भारत और पाकिस्तान दोनों दक्षिण एशिया महाद्वीप में आने वाले देश हैं, और दोनो ही देश परमाणु हथियारों से लैस हैं। जहां भारत एक शांतिप्रिय देश है तो पाकिस्तान की सरकार और लोगों को वहां की ताकतवर आर्मी कंट्रोल करके रखती है। भारत में जहां लोकतंत्र है तो पाकिस्तान में लोकतंत्र केवल आर्मी की कृपा से ही चल पाता है।
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कश्मीर और सीमा के ऊपर विवाद
आये दिन दोनों देश में हर पल कश्मीर और सीमा के ऊपर विवाद रहता है, जहां हर पल कई सैनिकों को अपनी जान भी गंवानी पड़ती है। हर समय हालात ऐसे रहते हैं कि मानों कब जंग चालू हो जाये और परमाणु हमला कर दिया जाये। हालांकि हम जितना परमाणु बम को समझते हैं उस हिसाब से ये सबसे घातक बम है जो कि एक ही पल में लाखों-करोंड़ो लोगो की जान ले सकता है। ये इतने घातक बम होते हैं कि कोई भी इन्हें किसी खिलौने की तरह जब मन करे तब नहीं छोड़ सकता है।
परमाणु बम पूरे विश्व के लिए ख़तरा
पाकिस्तान जैसे गैरजिम्मेदार देश के पास अगर परमाणु बम हो तो वो देश पूरे विश्व के लिए ख़तरा बन जाता है। भय स्वाभाविक है क्योंकि परमाणु बम किसी भी परंपरागत अस्त्र के मुकाबले अत्यधिक प्राणघातक होता है। भारत एक शांतिप्रिय देश है तो वह पहले कभी हमला नहीं करेगा पर पाकिस्तान का हम कभी भरोषा नहीं कर सकते हैं। ऐसे में वह कभी भी कुछ कर सकता है।
आइये अब सवाल के उपर चलते हैं कि क्या पाकिस्तान सच में कोई परमाणु बम का हमला कर सकता है? क्या कोई ऐसी संधि है जो ऐसी स्थिति को रोकती हो?
Non-Nuclear Aggression Agreement
अब पहली बात तो यह है कि पाकिस्तान कभी इतना बड़ा जोख़िम नही लेता कि एक वायुयान को परमाणु बम से लैस कर भारत की ओर भेज दे। ऐसा कदम पाकिस्तान के लिए प्राणघातक सिद्ध होता। 1988 में भारत-पाकिस्तान के बीच एक Non-Nuclear Aggression Agreement नामक संधि हुई है जिसकी मुख्य बिंदु इस प्रकार है।
- कोई भी देश एक दूसरे पर अज्ञात रूप से चौंकाने वाला हमला (surprise attack) नही करेगा और न कि किसी अन्य देश को परमाणु अस्त्रों की सहायता प्रदान करेगा।
- इस संधि में कोई भी देश एक दूसरे के परमाणु कॉम्प्लेक्स, इमारतों, और संयंत्रों पर हमला नही करेगा। इसी संधि के तहत भारत और पाकिस्तान हर साल एक दूसरे को उनके परमाणु कॉम्प्लेक्स की जानकारी साझा करते हैं। पिछले वर्ष यह जानकारी दिल्ली-इस्लामाबाद में एक साथ साझा की गई।
तो पाकिस्तान इस संधि को तोड़ नही सकता है। अगर तोड़े तो परिणाम तो भुगतना ही है। TV पर कितना भी शोर सुनाई पड़े चाहे जितना जी मे आये तलवार खड़खड़ाये पर दोनों पक्ष परमाणु मामले बहुत गंभीर होते है।
इनके बटन सीधे देश के सर्वोच्च नेताओ के हाथ मे होते हैं। इसलिए जरूरी है कि अपना प्रधानमंत्री ज़िम्मेदारी से चुनिए क्योंकि आप न सिर्फ देश का प्रधान मंत्री चुन रहे होते हैं बल्कि एक व्यक्ति के हाथ में न्यूक्लियर बटन भी दे रहे हैं।.