Hearing loss in Hindi – हाल ही में हुए एक शोध में यह बात सामने आई है कि जिन लोगों की सुनने की क्षमता में गिरावट होती है उनका मानसिक विकास भी रुक जाता है। हालांकि मानसिक विकास के रुकने के या धीमे होने के कई कारण हो सकते हैं पर विशेषज्ञ सबसे ज्यादा ध्यान लोगों के कानों की सुनने की क्षमता पर दे रहे हैं।
WHO के मुताबिक एक या दोनों कानों में सुनने की क्षमता पूरी तरह से खत्म होने को बहरापन कहा जाता है, जबकि सुनने की क्षमता में पूरी या आंशिक कमी को ‘हीयरिंग इम्पेयरमेंट (Hearing Impairment) ‘ यानी सुनने में परेशानी माना जाता है. दुनियाभर में करीब 36 करोड़ लोग सुनने की क्षमता में कमी के शिकार हैं, जिनमें से एक-दसवां हिस्सा बच्चों का है।
संज्ञानात्मक क्षमता में गिरावट
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के ईएनटी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार सुरेश सिंह नारुका ने आईएएनएस से कहा, “सुनने की क्षमता में कमी संज्ञानात्मक क्षमता में गिरावट का कारण बन सकती है. हमारी दो इंद्रियां – देखने और सुनने की – हमारे संज्ञानात्मक विकास में मदद करती हैं. जब हम सही प्रकार से सुन नहीं पाते, तो इस माध्यम से हमें जो ज्ञान मिलता है, वह सही प्रकार से नहीं मिल पाता. इस प्रकार सुनने की क्षमता में कमी धीरे-धीरे संज्ञानात्मक क्षमता में गिरावट का कारण बनती है.”
नारुका ने आगे कहा, “यहां यह समझना जरूरी है कि दिमाग का विकास और संज्ञानात्मक ज्ञान का विकास धीमी प्रक्रिया है. बुद्धिमत्ता कोई स्थिर चीज नहीं है, यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है. एक या दो दिन में भले ही यह दिखाई न दे, लेकिन कुछ समय की अवधि में किसी व्यक्ति के संज्ञानात्मक व्यवहार में गिरावट नजर आने लगती है.”
अमेरिका में हुआ एक शोध
अमेरिका के ब्रिघैम एंड वूमेन्स हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में 62 वर्ष की उम्र के 10,107 पुरुषों पर एक शोध किया गया. शोधकर्ताओं की टीम को पता चला कि जिन पुरुषों के सुनने की क्षमता में गिरावट नहीं आई थी, उनकी तुलना में सुनने की क्षमता में हल्की गिरावट वाले पुरुषों में 30 फीसदी, सुनने की क्षमता में मध्यम दर्जे की गिरावट वाले पुरुषों में 42 फीसदी और सुनने की क्षमता में गंभीर स्तर की गिरावट वाले पुरुषों में 54 प्रतिशत अधिक संज्ञानात्मक गिरावट पाई गई.
ये लोग हीयरिंग एड्स का इस्तेमाल नहीं करते थे. शोधकर्ताओं ने कहा कि इससे उन लोगों की पहचान करने में मदद मिलेगी जिनमें संज्ञानात्मक गिरावट का ज्यादा खतरा है. साथ ही इससे समय रहते इलाज और बचाव के लिए भी दिशा मिलेगी।
याददाश्त में कमी
दिल्ली के फोर्टिस हॉस्पिटल के ईएनटी कंसल्टेंट वीरेंद्र सिंह ने इस बारे में कहा, “सुनने की क्षमता में गिरावट से जहां बड़ी उम्र के लोगों की याददाश्त में कमी और डिमेंशिया का खतरा रहता है, बच्चों में इसके कारण बोलने की क्षमता और दिमागी विकास में बाधा आ सकती है.” सिंह ने आगे कहा, “हमारे देश में सुनने की क्षमता में कमी को अकसर नजरअंदाज कर दिया जाता है. जन्मजात बहरापन या नवजात रोगों जैसे लंबे समय तक पीलिया, मेनिन्जाइटिस के कारण नवजात शिशु की सुनने की क्षमता में थोड़ी या गंभीर स्तर की कमी आ सकती है।”
सिंह ने बताया कि हीयरिंग लॉस के कारण होने वाली किसी भी जटिलता से बचने के लिए हीयरिंग एड, कोक्लियर इंम्पलांट, दवाइयों और करेक्टिव सर्जरी जैसे उपाय जल्द से जल्द उठाने चाहिए.
साभार – रेचल वी थॉमस (आईएएनएस)