आज से काफी समय पहले आई फिल्म “Terminator” को आप में से कई लोगों ने देखा ही होगा। साइंस फिक्शन के ऊपर आधारित इस फिल्म में मानव और रोबॉट्स (stickers can see inside the body) के बीच होने वाली लड़ाई को दिखाया गया है और आने वाले समय में कैसे रोबॉट्स हम इंसानों को गुलाम बना कर रख सकते हैं, उसके बारे में भी कुछ झलकें हमें यहाँ दिखाई गई हैं।
परंतु अगर मैं बोलूँ कि, रोबॉट्स हम पर यानी इंसानी सभ्यता के ऊपर कब्जा करने से पहले ही, हम लोग धीरे-धीरे खुद रोबॉट्स में (stickers can see inside the body) परिवर्तित होते जा रहें हैं, तो आप लोगों को कैसा लगेगा। मेरी बातें सुन कर काफी लोगों को, ऐसा लगेगा कि, आखिर मैं कहना क्या चाहता हूँ! मित्रों, इसीलिए तो ये लेख मैं आप लोगों के लिए ले कर आया हूँ। यहाँ हम एक ऐसे उपकरण/ छोटे से स्टिकर के बारे में बातें करेंगे; जो कि शायद हम इंसानों को रोबॉट्स के तरह एक समान बना दे।
शुरू करने से पहले आप एक बात का ध्यान रखेंगे कि, लेख में बताई गई सारी जानकारी वैज्ञानिकों से कई माध्यमों के द्वारा इक्कठी की गई है और इन सभी के बारे में जानकारी मैंने लेख के अंत में “Source” सेक्शन में दी है। खैर चलिए अब लेख को शुरू करते हैं और आज के मूल विषय को जानते हैं।
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एक ऐसा जादुई स्टिकर (Sticker) जो है हम इंसानों के लिए बेहद ही खास! – Stickers Can See Inside The Body! :-
जीवन में हमें कई बीमारियाँ होती हैं और उन बीमारियों के इलाज के लिए हमें कई बार अस्पताल में एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड कराना पड़ता है। बता दूँ कि, अल्ट्रासाउंड हमारे शरीर के भीतर झांकने का एक द्वार है। एक ऐसा द्वार जिसके जरिए हम हमारे शरीर के भीतर मौजूद कई अहम अंगों को देख सकते हैं। खैर शरीर के अंदर झांकने का ये माध्यम इतना भी सरल नहीं हैं जितना कि हम समझते हैं। इसके लिए कई पेशेवर (professional) लोगों कि जरूरत पड़ती है, जो एक खास तरह की ध्वनि की तरंगों को हमारे शरीर के ऊपर डालते हुए अंदर के अंगों को हमें दिखाते हैं।
आमतौर पर अल्ट्रासाउंड के जरिए दिल, फेफड़े और अन्य जटिल अंदरूनी अंगों के फोटो लिए जाते हैं। वर्तमान समय में अल्ट्रासाउंड को करने के लिए बड़ी-बड़ी मशीनों और उपकरणों की जरूरत पड़ती है, परंतु हाल ही में “MIT” (Massachusetts Institute of Technology) के इंजीनियरों ने एक ऐसे “स्टिकर” (Sticker) को बनाया है, जो की बड़े ही आसानी से किसी आम घड़ी की ही तरह हाथ में लगा कर आपका अल्ट्रासाउंड ले सकता है। ये स्टिकर देखने में कम्प्यूटर के किसी प्रोसेसर के तरह ही दिखता है और पहनने के बाद किसी भी इंसान को एक रोबोट वाला लूक भी दे सकता है।
सबसे खास बात ये है कि, इस उपकरण/ स्टिकर को आप किसी भी लोकल दवाई की दुकान पर खरीद सकते हैं। वैसे ये स्टिकर आपकी त्वचा के ऊपर चिपक कर, आने वाले 48 घंटों तक लगातार आपके अंदरूनी अहम अंगों का अल्ट्रासाउंड कर सकता है। वैसे एक सर्वे से इस स्टिकर की कई विशेषताओं के बारे में पता चला है, जिसकी हम आगे आलोचना करेंगे।
स्टिकर के ये हैं खूबियाँ! :-
अब वैज्ञानिकों ने किसी एक नए चीज़ को बनाया है तो, उसकी खूबियों के बारे में बातें करना बनता ही है। मित्रों! इस स्टिकर (stickers can see inside the body) की भी कुछ खूबियाँ हैं, जिनके के बारे में अब मैं आप लोगों को यहाँ बताऊंगा। दोस्तों! जब इन स्टिकरों को लोगों के ऊपर लगाया गया, तब तुरंत ही इन स्टिकरों के जरिये शरीर के नसे काफी महीन और साफ-साफ दिखने लगीं। रिपोर्ट्स कि बात करें तो, मानव शरीर की नस अपने असल आकार से काफी बड़ी नजर आए।
खैर सिर्फ खून की नसे ही नहीं, परंतु शरीर के कई महत्वपूर्ण अंग जैसे हृदय, फेफड़े और पेट के चित्र भी इन स्टिकरों के कारण काफी अच्छे तरीके से देखा जाने लगा। इसके अलावा ये स्टिकर्स त्वचा से काफी अच्छे तरीके से चिपक गए थे और शरीर के अंदर तथा महत्वपूर्ण अंगों में होने वाले तुरंत बदलाव को भी मॉनिटर कर रहे थे। आप खुद भी इन स्टिकरों के जरिये इन बदलाव को देख सकते हैं। वैसे प्रयोग के दौरान लोगों के अंदर बैठने, दौड़ने, खड़े होने और साइकल चलाने के दौरान होने वाले बदलावों को रेकॉर्ड किया गया।
मित्रों! वैज्ञानिकों के हिसाब से ये स्टिकर अस्पताल में तुरंत इस्तेमाल होने के लिए प्रस्तुत हैं और इसे बिना किसी पेशेवर टेक्निसियन के मदद से प्रयोग में लिया जा सकता है। ये आसानी से मरीजों के अंदरूनी प्महत्वपूर्ण अंगों को मॉनिटर कर सकता है। इसके अलावा ये स्टिकर अन्य किसी “EKG Sticker” कि तरह ही उपयोग में लिया जा सकता है।
आखिर कैसे काम करता हैत ये स्टिकर! :-
सुनने में काफी अत्याधुनिक लगने वाले इन स्टिकरों का (stickers can see inside the body) काम करने का ढंग वास्तव में काफी ज्यादा आसान है। मरीज के ऊपर इन स्टिकरों को प्रयोग करने से पहले उसके ऊपर एक खास तरह का जेल लगाया जाता है, जिससे अल्ट्रासाउंड में इस्तेमाल होने वाले तरंग शरीर के अंदर काफी अच्छे तरीके घुस सकें। इसके बाद एक प्रोब/ ट्रांसडूसर (Transducer) को शरीर के जेल लगे हिस्से में एक निर्धारित दबाव दे कर पकड़ा जाता है। इसके बाद ध्वनि की तरंग ट्रांसडूसर से जेल के जरिये होते हुए शरीर में प्रवेश करते हैं।
जब ये तरंग शरीर के अंदर मौजूद अंगों से टकरा कर वापस ट्रांसडूसर तक पहुँचते हैं, तब अंगों का असल फोटो नजर आता है। यहाँ आप कह सकते हैं कि, शरीर के अंदर ध्वनि तरंगों से बनने वाले गूंज ही अल्ट्रासाउंड के फोटो हैं। वैसे जिन मरीजों के ऊपर काफी लंबे समय तक अल्ट्रासाउंड करने कि जरूरत पड़ती है, उन मामलों में रोबॉट्स का इस्तेमाल किया जाता है। ये रोबॉट्स बिना थके अल्ट्रासाउंड के प्रोब को घंटों तक मरीज के शरीर से लगाए हुए पकड़ सकते हैं।
हालांकि! अल्ट्रासाउंड में इस्तेमाल होने वाले जेल कुछ समय बाद खुद व खुद सुख कर गायब हो जाते हैं, जिससे लंबे समय तक मरीज के ऊपर अल्ट्रासाउंड कर पाना सहज नहीं हो पाता है। वैसे शोध के दौरान खींचे गई तस्वीर उतनी साफ नहीं है, जितना कि ये स्टिकर असल में खींचने में सक्षम हैं। क्योंकि शोध के दौरान प्रोब स्थिर नहीं था।
निष्कर्ष – Conclusion :-
इन स्टिकरों (stickers can see inside the body) को देख कर कई वैज्ञानिकों का ये मानना है कि, आने वाले समय में इसी तरीके के उपकरणों का इस्तेमाल काफी ज्यादा होने वाला है। क्योंकि इन्हें आसानी से चलाया व खरीदा जा सकता है। हालांकि! इन उपकरणों में अभी काफी सारे सुधार किए जाने वाले हैं। जिससे इसके कार्य-दक्षता और भी ज्यादा बढ्ने वाला है। खैर कुछ वैज्ञानिक इन स्टिकरों को अल्ट्रासाउंड मशीनों का भविष्य भी कह रहें हैं। इन स्टिकरों में इस्तेमाल होने वाले हाइड्रोजेल भी काफी उच्च गुणवत्ता वाले हैं और इनका इस्तेमाल काफी सुरक्षित ढंग से किया भी जा सकता है।
वैसे ये स्टिकर्स 2 वर्ग सेंटीमीटर के हैं और इनकी मोटाई लगभग 3 मिलिमीटर तक हैं, अंदाजे के लिए आप किसी पोस्ट स्टैम्प का भी आकार अपने मन में ले सकते हैं। वर्तमान वैज्ञानिक इन स्टिकरों को वायरलेस बनाने के कोशिश में हैं और इसको आर्टीफ़िशियल इंटेलिजेंस से चलाने का प्रयास कर रहें हैं। मित्रों! आप इन स्टिकरों के जरिए ट्यूमर और गर्भ में पल रहे बच्चे कि गतिविधिओं के ऊपर भी आसानी से नजर रख सकते हैं। ऐसे में जरा सोचिए हमारे लिए अल्ट्रासाउंड करना कितना आसान होने वाला हैं।
Source- https://bigthink.com/health/medical-imaging