आज के समय में पूरे देश या यूं कहें की पूरी दुनिया को कोरोना ने अपने चपेट में ले लिया है। खैर वर्तमान के स्थिति की बात करें तो, केवल भारत में ही 3,50,000 से ज्यादा सक्रिय मामले हमें प्रति दिन देखने को मिल रहें है। ऐसे में भारत एक बहुत ही कठिनाई भरे दौर से गुजर रहा है और इस संकट के घड़ी में हमें एक जुट हो कर कोरोना के इस नए वैरिएंट (new variants of coronavirus) से लढना होगा। मित्रों! पिछले साल के मुक़ाबले कोरोना का ये नया प्रकार काफी ज्यादा सक्रिय और जानलेवा हो रहा है।
हमें रोज अखबारों और न्यूज़ में सुनने को मिल रहा है कि, आज कोरोना ने इतने लोगों की जान ली, आज कोरोना का संक्रमण इतने लोगों तक फैला और क्या कुछ नहीं। हर एक जगह आपको कोरोना के द्वितीय लहर या तीसरे म्यूटंट के बारे में कई सारे बातें सुनने को मिल रहीं होंगी। परंतु क्या आपको कोरोना के इस नए प्रकार (new variants of coronavirus) के बारे में कुछ भी पता है? क्या आपको इसके गुणों और काम करने के ढंग के बारे में पता हैं? क्या आपको इसके अंदर मौजूद जैनेटिक मटिरियल के बारे में पता है?
मित्रों! इतने सारे सवालों का जवाब शायद ही कभी आपको एक साथ पढ़ने को मिलें। इसलिए मैंने सोचा की, क्यों न एक लेख इसी विषय पर ही लिख डालूँ ताकि कम से कम कुछ लोगों को तो इसके बारे में पता चले।
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कोरोना के इस नए वैरिएंट के बारे में आप कितना जानते हैं? – New Variants Of Coronavirus
कोरोना के इस नए वैरिएंट (new variants of coronavirus) को लेकर लोगों के मन में जो पहला सवाल आता हैं वो ये हैं की, आखिर पिछले साल से इस साल का कोरोना इतना ज्यादा खतरनाक क्यों हो गया हैं? तो, मित्रों देखिये पिछले साल का कोरोना या यूं कहें की कोरोना का प्रथम लहर (corona’s first wave) एक तरह से काफी सरल या प्रारंभिक वायरस था। आप इसे COVID-19 वायरस का फ़र्स्ट जेनेरेशन या प्रथम पीढ़ी भी कह सकते हैं। उस समय ये वायरस अपने जैनेटिक मटिरियल को वर्तमान की तरह म्यूटेट यानी चैंज भी नहीं करता था।
इसलिए ये वायरस आज के वायरस के मुक़ाबले कमजोर था। बता दूँ की, कोरोना जो है वो एक डबल स्ट्रांडेड RNA (आरएनए) वायरस हैं और RNA वायरस की एक खास ये होता हैं की, ये काफी तेजी से अपने अंदर म्यूटेशन करवा सकते हैं। इसलिए समय के साथ-साथ ये वायरस और भी ज्यादा जानलेवा और सक्रिय होते जाते हैं। पिछले साल के मुक़ाबले कोरोना वायरस के अंदर कई सारे म्यूटेशन को देखा गया हैं। पिछले साल सितंबर में इंग्लैंड में ऐसे ही एक म्यूटेशन को देखा गया था, जिसको की B.1.1.7 का नाम दिया गया।
ठीक इसी तरह B.1.351 के नाम का एक अलग म्यूटेशन ब्राज़ील और उत्तरी अमेरिका के कई सारे क्षेत्रों में पाया गया। ऐसे में भारत में जो वायरस फैला हुआ हैं वो ज़्यादातर इंग्लैंड से आए म्यूटेट वायरस के जैसा ही हैं और इसे सही समय पर रोकना जरूरी हैं। नहीं तो बाद में ये फिर से म्यूटेट हो कर एक नए रूप में काफी तबाही मचा सकता हैं।
क्या कोरोना की वैक्सीन कोरोना के इन नए वैरिएंट पर काम करेंगे? :-
वर्तमान के समय में कोरोना के नए वैरिएंट (new variants of coronavirus) के खतरों को देखते हुए भारत के सरकार ने मुफ़्त में कोरोना के वैक्सीन का वितरण जारी किया। अभी तक भारत में लगभग 13.9 करोड़ लोगों को इस वैक्सीन का एक डोज़ मिल चुका हैं और लगभग 1.6% जनता को ही वैक्सीन के दो डोजेज़ मिलें हैं। ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल चल रहा हैं की, क्या कोरोना का वैक्सीन काम करता हैं?
वैज्ञानिकों का मानना हैं की, कोरोना के वैक्सीन को कोरोना के फ़र्स्ट जेनेरेशन को देख कर बनाया गया था। इसलिए कई क्षेत्रों में ये कोरोना के नए स्ट्रैंड के सामने शायद ठीक से काम न करें, परंतु ऐसा भी कहना गलत होगा की “ये कुछ काम ही नहीं करता हैं”। मित्रों! दिन व दिन कोरोना अपना रूप म्यूटेशन के जरिये तेजी से बदल रहा हैं और हर एक म्यूटेशन के बाद वैक्सीन को बना पाना संभव ही नहीं हैं। इसलिए आप भी अपने समय आने पर वैक्सीन को अवश्य ही लगाएँ, ताकि कुछ तो सुरक्षा आपको कोरोना से मिल सके।
और एक ध्यान देने वाली बात ये हैं की, वैक्सीन लेने के बाद भी लोगों के अंदर कोरोना के लक्षण पाये गए हैं। इसलिए अगर आपको कोरोना वैक्सीन मिल चुका हैं तब भी आपको सामाजिक दूरता और पर्सनल हाइजीन के ऊपर काफी ध्यान देना होगा। कोरोना के खिलाफ हमें सावधानी हमेशा बरतनी होगी। ढिलाई बिलकुल भी नहीं देनी हैं।
क्या कोरोना का ये नया वैरीएंट पिछले वेरिएंट से ज्यादा खतरनाक हैं? :-
वैज्ञानिकों के अनुसार कोरोना वायरस (new variants of coronavirus) में एक ऐसा म्यूटेशन आया हैं, जिसने की इस वायरस को हद से ज्यादा खतरनाक बना दिया हैं। इस म्यूटेशन ने इंसानों के अंदर होने वाले संक्रमण को काफी ज्यादा बढ़ा देने के साथ ही साथ जानलेवा भी बना दिया हैं। इसी कारण से आज लोगों में संक्रमण काफी तेजी व आसानी से फैल रहा हैं। इसके चलते सक्रिय मामले काफी अधिक आ रहें हैं और साथ में मृत्यु दर भी अपने चरम पर पहुँच रहा हैं।
इसके अलावा वैज्ञानिकों का मानना हैं की, वायरस का जो स्ट्रेन इंग्लैंड से आया हैं वो काफी ज्यादा घातक हैं। इस स्ट्रैंड का वायरस लोगों के अंदर काफी गंभीर बीमारियाँ भी उत्पन्न करवा सकता हैं। हालांकि इस बात को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता की, वायरस जितनी तेजी से फैल कर घातक बनेगा उतनी ही तेजी से वो बेअसर भी होना शुरू हो जाएगा। क्योंकि वायरस काफी घातक होने के कारण मृत्यु दर बढ़ेगा जिससे वायरस का संक्रमण अच्छे से फैल नहीं पाएगा और ये बेअसर होने लगेगा।
अभी तक इंग्लैंड से आए कोरोना के इस नए वैरिएंट में लगभग 17 म्यूटेशन देखने को मिलीं हैं। वायरस के आउटर लेयर में म्यूटेशन हो कर कील (spike) के आकार के कई सारे प्रोटीन देखने को मिलीं हैं, जिसे की “स्पाइक प्रोटीन” भी कहा जा रहा हैं। ये स्पाइक प्रोटीन इंसानी शरीर के नाक और फेफड़ों में अच्छे तरीके से जुड़ कर बीमारी को और भी तेजी से बढ़ा रहें हैं।
कोरोना का ये नया वैरिएंट बच्चों और किशोरों को भी अब कर रहा हैं बहुत ही बीमार! :-
लोगों के मन में ये एक भावना बैठ गया हैं की, कोरोना सिर्फ बुजुर्गों को ही होता हैं और बुजुर्ग लोग ही सिर्फ इससे जान गवा रहें हैं। परंतु दोस्तों! ये जो आपकी भावना हैं ये बहुत ही गलत हैं और ये गलत सोच आपकी जान भी ले सकता हैं। मित्रों! आपको मेरा उद्देश्य डराना नहीं हैं बल्कि सतर्क कराना हैं।
आज के समय में बच्चों से लेकर किशोरों तक और किशोरों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी के अंदर कोरोना एक ही ढंग से अपना संक्रमण फैला रहा हैं। इसलिए कोरोना के इस नए स्ट्रैंड से (new variants of corona virus) हमें काफी बच कर रहना होगा। इसके अलावा वैज्ञानिकों का मानना हैं की, आने वाले समय में हमें कोरोना के अंदर और म्यूटेशन देखने को मिल सकते हैं जो की आज के मुक़ाबले काफी शक्तिशाली और तेजी से संक्रमण करने वाले हो सकते हैं।
जैसे-जैसे नए लोगों तक ये वायरस पहुँच रहा हैं, वैसे-वैसे ये अपने नए रूपों को दिखाता जा रहा हैं। आलम ये हैं की, अब हर सप्ताह कोरोना में म्यूटेशन को देखा जा रहा हैं। ऐसे में कोरोना से लढने के लिए पहले से तैयार दवाइयाँ बेअसर साबित हो रहें हैं। मित्रों! इसलिए कोरोना को हम सिर्फ सावधानियाँ बरत कर ही कम कर सकते हैं।
Source :- www.hopkinsmedicine.org