अंतरिक्ष एक तरह से पृथ्वी की भांति ही एक पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) है, हालांकि इस तंत्र में आप लोगों को जीवित प्राणियों की जगह सितारे, ग्रह-उपग्रह, धूमकेतु, तारा मंडल और कई अन्य खगोलीय चीज़ें दिखने को मिलेंगी। वैसे पारिस्थितिकी तंत्र कहने से मेरा ये तात्पर्य है की, अंतरिक्ष में जितनी भी घटनायें घट रहीं है और घटती आ रहीं है उसका हमारे वर्तमान तथा भविष्य के ब्रह्मांड की संरचना पर काफी ज्यादा प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए आप अरबों वर्ष पहले घटी इन दो महाविशालकाय ब्लैक होल्स की टक्कर (black hole collision) को ही देख सकतें है।
जी हाँ! मित्रों आप लोगों ने बिलकुल सही सुना। हमारे ब्रह्मांड में अरबों साल पहले घटी इस घटना ने आज हमारे ब्रह्मांड की रूप रेखा ही बदल दी है। दो ब्लैक होल्स के मध्य घटी ये टक्कर (black hole collision) सिर्फ टक्कर ही नहीं, परंतु एक बहुत बड़ी ऐतिहासिक घटना भी है जिसको वैज्ञानिकों ने आज सफलता के साथ समझ लिया है। तो, दोस्तों आज के इस लेख का विषय इसी टक्कर के ऊपर ही रहेगा और इसी के बारे में ही हम बहुत से रोचक तथ्यों के बारे में जानेंगे।
इसलिए लेख के अंत तक मेरे साथ बने रहिए और इस अभूतपूर्व घटना से जुड़ी सनसनी बातों को जानते रहिए।
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सात अरब साल पहले घटी इस घटना ने बदल डाला पूरे अंतरिक्ष को! – Largest Black Hole Collision In Hindi :-
अकसर कुछ घटनाएँ हमारे जीवन को बदल ही डालती है और कुछ इसी तरह का घटना हमारे अंतरिक्ष के साथ भी हुआ है। लगभग सात अरब साल पहले दो विशालकाय ब्लैक होल के मध्य होने वाली टक्कर ने हमारे पूरे अंतरिक्ष को बदल डाला था। वैज्ञानिक कहते हैं की, ये टक्कर बहुत ही ज्यादा दुर्लभ थी क्योंकि ऐसी घटना अरबों साल में सिर्फ एक ही बार घटती है। वैसे ध्यान देने वाली बात ये है कि इस घटना के बाद उस समय अंतरिक्ष में मौजूद सबसे बड़े ब्लैक होल का निर्माण हुआ था।
मित्रों! बता दूँ की दो ब्लैक होल्स की टक्कर (black hole collision) से बना ये महा विशालकाय ब्लैक होल आकार में इतना बड़ा था की, खुद वैज्ञानिक भी हैरानी में पड़ गए की क्या वाकई में कभी इतने बड़े ब्लैक होल का निर्माण भी संभव हो सकता है या नहीं। तो, इस महा विशालकाय ब्लैक के आकार के बारे में कल्पना भी करना हमारे सोच से कोषों दूर है।
आखिर कैसे पता लगा इन तरंगों के बारे में? :-
इस महा विशालकाय ब्लैक होले ने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया। विश्व के हर भौतिक विज्ञानी ने इसके अस्तित्व के ऊपर कई सारे प्रश्न भी किए। वैसे इस ब्लैक होल के होने का पहला सबूत हमें साल 2019 में ही मिल गया था, जब अमेरिका और इटली में स्थित Laser Interferometer Gravitational-Wave Observatory (LIGO) और Virgo ने दो ऐसे तरंगों को ढूंढा था जो इस ऐतिहासिक घटना की और इंगित कर रहीं थी। वैज्ञानिकों के अनुसार LIGO ने जो तरंगों को ढूंढ कर निकाला था वो लगभग 2.5 अरब साल पुरानी थी, तो हम कह सकते हैं की ये तरंगें हम तक पहुँचने के लिए लगभग 2.5 अरब प्रकाश वर्ष की दूरी तय की है।
2.5 अरब साल पुरानी ये तरंगें आखिर हमें क्या दिखाना चाहती हैं! :-
हमारे अंतरिक्ष में 7 अरब साल पहले घटी दो ब्लैक होल के टक्कर की घटना (black hole collision) वैज्ञानिकों को इन दो 2.5 अरब साल पुरानी दो तरंगों ने ही दिया है। परंतु मित्रों! इस घटना के बारे में बताने के साथ-साथ ये हमें कई अन्य तथ्यों के बारे में बताना चाहती है। तो, आखिर वो तथ्य क्या हैं चलिये आगे जानते है।
वैज्ञानिकों को इन तरंगों से पता चला है की, लगभग साथ अरब साल पहले दो ऐसे विशालक्या ब्लैक होल की टक्कर हुई है जिनका द्रव्यमान (Mass) क्रमानुसार सूर्य से 85 गुना और 66 गुना ज्यादा है। तो, आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं की इस टक्कर से बनने वाला ब्लैक होल कितना बृहत होगा। वैज्ञानिक कहते हैं की, टक्कर से बनने वाला ब्लैक होल सूर्य के द्रव्यमान से लगभग 142 गुना ज्यादा है। वैसे और एक रोचक बात ये हैं की, इतनी बड़ी टक्कर ने पूरे अंतरिक्ष को ही थर्रा डाला था। कई तारा मंडलों से लेकर हमारे सौर-मंडल तक हर जगह इस टक्कर की कंपन पहुँच चुकी है। इस से निकलने वाली ऊर्जा वाकई में बहुत ही ज्यादा थी जो की शायद हमारे पूरे अंतरिक्ष के संरचना को बदलने में सक्षम रही होगी।
इतनी दूरी को तय करके यहाँ तक पहुँचने के कारण ये दो तरंग बहुत ही ज्यादा क्षण स्थायी थी, वैज्ञानिकों के अनुसार ये तरंग एक सेकंड 1/10 हिस्से में ही अपना अस्तित्व खो बैठी थी। परंतु, गौरतलब बात ये हैं की, इतने कम समय के अंदर ही ये इतने तीव्र थे की वैज्ञानिकों को इससे कई सारे बातों के बारे में पता चला गया था।
तरंगों के द्वारा कैसे पता चला महाकाय ब्लैक होल के अस्तित्व के बारे में? :-
ऐतिहासिक टक्कर के (black hole collision) बारे में पता चलने से पहले, वैज्ञानिकों को दो तरह के ब्लैक होल के बारे में पता था। एक तो स्टेलर मास ब्लैक होल (Stellar-Mass Black Hole) और एक है सुपरमैसिव ब्लैक होल (Supermassive Black Hole)। मित्रों! बता दूँ की, स्टेलर मास ब्लैक होल सितारों के विघटन से बनता है परंतु सुपरमैसिव ब्लैक होल कई आकाशगंगाओं और तारा मंडलों की समूहिक विघटन से बनता है और टक्कर से बनने वाला ये महाकाय ब्लैक होल भी एक सुपरमैसिव ब्लैक होल ही है जो की हमें इसके विशालता और अस्तित्व का भी बोध करवाता है।
मित्रों! ब्लैक होल से संबंधित और एक खास बात ये भी हैं की, हमें इनके बनने के बारे में सटीक तौर पर ज्यादा कुछ पता नहीं हैं। कई वैज्ञानिक ये भी कहते हैं की, कई सारे स्टेलर मास ब्लैक होल के मिलन से भी सुपर मैसिव ब्लैक होल का निर्माण होता है। क्योंकि एक सुपरमैसिव ब्लैक होल और एक स्टेलर मास ब्लैक होल के अंदर द्रव्यमान (Mass) का काफी ज्यादा अंतर दिखता है जिसे की “Mass Gap” भी कहा जाता है।
अध्ययन से पता चला है की, इसी “Mass Gap” को भरने के लिए कई सारे स्टेलर मास ब्लैक होल आपस में मिलकर “Mass Gap Black Hole” का निर्माण करते हैं। बाद में चलकर यही मास गैप ब्लैक होल सुपरमैसिव ब्लैक होल को बनाते है। हालांकि! फिर बता दूँ की, अभी तक सुपरमैसिव ब्लैक होले के बनने की प्रक्रिया एक रहस्य ही बना हुआ है।
निष्कर्ष – Conclusion :-
ऐतिहासिक ब्लैक होल के टक्कर (black hole collision) से आए ये दोनों तरंगें हमें ब्लैक होल से जुड़ी और एक खास बात के बारे में बताते है। अब तक हमने जाना की, सितारों के विघटन से ब्लैक होल का निर्माण होता हैं परंतु क्या ये बात पूरी तरीके से सच है! जी नहीं, ये बात पूरे तरीके से सच नहीं है। ब्रह्मांड में मौजूद हर एक सितारा ब्लैक होल नहीं बन सकता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार सूर्य के द्रव्यमान के तुलना में 66 से 120 गुना ज्यादा द्रवमान वाले सितारे ही विघटित हो कर एक ब्लैक होल का निर्माण ज्यादा बेहतर तरीके से कर सकते हैं (हालांकि इसमें भी कई सारे विरोधाभास भी हो सकती है)। जैसा की ये महाकाय ब्लैक होल है जो की सूर्य के द्रव्यमान के तुलना में 142 गुना ज्यादा है। इतने बड़े आकार के ब्लैक होल को ढूंढ पाना एक बहुत ही बड़ी बात है और हमें ऐसे ब्लैक होल के बारे में ज्यादा कुछ पता भी नहीं है।
कुछ वैज्ञानिक ये भी कहते हैं की, हमारे ब्रह्मांड में इस महाकाय ब्लैक होल के अलावा भी और ज्यादा बड़े ब्लैक होल मौजूद हो सकते है। आशा है की, पृथ्वी पर LIGO और Virgo नाम के जो डिटेक्टर है वो आगे चल कर ऐसे ही बड़े-बड़े ब्लैक होल को ढूँढने में हमारी काम आएंगे।
Source :- www.livescience.com.