आप जानकर हैरान रह जायेंगे पर प्राचीन काल के हमारे ऋषि -मुनि अबके वैज्ञानिकों से भी बहुत ज्यादा विद्वान थे, वे ऐसे कार्य पर शोध करते थे जो आज भी हमारे लिए बहुत दुर्लभ हैं।
आप हैरान हो जायेंगे कि जिस टेस्ट ट्यूब तकनीक को आप कुछ दशकों पहले कि नई तकनीक समझ रहे हैं वह वास्तव में 6 हजार साल पहले महाभारत में इस्तेमाल की जा चुकी है।
धृतराष्ट्र के 100 पुत्रों का जन्म वास्तव में इसी तकनीक से हुआ था. जब गांधारी ने पहली बार गर्भ धारण किया, तो दो वर्ष बीतने के बाद भी उन्हें कोई संतान नहीं हुई. तब एक ऋषि ने उन्हें गर्भ को 101 मिट्टी के बर्तनों में डालने का उपाय बताया, क्योंकि गांधारी के लिए बच्चे को जन्म दे पाना संभव नहीं था. इसके बाद गांधारी के गर्भ को 101 मिट्टी के बर्तनों मे डाल दिया गया, जिसे हम टेस्ट ट्यूब तकनीक से जोड़ कर देख सकते है. गर्भ को मिट्टी के बर्तनों में डालने के बाद उसमें से ‘सौ’ पुत्र और एक ‘पुत्री’ ने जन्म लिया था।
आज हम विज्ञान के आविष्कारों में से एक क्लोनिंग और टेस्ट ट्यूब के ज़रिये बच्चे को पैदा करने की पद्धति को जानते हों, लेकिन भारत के प्रसिद्ध महाकाव्य ‘महाभारत’ में 3000 ईसा पूर्व पहले ही इस पद्धति के ज़रिये कौरवों का जन्म हुआ था। ‘Stem Cell Research’ पर आयोजित सम्मेलन में एक वैज्ञानिक ने कहा कि ‘कौरवों का जन्म उसी तकनीक से हुआ था, जिसे आधुनिक विज्ञान अब तक विकसित नहीं कर पाया है’. महाभारत में गांधारी को 100 पुत्रों की मां बताया गया है, जिन्हें कौरव कहा जाता है. उनका सबसे बड़ा पुत्र दुर्योधन था।
हाल ही में Southern Chapter of The All India Biotech Association द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में दिल्ली के मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज के सर्जन B G Matapurkar ने बताया कि ‘कोई भी महिला अपने पूरे जीवन में एक ही उम्र के 100 पुरुषों को जन्म नहीं दे सकती.’
Matapurkar ने कहा कि ‘Organ Regeneration की जिस तकनीक को 10 साल पहले विकसित कर अमेरिका ने पेटेंट लिया था, उसका वर्णन महाभारत के अध्याय ‘आदिपर्व’ में किया गया है।
इसमें बताया गया है कि कैसे गांधारी के एक भ्रूण से कौरवों का जन्म हुआ’. उन्होंने कहा कि कौरवों का जन्म गांधारी के भ्रूण के अलग-अलग हिस्सों से हुआ है. उनके भ्रूण को 101 हिस्सों में बांटकर उन्हें मिट्टी के बर्तनों में रख दिया गया था, जिनमें से कौरवों के साथ एक पुत्री ने जन्म लिया. इन सभी का विकास अलग-अलग बर्तनों में हुआ था।
वे सिर्फ़ टेस्ट ट्यूब बेबी और भ्रूण को बांटना ही नहीं जानते थे, बल्कि वे उस तकनीक से भी परिचित थे जिसकी मदद से महिला के शरीर से अलग या बाहर मानव के भ्रूण को विकसित किया जा सकता है. हालांकि आज भी आधुनिक विज्ञान इस तकनीक के बारे में नहीं जान पाया है.
साभार – गजबपोस्ट