“सच्चाई की हमेशा जीत होती है “, “हमेशा सच का साथ दो”, “हमेशा सच बोला करो” इन बातों को आप लोगों ने अकसर लोगों को बोलते हुए देखा होगा। बचपन से ही हमारे पैरेंट्स या यूं कहें की, हमारे घर में हम से आयु में बड़े मौजूद हर एक व्यक्ति हमसे ये कहता हुआ नजर आएगा। परंतु कभी आप लोगों ने सोचा है की, आखिर ऐसा क्यों बोला जाता है। जिस सच्चाई की बात दुनिया करती है, वो आखिर क्या है? (What Is Truth In Hindi)
विडंबना बोलें या प्रकृति का खेल, परंतु सच (What Is Truth In Hindi) के बारे में एक खास बात ये है की, इसे कभी भी झूठ या अन्याय नहीं हरा सकता है। भले ही सच काफी देरी से दुनिया के सामने आता है, परंतु आता जरूर है। सच के सामने शायद ही ऐसी कोई चीज़ है, जो इसे टक्कर दे सकता है। सच हमेशा कड़वा और कठोर होता है, परंतु इसके बारे में जानना हर एक इंसान का कर्तव्य है। तो, आज हम किसी सच्चाई के बारे में बातें कर रहें हैं?
तो, मित्रों! आप लोगों को बता दूँ की, आज के इस लेख में हम कुछ बहुत ही मूलभूत सच्चाई तथा इसके परिभाषा के बारे में चर्चा करेंगे। इसके अलावा विज्ञान और सच्चाई को एक ही तराजू में तौल कर भी देखेंगे।
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सच किसे कहते हैं? – What Is Truth In Hindi? :-
“सच क्या हैं?” (What Is Truth In Hindi) ?; ये सवाल दिखने में जितना सरल लग रहा हैं, हकीकत में उतना सरल नहीं है। तीन शब्दों से बनने वाले इस सवाल का जवाब वाकई में काफी ज्यादा अटपटा और जटिल है। परंतु, फिर भी हम इसके जवाब को ढूँढने का प्रयास इस लेख में अवश्य करेंगे।
मित्रों! अति सरल भाषा में आप लोगों को बताऊँ तो, “फैक्ट्स और सबूतों के आधार पर जो भी बातें सही होती हैं, उसे ही सच कहा जाता है “। इसके अलावा सच जो होता है, ये दुनिया भर में सिद्ध होता हैं और एक समान ही ढंग से बोला जाता है। झूठ की तरह सच के कई सारे रूप नहीं हो सकते है और सर्वत्र सच विद्यमान होता है। अब कुछ लोग सच के बारे में कई सारे बातें बोलेंगे और अन्य कई सारे परिभाषाओं को भी दर्शाएंगे, परंतु सच की जिस परिभाषा को मैंने इस लेख में आप लोगों को बताया है, यही सबसे ज्यादा सरल है। मैं मानता हूँ की आप लोगों की परिभाषा भी ठीक हो सकती है।
सच के बारे में एक और खास बात ये है की, ये वास्तविकता को दर्शाता है। परंतु झूठ का वास्तविकता से कोई भी संबंध नहीं होता है। सच हमारी आस्था, भरोसा, चिंता धारा, विचार और शब्दों को वास्तविकता से जोड़ता है। इसलिए सच का मौल दुनिया में हर वक़्त झूठ से कई ज्यादा रहा है। लोगों को लगता है सच को छिपाया जा सकता है, परंतु सच को कभी छिपाया नहीं जा सका है, न जा सकता है और न ही जा पाएगा।
सच की उत्पत्ति आखिर कहाँ से होती हैं? :-
अब लोगों को ये तो पता हे कि, पूरी जिंदगी ज्यादा से ज्यादा सच (What Is Truth In Hindi) बोलना है। परंतु उनको ये नहीं पता है की, आखिर ये सच बना कैसे? कहाँ से इसकी उत्पत्ति हुई है? मित्रों! कई बार ऐसा भी होता है की, जो बात पहले सच हुआ करती थी समय के साथ वो बदल कर अब सच नहीं है। यानी! हर समय हमें समय के साथ अपडेट होते रहना है, ताकि हम हमेशा असल सच को जान पाएँ।
हालांकि! अपडेट रहने की बात को ज़्यादातर हमें, विज्ञान के क्षेत्र में ही पालन करना होगा। क्योंकि, विज्ञान अस्थिर है और आज हमें जिस बात पर यकीन नहीं है आगे चलकर क्या पता वो सच में बदल जाए। खैर विज्ञान और सच के बारे में हम आगे बातें करेंगे। अक्सर कहा जाता है कि, सच्चाई ही सच की गुणवत्ता है और जो सच फैक्ट्स तथा विश्वास के कसौटी पर खरा उतरता है वो ही आगे चलकर सत्य की परिभाषा बन जाता है। यानी कहने का मतलब ये है की, जो विश्वास या फैक्ट्स सबूतों के जरिये एक बार भी सिद्ध हो जाता है उसी से ही सच की उत्पत्ति होती है।
यहाँ! एक और बात ध्यान देने वाली ये भी है कि, आज के समय में ज़्यादातर बातों को सत्य होने के लिए विज्ञान की मोहर की जरूरत पड़ती है। इसलिए कई बार कुछ फैक्ट्स असत्य भी साबित हो जाते है। इसके अलावा कई बार कुछ लोककथाएँ और विश्वास भी सच साबित हो जाती है। तो, आप कह सकते हैं की, वर्तमान के समय में सच को जानने का मात्र एक ही उपाय है और वो है विज्ञान!
तराजू में विज्ञान या सच, आखिर कौन भारी? :-
इस लेख में वक़्त आ गया है कि, हम अभी विज्ञान और सच (What Is Truth In Hindi) को तराजू में तौल कर देखें। क्योंकि इसी से ही हमें पता चलेगा की, इन दोनों ही चीजों का हमारे जीवन में क्या महत्व है। वैज्ञानिकों के अनुसार विज्ञान का सबसे मूल काम यहीं है की, वो सच्चाई को दुनिया के सामने निष्पक्ष ढंग से रखे। इसी कारण से ही प्रकृति को हमेशा सच्चाई के संग्रह गृह के तौर पर देखा जाता हैं, क्योंकि प्रकृति कभी झूठ नहीं बोलती है।
अगर हमें वास्तव में किसी विषय के बारे में पूर्ण तथा परम सत्य को जानना है, तब हमें प्रकृति का विश्लेषण करना होगा। विज्ञान सच को ढूँढने के लिए, इसी प्रकृति का अनुध्यान करता रहता है। इंसान को अगर ब्रह्मांड से जुड़ी हर एक सच्चाई को जानना है, तब उसे अपना ज्ञानोदय (Enlightenment) करना होगा। वैसे हमारे ज्ञानोदय में हमारी शिक्षा एक बहुत ही महत्वपूर्ण किरदार अदा करती है। जैसी शिक्षा होगी वैसे ही हमारे पास उतनी सच्चाई की जानकारी होगी। वैसे आप शिक्षा अपनी स्कूल की किताबों से लेकर जीवन के अनुभवों से भी ले सकते हो।
विज्ञान और सच के तराजू में, देखा जाए तो कई बार विज्ञान का पलड़ा भारी रहा है। परंतु, अगर हम थोड़ा बड़े नजरिए से देखें तो, सच का एक अभिन्न हिस्सा भी विज्ञान बनाना चाहता है। इसलिए अहमियत के हिसाब से विज्ञान से बड़ा सच ही है।
निष्कर्ष – Conclusion :-
परम सत्य (What Is Truth In Hindi)के पीछे की बात ये है कि, हम जो जानते हैं उसी को ही सच समझ लेना हमेशा जायज नहीं है। परंतु, ज़्यादातर बातें जो की प्रकृति से जुड़ी हुई हैं वो कई हद तक सटीक ही होती हैं। हालांकि! हर बार प्रकृति से जुड़ी बातें सच हो, ये कह पाना भी मुश्किल है। क्योंकि जितना भी हम विज्ञान के जरिये प्रकृति के बारे में जान पाएँ हैं, वो वाकई में काफी ज्यादा कम है। भविष्य में हमें हर एक सिद्धांत और नियमों के ऊपर गहन शोध और चर्चा करने की जरूरत है।
इसके अलावा वैज्ञानिकों का ये भी मानना है की, जितना भी हम विज्ञान के जरिये प्रकृति को माप पाये हैं वो अधूरा है। विज्ञान प्रकृति को अपने मापदंडों के आधार पर मापता है और जितना अधिक हम हमारे मापदंडों को गहन और सटीक करेंगे, उतना ही हम हमारे परम सच्चाई (किसी भी विषय से संबंधित) की और आगे बढ़ पाएंगे। इसलिए अंत में ये कहा जा सकता है की, किसी भी चीज़ के पीछे छुपा उसका परम सत्य हम सिर्फ उसकी सच्चाई के आधार पर ही जान सकते है। और इसमें विज्ञान भी हमेशा सटीक नहीं हो सकता है, इसलिए विज्ञान पर भी कई बार आँखें बंद कर के विश्वास करना सही नहीं। कई बार नए-नए खोजें पुरानी खोजों को गलत साबित करती हुई आई हैं।
Source:- www.bigthink.com