बाबा बर्फानी जैसे नामों से प्रसिद्ध गुफा अमरनाथ हिन्दुओं का प्रसिद्ध धारमिक स्थल है। इसकी सुंदरता का वर्णन करना असंभव है, प्रकृति की गोद में बने इस स्थान के बारे में कहा जाता है कि यह भगवान भोलेनाथ का विश्राम स्थल है।
हिन्दुओं में इस गुफा और बाबा बर्फ़ानी का बड़ा महत्व है. लेकिन कभी आपने सोचा है कि आखिर इस गुफा में ही शिवलिंग क्यों बनता है? धर्म की मान्यता से हट कर अगर हम इसका वैज्ञानिक आधार खोज़ें तो इससे जुड़े कई रहस्य हमारे सामने आते हैं।
इस गुफा के ऊपरी हिस्से से पानी की बूंदें टपकती हैं और यही बूंदें ठोस हो कर शिवलिंग का आकार ले लेती हैं. इस शिवलिंग की ख़ास बात ये है कि ये चांद के आकार के साथ बढ़ता है और उसी के साथ छोटा हो जाता है. अमावस्या के दिन ये पूरी तरह से विलुप्त हो जाता है।
अब सवाल ये उठता है कि जब पूरी गुफा में पानी की ऐसी बूंदें टपकती हैं तो सिर्फ़ एक जगह ही बर्फ शिवलिंग का आकार क्यों लेती है और वो भी ठोस रूप में. क्योंकि पूरी गुफा में जो बर्फ पाई जाती है वो भुरभुरी होती है. एक बात और जो आश्चर्य में डालती है कि विज्ञान के अनुसार बर्फ़ जमने के लिए शून्य डिग्री का तापमान चाहिए होता है. लेकिन अमरनाथ गुफा में ये जून जुलाई के महीने में ही जमती है।
इस सवाल पर वैज्ञानिक कहते हैं कि गुफा की दीवारों के छिद्रों से आने वाली हवा पानी को जमा देती है. लेकिन इस तथ्य पर अभी तक किसी भी वैज्ञानिक ने मुहर नहीं लगाई है।
मान्यता और विज्ञान के बीच इस गुफा और इसमें बनने वाले शिवलिंग की मान्यता में हर रोज़ बढ़ौत्री हो रही है. लाखों श्रद्धालु यहां हर साल बाबा के दर्शन करने आते हैं. विज्ञान भी आज तक पूर्ण रुप से बाबा बर्फ़ानी के बनने का जवाब नहीं दे पाया है. ये श्रद्धा और चमत्कार ही है कि इतने सालों से बाबा बर्फ़ रुप में अपने भक्तों को दर्शन देते आए हैं।