भारतीय अंतरिक्ष संस्थान (ISRO) आने वाले समय में कई हैरतअंगेज़ मिसनों को अंजाम देने वाली हैं, जो की भारतीय अंतरिक्ष खोज के दिशा में एक नया मुकाम हासिल करेगा। आज के समय में हम सभी ISRO की अपूर्व ज्ञान कौशल और तकनीक से अच्छे से रूबरू हो चुके हैं। आखिर कैसे कोई चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 मिसन की सफलता को भूल सकता हैं। वैसे मेँ आपको बता दूँ की आने वाले समय में ISRO बहुत सारी महत्वाकांक्षी मिशन को करने में प्रतिबद्ध हैं, जिसमें से गगनयान मिशन सबसे प्रमुख हैं। हाल ही में ISRO ने इसी गगनयान मिशन की अगूबाई के लिए मानवकृति एक रोबोट को (Vyommitra in hindi) बनाया है।
यह रोबोट (Vyommitra in hindi) न बल्कि भारतीय वैज्ञानिकों का मार्ग दर्शन करेगी परंतु उनकी अंतरिक्ष में मदद भी करेगी | वैसे तो देखने में महिलाकृति के जैसा यह रोबोट काफी सारे अद्भुत कामों को अंजाम दे सकती हैं | इसके अलावा गौरतलब बात यह भी है की, अंतरिक्ष में पहली बार भेजे जाने वाली यह दुनिया का प्रथम महिला रोबोट होगी। इसलिए इसके बारे में जानना और भी ज्यादा हमारे लिए जरूरी हो जाता हैं।
तो, चलिए मित्रों आज के इस लेख के अंदर हम लोग इसी आधुनिक तकनीक से बनी प्रथम भारतीय अंतरिक्ष में भेजे जाने वाली रोबोट के बारे में कई नए तथ्यों को जानते हैं।
व्योममित्रा कौन हैं ? – Who Is Vyommitra In Hindi ? :-
“व्योम” यानी “अंतरिक्ष” और “मित्र” यानी “दोस्त” ; व्योममित्र यानी अंतरिक्ष का एक दोस्त | तो, यह एक रोबोट हैं जिसको भारतीय अंतरिक्ष संस्थान ने हाल ही में बनाया हैं | वैसे यह एक हयूमनोइड रोबोट हैं | इसलिए देखने में तो यह हूबहू इंसानों के ही तरह दिखती हैं, परंतु इसके अंदर मौजूद यंत्र इसे एक रोबोट के भांति ही परिचालिता करती हैं |
मित्रों ! मेँ आपको यहाँ और भी बता दूँ की इस रोबोट की टांग नहीं हैं इसलिए इसे आधा इंसान भी कहा जा सकता हैं | इसको देखने के लिए भारत भर से लोग आए थे क्योंकि यह अपने-आप में ही एक उन्नत और अनोखा रोबोट हैं | वैसे रोबोट से याद आया की मैंने इससे पहले दुनिया में मौजूद कुछ गज़ब के रोबोटों के बारे में एक बहुत ही अच्छा लेख आपके लिए लिखा हुआ हैं |
उस लेख के अंदर आप सभी लोगों को व्योममित्रा (vyommitra in hindi) के ही तरह अन्य कई प्रकार के भविष्यवादी रोबोटों के बारे में पढ़ने को मिलेगा जो की काफी अनोखा भी हैं | इसलिए अगर आप उन सभी अद्भुत रोबोटों के बारे में जानना चाहते हैं तो उस लेख को अवश्य ही एख बार जरूरु पढ़िएगा | वैसे व्योममित्रा रोबोट को आने वाले समय में भारतीय अंतरिक्ष मिसनों के लिए प्रस्तुत किया जा रहा हैं | वैसे यह रोबोट अपने प्रारंभिक अवस्था में जो की बाद में काफी ज्यादा डेभलप होने वाला हैं |
इसी कारण से शायद हमें भविष्य में इससे भी अधिक विकसित रोबोट देखने को मिल सकते हैं| मित्रों! आपका इसके बारे में क्या कहना हैं ! क्या आने वाले समय में आप लोगों को भी ऐसे ही अनोखे और उन्नत रोबोट देखने में रुचि होगी ? क्या ISRO इससे भी अधिक विकसित रोबोटों को बना सकेगा ?
व्योममित्रा के कुछ अद्भुत क्षमताएं ! :-
व्योममित्रा के सबसे पहली और महत्वपूर्ण क्षमता है की, वह भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिसन गगनयान से जुड़ी बहुत कुछ जानकारी जुटा सकती हैं | इसके अलावा वह अंतरिक्ष में मौजूद स्पेस मॉड्यूल (Space Module) की पैरामीटरों को भी सही से नियंत्रित कर सकती हैं | मित्रों! मेँ आपको यहाँ बता दूँ की अभी तक इन पैरामीटरों को इंसानों के द्वारा मन्युल तरीके से नियंत्रित किया जाता था, परंतु व्योममित्रा (vyommitra in hindi) के जरिये इसे कुछ हद तक स्वतः भी नियंत्रित किया जा सकता हैं | यानी आप कह सकते हैं की, पैरामीटरों की जानकारी अब औटोमेटेड हो जाएगा |
इसके अलावा व्योममित्रा की तीसरी सबसे बड़ी क्षमता है की यह अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यात्रीओं को आने वाले संभव दुर्घटनाओं के बारे में भी सूचित कर सकता हैं | अब तक भारत के पास अंतरिक्ष में छोड़े गए किसी भी मॉड्यूल में ऐसा कोई विकल्प नहीं था | इसके अलावा गगनयान जैसी मानवयुक्त मिसनों में अंतरिक्ष में घटने वाली दुर्घटनाओं के कारण भी जान की हानि का खतरा भी बहुत अधिक था, जो की अब व्योममित्रा कुछ हद तक कम कर देगी | वाकई में यह रोबोट भारतीय वैज्ञानिकों के लिए एक वरदान सा साबित हो सकती हैं |
व्योममित्रा की चौथी सबसे बड़ी क्षमता हैं की, यह अंतरिक्ष में घटने वाली किसी भी दुर्घटना के दौरान लाइफ सपोर्ट ऑपरेशन को स्वतः रूप से कार्यक्षम कर सकती हैं | इससे अंतरिक्ष यात्रीओं की जान सही सलामत बचाई जा सकती हैं | मित्रों ! आपको जानकार हैरानी होगी, परंतु अंतरिक्ष में किसी भी समय कुछ भी हो सकता हैं | थोड़ी और छोटी सी चूक पूरे मिसन और मिसन के लिए चुने गए लोगों की जान को खतरे में डाल सकता हैं | इसलिए व्योममित्रा की यह क्षमता बहुत ही सराहनीय भी हैं, क्योंकि यह एक हिसाब से अंतरिक्ष में वैज्ञानिकों की अमूल्य जान को भी बचा रही हैं |
यह भी इसके अन्य विशेष क्षमताएं :-
जैसा की मैंने आपको पहले ही बताया हैं व्योममित्रा (vyommitra in hindi) एक तरीके से मानवाकृति रोबोट हैं | इसलिए कुछ हद तक यह इंसानों के भांति ही काम कर सकती हैं | मित्रों ! अंतरिक्ष यानों के अंदर यह हर वक़्त कमांड कैप्सूल में रहकर इसकी निगरानी भी कर सकती हैं | इसके अलावा यह वैज्ञानिकों के भांति ही यह सिस्टम को चेक करके सही हैं या नहीं यह भी बता सकती हैं |
इसके अंदर एक पर्यवेक्षण करने की क्षमता भी डाली गई हैं, जिससे यह जुटाए गए तथ्यों को विश्लेषण करके पृथ्वी पर अमूल्य डेटा को पहुंचा सकती हैं | इस्रो के मुख्य के. शिवन का कहना है की, प्रारंभिक अवस्था में व्योममित्रा उनके द्वारा आने वाले समय में किए जाने वाले शोधों में अंतरिक्ष का इंसानों के ऊपर कैसा प्रभाव पड़ता हैं, उसको समझने में यह बहुत मदद करेगी | इंसानों को ही यह रोबोट उन शोधों के अंदर सिमुलेट करेगा, जो की भारतीय वैज्ञानिकों की अंतरिक्ष से जुड़ी विचार तथा चिंताधाराओं को एक नया आकृति देने में सक्षम होगा | विज्ञान के क्षेत्र में न जाने आज तक कितने सारे रोबोट बने, परंतु हमारा यहाँ पर पूर्ण विश्वास है की यह रोबोट एक दिन अंतरिक्ष में भारत का नाम अवश्य ही ऊंचा करेगा |
निष्कर्ष – Conclusion :-
इस साल दिसंबर के महीने में अंतरिक्ष की यात्रा करने जा रहे यह रोबोट व्योममित्रा (vyommitra in hindi) अपने साथ-साथ कई अरमानों को लेकर जाएगा | अन्य देशों के विपरीत भारतीय अंतरिक्ष संस्थान का मानना है की, मानवयुक्त मिसनों की टेस्ट के लिए पशुओं को अंतरिक्ष में छोड़ना बिलकुल भी सहीं नहीं हैं क्योंकि उनका भी जीवन होता हैं | इसलिए इस हयूमनोइड रोबोट को पृथ्वी के लो ओरबिट में प्रक्षेपित किया जाएगा जो की एक तरह से गगनयान मिसन का प्रारंभिक चरण होगा |
जब यह चरण सफलता पूर्वक पूरा हो जाएगा तो, इसके दूसरे चरण में 3719 किलो वजनी एक लो ओरबिट अर्थ मॉड्यूल को छोड़ा जाएगा, जिसके अंदर व्योममित्रा के साथ-साथ दो या तीन अंतरिक्ष यात्री मौजूद होंगे | यह मॉड्यूल लगातार 7 दिनों तक पृथ्वी के सतह से करीब-करीब 402 km ऊंचाई पर मौजूद रह कर पृथ्वी चक्कर काटेगा | यहाँ पर ध्यान देने वाली बात यह है की, वर्तमान के समय में ISS (International Space Station) भी करीब-करीब इसी ऊंचाई पर रह कर पृथ्वी का चक्कर काट रहा हैं | वैसे अधिक जानकारी के लिए मेँ बता दूँ की वर्तमान ISS का पृथ्वी के सतह से ऊंचाई 408 km हैं |
तो, जब यह दोनों स्पेस मॉड्यूल अंतरिक्ष मे मौजूद रहेंगे तो शायद हमें कुछ और रोचक जानकारी मिल पाए | वैसे साल 2022 तक भारत खुद अपने स्वदेशी रॉकेट के माध्यम से अपने अंतरिक्ष यात्रीओं को अंतरिक्ष भेजने में भी सक्षम हो पाएगा अगर सब सफल रहा तो | मुझे तो व्यक्तिगत तौर पर गगनयान मिसन को सफल होते हुए देखने की उत्कंठा अभी से ही हो रही हैं !
Sources :- www.indiatimes.com, www.dailymail.co.uk, www.isro.gov.in.