Religion

जानिए, हिन्दू धर्म में अंतिम संस्कार के बाद नहाना क्यों जरुरी है?

कुछ नियम सनातन होते हैं जो सभी प्रकार के लोगो पर लागू होते हैं, जैसे की पानी को बनाने के लिए हमें दो एटम हाइड्रोजन के और एक आॅक्सीजन का चाहिए ही चाहिए, फिर चाहें वह ब्रह्मांण के किसी भी हिस्से में क्यों ना हो। इसी तरह हमारा सनातन धर्म भी कुछ नियमों पर जोर देता है। ऐसा ही एक नियम है कि अंतिम संस्कार के बाद स्नान बहुत जरूरी है। आईये आज इसके बारे में जानते हैं। 

धर्म शास्त्रों का कहना है कि शवयात्रा में शामिल होने और अंतिम संस्कार के मौके पर उपस्थित रहने से, इंसान को कुछ देर के लिए ही सही लेकिन जिंदगी की सच्चाई की आभास होता है। जब श्मशान जाने के आध्यात्मिक लाभ हैं, तो वहां से आकर तुरंत नहाने की जरूरत क्या है। ये सवाल अधिकतर लोगों के मन में आता है। आइए जानते हैं इस परंपरा के धार्मिक और वैज्ञानिक कारण को

अंतिम संस्कार और धार्मिक कारण

श्मशान भूमि पर लगातार ऐसा ही कार्य होते रहने से एक प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बन जाता है जो कमजोर मनोबल के इंसान को हानि पहुंचा सकता है,क्योंकि स्त्रियां अपेक्षाकृत पुरुषों के, ज्यादा भावुक होती हैं, इसलिए उन्हें श्मशान भूमि पर जाने से रोका जाता है। दाह संस्कार के बाद भी मृतआत्मा का सूक्ष्म शरीर कुछ समय तक वहां उपस्थित होता है, जो अपनी प्रकृति के अनुसार कोई हानिकारक प्रभाव भी डाल सकता है।

यह भी जानें – ये हैं हिन्दू धर्म के 10 अद्भुत रोचक तथ्य, जिन्हें कोई नहीं जानता है

वैज्ञानिक कारण

शव का अंतिम संस्कार होने से पहले ही वातावरण सूक्ष्म और संक्रामक कीटाणुओं से ग्रसित हो जाता है। इसके अलावा मृत व्यक्ति भी किसी संक्रामक रोग से ग्रसित हो सकता है। इसलिए वहां पर उपस्थित इंसानों पर किसी संक्रामक रोग का असर होने की संभावना रहती है। जबकि नहा लेने से संक्रामक कीटाणु आदि पानी के साथ ही बह जाते हैं।

इन कारणों से हमें शव यात्रा के बाद जरूर नहाना चाहिए, इसके बाद ही फिर हमें कुछ कार्य आगे के करने चाहिए। दोस्तों यदि आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।..

यदि आप हिन्दू धर्म के पुराण अपने स्मार्टफोन में पढ़ना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें…

Team Vigyanam

Vigyanam Team - विज्ञानम् टीम

Related Articles

29 Comments

  1. Aura is contaminated. Proper cleaning of the aura is very necessary and can be done only in river or sea water.

  2. जबकि नहा लेने से संक्रामक कीटाणु आदि पानी के साथ ही बह जाते हैं।

  3. So many timbers are burnt which is really very harmful for nature pls can we save nature

  4. There are many myths circulated due to wrong interpretation of our religious texts.
    There is NO religious reason behind this practice. A soul is bound to Universal rules, it can never harm any living creature.
    Only reason behind this practice is Hygiene. If one is involved in last rituals, then he may get dirty or may catch infections (depending upon immunity) but it is not mandatory for all.
    I have attended several funerals but did not take bath every time, just washed hands, face and removed ash from hair and clothes. It NEVER harmed me.

  5. aatma ek sooksham our divvy urja hai marti nahi shareer ek radio ki tarah hai ,bijli band hone kay baad radio bhi band

  6. Jai shree ram वैज्ञानिक के नजरिए से ठीक है और ब्राम्हण के नजरिए से

  7. Sab bakwass hai …aisa kuch nhi hota aapni aapni soch hoti hai …..aaur kuch ni hai ..hame to jinde insaan se darna chaiye mare hue se kya darna …..think positive b positive

  8. ek hindu hi hai jo apne dharm me kami nikalta hai.. kabhi gita padhta nahi kabhi ramayan. puraan padhta nahi dosh bhagwaan pr deta hai.. tab hi to hindu jati khatam hoti ja rhi hai.. muslim ko dekho.. aaj unka dharm aatank sikhata h.. to bhi wo yakeen nahi krte apne allah pr bharosha krte hain aur hindu.. bhagwaan par hasta hai..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button