दुनिया का सबसे विषैला जानवर न तो सांप है और न ही बिच्छू, यह वास्तव में बॉक्स जेलीफ़िश है – 60 से अधिक लोगों को मारने के लिए पर्याप्त जहर से ये प्राणी लैस रहता है। लेकिन अब शोधकर्ताओं ने इससे बचने और इसके जरह के इलाज के लिए एक antidote की खोज की है, जो कि इस प्राणी के डंक से निकलने वाले सबसे घातक जहर से हमारी रक्षा कर सकेगा।
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एक अणु जो जहर को काटता है
नेचर कम्युनिकेशंस में अपने निष्कर्षों को प्रकाशित करते हुए , सिडनी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक ऐसे अणु की पहचान करने में कामयाबी हासिल की, जो इस विष के प्रतिपदार्थ का काम करता है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अब तक, उन्होंने केवल मानव कोशिकाओं पर एक डिश और चूहों में इसका परीक्षण किया है, इसलिए अभी भी शुरुआती दिन हैं।
बॉक्स जेलीफ़िश और उसका घातक जहर
अपने क्यूबॉइड आकार के लिए नामित, ऑस्ट्रेलियाई बॉक्स जेली ( (Chironix fleckeri) में 60 टेंटेकल्स ( tentacles) होते हैं, जिनमें से प्रत्येक 3 मीटर (10 फीट) तक लंबा होता है और लाखों जहर से भरे हुकों से भरा होता है। इस शक्तिशाली विष का उद्देश्य शिकार को जल्दी से मारना होता है, ताकि अपने को छुड़ाने के प्रयास में इसके टेंटेकल्स को हानि ना पहुँचा दे।
इस घातक समुद्री जीव को ज्यादातर उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के तट और पूरे इंडो-पैसिफिक जल में पाया जा सकता है, ये मछली और झींगुरों का शिकार करते वक्त 7.5 किलोमीटर (4.6 मील) प्रति घंटे की गति पकड़ते हैं।
दर्दनाक मौत देता है जहर
अगर कोई भी बदकिस्मत जीव इनके टेंटेकल्स में फस जाता है तो वह बेचारा इनके जहर से तुंरत मर जाता है, उसकी मौत भी काफी दर्दनाक होती है, कई बार शिकार कष्टदायी दर्द, त्वचा परिगलन और हृदय के रूक जाने के कारण कुछ ही मिनटो में मर जाता है। कई पीड़ित सदमे में चले जाते हैं और डूब जाते हैं क्योंकि दर्द बहुत गंभीर होता है।
जो लोग इस जैली फिस से मुठभेड़ में बच जाते हैं वो कई महीनों तक इस दर्द का सामना करते हैं, कई बार असहनीय दर्द होने के कारण उनका रोज का जीवन भी बेकार होने लगता है।
सिडनी के स्कूल ऑफ लाइफ एंड एनवायर्नमेंटल साइंसेज के एक एसोसिएट प्रोफेसर ग्रेग नेली ने कहा , “यह बहुत ही रोमांचक है।”
CRISPR जीनोम-संपादन तकनीक से बचा सकते हैं लोगों को
“हम देख रहे थे कि विष कैसे काम करता है, यह समझने की कोशिश करने के लिए कि यह दर्द का कारण कैसे बनता है। नई CRISPR जीनोम-संपादन तकनीकों का उपयोग करके हम जल्दी से पहचान सकते हैं कि यह विष मानव कोशिकाओं को कैसे मारता है। सौभाग्य से हमारे पास पहले से ही एक दवा थी जो उस पर कार्य कर सकती थी, हमने चूहों पर विष निरोधक के रूप में इस दवा की कोशिश की, तो हमने पाया कि यह टिशू के दाग और जेलीफ़िश के डंक से संबंधित दर्द को रोक सकता है। ”
CRISPR एक ऐसी तकनीक है जो वैज्ञानिकों को एक जीव के भीतर आनुवंशिक सामग्री को जोड़ने, हटाने या बदलने की अनुमति देती है। यह मनुष्यों में एक दुर्लभ रक्त विकार का इलाज करने के लिए कुत्तों में मांसपेशियों के डिस्ट्रोफी को ठीक करने से लेकर सभी प्रकार की चीजों के लिए उपयोग किया जाता है ।
शोधकर्ताओं ने इस तकनीक का प्रयोग करके लाखों मानव सैल्स में जीन्स का परीक्षण किया और कई बार की कोशिशो में ये देखा कि कौन से सैल्स इस जैली फिश के जहर से बच रहे हैं और कौन से सैल्स खत्म हो जाते हैं। इससे उन्हें ये अनुमान है कि आगे वे इस तकनीक की मदद से बॉक्स जेलीफ़िश के जहर को तोड़ पाने में पूरी तरह कामयाब हो जायेंगे।
ऐसे बनेगा एंटीडोट
“इस अध्ययन में हमने जो जेलिफ़िश विष कै फेलने के मार्ग की पहचान की है, उसके लिए कोलेस्ट्रॉल की आवश्यकता होती है, और चूंकि बहुत सारी दवाएं उपलब्ध हैं, जो कोलेस्ट्रॉल को टारगेट करती हैं, तो हम इससे इस जहर के फैलने के मार्ग को बंद कर सकते हैं, जिससे ये जहर फिर फैल ही नहीं पायेगा। और इसके लिए हमने पहले एक ऐसी दवाई ली जो कि कोलेस्ट्रॉल को टारगेट करती थी, और इंसानो के लिए सुरक्षित थी तो उसने इस काम को करने में सफलता पाई है, और हमें उम्मीद है हम आगे इससे भी बेहतर दवाई और एंटीडोट बनाकर सभी को बचा सकते हैं ” प्रमुख लेखक डॉ रेमंड लाउ ने कहा ।
15 मिनट में लगाना होगा
टीम ने पाया कि चूहों और मानव कोशिकाओं में, उनके एंटीडोट ने त्वचा के परिगलन, निशान और दर्द को रोका। अब आगे टीम इससे ये भी देखना चाहती है कि क्या ये दिल के दौरौं को भी रोक सकता है।
एंटीडोट को त्वचा पर डंक लगने के 15 मिनट के भीतर लगाने की जरूरत होती है। शोधकर्ताओं ने अपने परीक्षण के दौरान इसे इंजेक्ट किया, लेकिन उन्हें एक सामयिक स्प्रे विकसित करने की उम्मीद है। वे वर्तमान में अपने शोध को आगे बढ़ाने के लिए धन के लिए आवेदन कर रहे हैं।