जब भी हम मंगल ग्रह पर कोई यान भेजते हैं तो उसे इस तरह से तैयार करते हैं कि वो धरती से कोई भी जीवन का रुप ना ले जा सके, वरना वो मंगल का वातावरण धरती के जीवाश्मों से दूषित कर सकता है। ऐसा इसलिए भी करते हैं ताकि हमें मंगल पर सही और सटीक जानकारी मिल सके। यान को बहुत ही अच्छे से साफ किया जाता है और उस पर लगे हर एक जीवाश्म को जहां तक संभव हो सकता है उसे हटा दिया जाता है।
हालांकि यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग की एक नई वैज्ञानिक रिपोर्ट में दिलचस्प जानकारी मिली है, रिसर्चकर्ता जेनिफर वेड्सवर्थ और चार्ल्स कॉकेल का कहना है कि इस नये अध्ययन से एक बात साफ होती है कि मंगल की सतह ही वास्तव में इतनी निर्जीव है कि वहां कोई जीवाश्म जिंदा रह ही नहीं सकता है, तो पृथ्वी से भेजे गये यानों का प्रदूषण मंगल की सतह पर कोई खास फर्क नहीं डालता है।
अपने अध्ययन में उन्होंने पाया कि सूर्य के प्रकाश के कारण मंगल पर एक नया Compound प्रक्क्लोरेट ( Perchlorate) सक्रिय हो जाता है, और यह तत्व वैक्टीरिया और छोटे जीवाश्मों के लिए काफी घातक होता है जिस कारण मंगल की सतह पर इनका पनपना लगभग अंसभव ही है। मंगल की सतह पर यह Perchlorate काफी मात्रा में पाया जाता है।
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उन्होंने एक प्रयोगशाला में मंगल ग्रह का वातावरण बनाकर इस प्रयोग को किया। बिना आक्सीजन वाले चैम्बर(Anaerobic Chamber) की मदद से उन्होंने सूर्य की उन किरणों का निर्माण किया जो मंगल पर पड़ती हैं। अध्ययन में पाया गया कि जब यह तत्व सक्रिय हो जाता है तो वैक्टीरिया और बहुत से सूक्ष्म जीव बहुत कम क्षणों में ही मर जाते हैं, जिससे साबित होता है कि मंगल पर पाया जाने वाला यह कंपाउंड Perchlorate मंगल पर जीवन पनपने के लिए सबसे बड़ा रोडा है।
वेड्सवर्थ कहती हैं कि ऐसा जरुरी नहीं है कि मंगल पर कोई जीव नहीं रह सकता है एक खास प्रकार का वैक्टीरिया जिन्हें extremophiles कहते हैं वे ऐसे वातावरण में पनप सकते हैं और जीवित भी रहते हैं। आगे वह कहती हैं हमें बहुत ही सावधानी के साथ मंगल पर अपने यान उतारने चाहिए कहीं ऐसा ना हो कि हम अनजाने में मंगल को दूषित कर रहे हों, अभी भी मंगल पर ऐसे बहुत से क्षेत्र हैं जिनका खोजा जाना बाकी है।