जब बात खून की होती है तो आप लोगो ने फिल्मों में देखा ही होगा कि O नेगेटिव ब्लड को (O negative blood) दुनिया की सबसे दुर्लभ श्रेणी में रखा जाता है, जो केवल कुछ ही लोगों के पास मिलता है। वैसे इस ब्लड ग्रुप के अलाबा भी दुनिया में एक ऐसा ब्लड ग्रुप (Golden Blood In Hindi) है जो सिर्फ अबतक पूरी दुनिया में 40 लोगों के पास ही मिला है।
इस ब्लड ग्रुप की खोज 1952 में मुंबई के एक साइंटिस्ट ने की थी, जिसकी वजह से इसे Bombay Blood का नाम दिया गया है. उस समय भी ये ब्लड ग्रुप सिर्फ़ 4 लोगों में ही मिला था।
यह बहुत ही दुर्लभ रक्त है जिसके बारे में अभी भी वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं। ये केवल 40 लोगों के ही पास रिकॉर्ड किया गया है जबकि 9 लोग ही इसके डोनर हैं. इस वजह से इस ब्लड को Golden Blood भी कहा जाता है।
वैज्ञानिकों की माने, तो हमारे रेड ब्लड सेल में 342 Antigens होते हैं। ये Antigens मिल कर Antibodies बनाने का काम करते हैं. किसी भी ब्लड ग्रुप का निर्धारण इन Antigens की संख्या पर निर्भर करता है।
केवल 40 लोगों के ही पास रिकॉर्ड किया गया है जबकि 9 लोग ही इसके डोनर हैं. इस वजह से इस ब्लड को Golden Blood भी कहा जाता है. वैज्ञानिकों की माने, तो हमारे रेड ब्लड सेल में 342 Antigens होते हैं. ये Antigens मिल कर Antibodies बनाने का काम करते हैं. किसी भी ब्लड ग्रुप का निर्धारण इन Antigens की संख्या पर निर्भर करता है।
रक्त के प्रकार का क्या कारण है?
रक्त की पेचीदगियों को समझने में हमें थोड़ा समय लगा, लेकिन आज हम जानते हैं कि इस जीवनदायी पदार्थ में किस तरह के और कितने तत्व होते हैं –
- लाल रक्त कोशिकाएं(Red blood cells) – कोशिकाएं जो पूरे शरीर में ऑक्सीजन ले जाती हैं और कार्बन डाइऑक्साइड को हटा देती हैं।
- श्वेत रक्त कोशिकाएं (White blood cells) — प्रतिरक्षा कोशिकाएं जो शरीर को संक्रमण और विदेशी एजेंटों से हमें बचाती हैं।
- प्लेटलेट्स (Platelets) – कोशिकाएं जो रक्त का थक्का बनाने में मदद करती हैं, तथा
- प्लाज्मा (Plasma) – एक तरल जिसमें लवण और एंजाइम होते हैं।
रक्त के कार्य में प्रत्येक घटक का एक हिस्सा होता है, लेकिन लाल रक्त कोशिकाएं हमारे अलग-अलग रक्त प्रकारों के लिए जिम्मेदार होती हैं। इन कोशिकाओं में प्रोटीन होते हैं जो अपनी सतह को ढक कर रखते हैं इन्हें एंटीजन कहा जाता है। इन विशेष एटीजनों की उपस्थिति या अनुपस्थिति रक्त प्रकार को निर्धारित करती है – प्रकार A रक्त में केवल A प्रतिजन (Antigens) होते हैं, वहीं टाइप B में केवल B प्रकार के होते हैं, टाइप AB दोनों में A और B दोनों प्रकार के प्रतिजन होते हैं, और O प्रकार में से कोई भी नहीं होता है। लाल रक्त कोशिकाएं एक अन्य एंटीजन को स्पोर्ट करती हैं जिसे RhD प्रोटीन कहा जाता है। जब यह मौजूद होता है, तो रक्त प्रकार को सकारात्मक कहा जाता है; जब यह अनुपस्थित होता है, तो इसे नकारात्मक कहा जाता है। A, B, और RhD प्रतिजनों के विशिष्ट संयोजन हमें आठ सामान्य रक्त प्रकार (A+, A-, B+, B-, AB+, AB-, O+, और O-) देते हैं।
Rh-null (Golden Blood) सबसे दुर्लभ रक्त प्रकार कैसे है?
आठ सामान्य रक्त प्रकार (Blood Types) इस बात का निरीक्षण करते हैं कि रक्त प्रकार वास्तव में कैसे काम करते हैं। इन आठ प्रकारों में से प्रत्येक को कई अलग-अलग किस्मों में विभाजित किया जा सकता है,” जिसके परिणामस्वरूप लाखों अलग-अलग रक्त प्रकार होते हैं, जिनमें से प्रत्येक को एंटीजन संयोजनों की भीड़ पर वर्गीकृत किया जाता है।
जैसा की मैंने आफको पहले बताया की RhD प्रोटीन केवल Rh प्रणाली में 61 संभावित प्रोटीनों में से एक को संदर्भित (refer) करता है। रक्त को तब Rh-null (Golden Blood In Hindi) माना जाता है यदि इसमें Rh प्रणाली में सभी 61 संभावित प्रतिजनों की कमी हो। यह न केवल इसे दुर्लभ बनाता है, बल्कि इसका अर्थ यह भी है कि इसे Rh प्रणाली के भीतर एक दुर्लभ रक्त समूह वाला कोई भी व्यक्ति स्वीकार कर सकता है ।
इस रक्त का दान है जरूरी
1974 में एक 10 साल के थॉमस को ब्लड में इंफ़ेक्शन के बाद जिनेवा के यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया, पर हॉस्पिटल समेत ब्लड बैंक में भी थॉमस के ग्रुप वाला ब्लड नहीं मिला, जिसकी वजह से थॉमस की मौत हो गई।
थॉमस की मौत के बाद डॉक्टरों ने उसका ब्लड सैंपल एम्स्टर्डम और पेरिस भेजा, जहां डॉक्टरों को ये बात पता लगी कि उसके ब्लड में Rh था ही नहीं।
डॉक्टर और वैज्ञानिक भी इस बात की अकसर अपील करते रहते हैं कि यदि आपके पास भी ये ब्लड ग्रुप है, तो उनसे ज़रूर मिले. क्योंकि आपका ब्लड ग्रुप उनके अध्ययन में सहायक हो सकता है, जिससे आगे चलकर कई लोगों की जान बचाई जा सकती है।