ्वी एकदम spherical , non rotating और uniform होती , तो आपको 1 kg रुई और 1 kg लोहे के वजन में कहीं भी कोई फर्क नहीं लगता | पर असलियत तो ये है , कि हमारी पृथ्वी ऐसा कुछ भी नहीं करती |
पृथ्वी गोल नहीं है
हमारी earth , equator पर लगभग 1,670 km/h की speed से rotate करती है , वो वहीँ इसकी speed, poles पर लगभग zero ही होती है | इसकी वजह से , equator पर इसकी shape, bulge यानी उभर जाती है , और equator के आसपास, ये दबी हुई नजर आती है | होता ये है , कि इसकी वजह से , earth की surface का distance, earth के center से बढ़ जाता है | poles के मुकाबले आप equator पर earth center से 21 Km दूर होंगे | और जैसा कि gravity, distance बढ़ने पर कम हो जाती है , तो आपको ये poles के मुकाबले equator पर, 0.5 % कम देखने को मिलेगी | यानी आपका वजन यहाँ poles के मुकाबले 0.5 % तक कम हो जाएगा |
पृथ्वी का रूप ऊबड़ – खाबड़ है
पर ये तो अभी बड़े तौर पर दिखने वाला अंतर है | असली अंतर तो आपको ये अपने आसपास भी देखने को मिल सकता है | हमारी earth का mass distribution uniform नहीं है | मतलब कि , यहाँ जगह जगह पर density बदलती ही रहती है | अभी आप जिधर खड़े हैं , वहाँ की gravity , आपके नीचे मौजूद rocks और surface के mass के हिसाब से कम या ज्यादा हो सकती है |
यानी आप ये समझिए, कि जैसे जैसे आप पृथ्वी पर चल रहे हैं , आपके नीचे मौजूद matter और mass distribution के चलते , आप पर हर पल लगने वाली gravity बदल रही है और साथ ही आपका वजन भी | इन बदलावों को बस super high sensitive instruments के जरिए ही नापा जा सकता है |
साल 2002 में , NASA के joint mission GRACE यानी Gravity Recovery and Climate Experiment Mission के जरिए वैज्ञानिकों ने , earth की gravity variations को बड़े sensitive तरीके से map किया और हमारी पृथ्वी का एक mathematical model , GEOID generate किया |
Mission me वैज्ञानिकों ने , दो same satellites को पृथ्वी के आसपास , एक ही orbit में place किया | इनके बीच की दूरी , 220 kilometers की थी | दरअसल मकसद ये था कि , कैसे orbit करने के दौरान , earth की gravity के चलते , इन दोनों satellites के बीच की दूरी कम या ज्यादा होती है |
यहाँ इस्तेमाल किये जाने वाले device इतने sensitive थे कि ये आपकी आँखों की पलकों की चौड़ाई तक को नाप सकते थे | वैज्ञानिकों ने इसके जरिए पहली बार earth की gravity variations को काफी accurately map किया |
यहाँ आपका वजन सबसे कम और सबसे ज्यादा होगा
इसके जरिए उन्हें पता चला कि हिमालय , Andes जैसी mountain ranges पर gravity थोड़ी ज्यादा है तो वहीँ Indian ocean जैसी कई जगहों पर gravity की मात्रा थोड़ी कम है |
अब , इन सभी चीजों को ध्यान में रखें और gravity variations का इस्तेमाल करें , तो आपको पता चलेगा कि Northern Russia में, Arctic Ocean के surface पर आपको सबसे ज्यादा gravity मिलेगी और यहाँ आपका वजन या भार , पूरी पृथ्वी के मुकाबले सबसे ज्यादा होगा |
वहीँ , equator के पास Peru में मौजूद Mount Huascaran पर आपको earth की सबसे कम gravity मिलेगी और आपका वजन भी यहाँ बाकी पृथ्वी के मुकाबले सबसे हल्का होगा |
पर आपको , इन दोनों जगहों पर ये difference बेहद कम दिखाई देगा | अगर weighing machine पर आपका weight 70 किलोग्राम है , तो आपको मात्र आधा किलोग्राम का अंतर , इन दोनों जगहों पर देखने को मिलेगा | हालांकि ये याद जरूर रखें कि, ये किलोग्राम gravity की force ही है , mass नहीं !