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Enzymes In Hindi – एंजाइम क्या हैं, और यह कैसे काम करते हैं?

एंजाइम का क्या महत्व हैं हमारे शरीर के अंदर, जाने इस लेख के अंदर।

किसी भी जीव को जिंदा रहने के लिए खाना, पानी और हवा की जरूरत पड़ती है। यह हमने अपने स्कूली किताबों में बचपन से पढ़ते आये हैं, परंतु क्या सच में इन्हीं तीन चीजों के बलबूते कोई भी जीव अपने जीवन का निर्वाह कर सकता है। मेरे हिसाब से शायद नहीं। परंतु यहाँ सवाल उठता है, आखिर क्यों? तो, मित्रों बतादूँ की जीवित रहने के लिए हवा, पानी और खाने के साथ-साथ एंजाइम (enzymes in hindi) जैसे आधारभूत जैवीक चीजों की भी जरूरत पड़ती है।

एंजाइम के बारे में पूरी जानकारी - Meaning Of Enzymes In Hindi.
एंजाइम की कोन्पोनेंट | Credit: Future Learn

जी हाँ! आपने सही सुना एंजाइम (enzymes in hindi)। इससे पहले अगर आपको जीव-विज्ञान के ऊपर थोडी रुचि रही होगी तो, आपने अवश्य ही एंजाइम के बारे में कुछ न कुछ अवश्य ही सुना होगा। यूं तो किताबों में एंजाइम के बारे में बहुत प्रकार के तथ्य आपको पढ़ने को मिल जाएंगे, परंतु किताबी भाषा में शायद ही आपको एंजाइम से जुड़ी रोचक बातों का पता चले। इसलिए मित्रों! आज का ये लेख आप लोगों की बेहतर जानकारी के लिए मैंने केवल एंजाइम के ऊपर ही केंद्रित किया है।

हम इस लेख में एंजाइम की परिभाषा, यह कैसे काम करता है, इसकी संरचना तथा इसके वर्गिकरण के ऊपर गहन चर्चा करेंगे। तो, मित्रों मेरे साथ एंजाइम के ऊपर आधारित इस लेख में बने रहिए और इसके नए-नए पहलुओं को उजागर करते रहिए।

एंजाइम क्या है? – Enzymes In Hindi

अगर मैं यहाँ पर एंजाइम (enzymes in hindi) की परिभाषा के बारे में बात करूँ तो, एंजाइम एक तरह का प्राकृतिक तथा जैवीक उत्प्रेरक (Catalyst) है जो की जीवित प्राणियों के अंदर ही पाया जाता है। इसका मुख्य काम जैव-रासायनिक प्रक्रियाओं को (शरीर के अंदर होने वाली जैव-रासायनिक प्रक्रिया) नियंत्रित तथा तीव्र करना होता है ।” इसके साथ ही साथ एंजाइम का हमारे शरीर में हजार से भी ज्यादा मुख्य काम है।

अगर मैं एंजाइम की संज्ञा के बारे में और भी बताऊँ तो, यह इंसानी शरीर के अंदर होने वाली पाचन और श्वसन की प्रक्रिया तथा मांसपेशी और स्नायु तंत्र की देखभाल करता है। ये शरीर में मौजूद जैव कणों के साथ लग कर उनकी मूल संरचना में बदलाव ला कर शरीर में होने वाली जैव-रासायनिक प्रक्रियाओं को काफी ज्यादा तीव्र कर देता है। इससे हमारे शरीर को कम समय में काफी कुछ करने का मौका मिल जाता है। एंजाइम के काम करने का ढंग हमारे शरीर की जरूरत के अनुसार अलग-अलग जगह पर अलग-अलग तरीके से होता है।

एंजाइम के बारे में पूरी जानकारी - Meaning Of Enzymes In Hindi.
एंजाइम क्या हैं? Cofactor के साथ | Credit: Biochem Review.

 

वैसे इनसे जुड़ी एक बहुत ही हैरान कर देने वाली बात यह भी है कि, बिना एंजाइम ( enzymes in hindi) के हमारे पाचन तंत्र को खाने को हजम करने के लिए अरबों साल लग जाते । परंतु एंजाइम की वजह से पाचन का काम आज कुछ घंटो के अंदर ही हो जाता है। मित्रों! आगे हम लोग एंजाइम की संरचना के बारे में एक संक्षिप्त दृष्टि डालेंगे, जो की आपको एंजाइम के बारे में और अधिक जानने का मौका देगा। तो, आप लोगों से अनुरोध हैं की लेख को गौर से तथा धैर्य के साथ क्रमानुसार पढ़ते रहिए।

एंजाइम किससे बना होता हैं? – Structure Of Enzymes In Hindi :-

एंजाइम के संरचना की अगर बात करूँ तो, ये अलग-अलग जीवों के अंदर अलग-अलग प्रकार के होते हैं। हालांकि ! एंजाइम का मूलभूत कण हर एक एंजाइम में एक समान ही होता है। सूक्ष्म जीवों से लेकर बहू-कोशिय जीवों तक हर किसी जीवित प्राणी के अंदर एंजाइम मौजूद रहता है। उदाहरण के स्वरूप आप E.coli को ही देख लीजिए, यह एक सूक्ष्म जीव हैं परंतु इसके अंदर भी 1,000 अलग-अलग प्रकार के एंजाइम मौजूद हैं।

Photo of E.coli.
इ कोली की तस्वीर | Credit:Bio Cote.

खैर अगर मैं इंसानी शरीर में मौजूद एंज़ाइम्स की बात करूँ तो, यह मौलिक तौर पर एमिनो एसिड (Amino Acids) के कणों से बने हुए होते है। मित्रों! एमिनो एसिड के कण प्रोटीन (Protein) का मूलभूत आधार हैं। तो, आप एक तरह से यह भी कह सकते हैं कि; एंजाइम जो हैं वह एक तरह का प्रोटीन ही हैं। जब भी कोई एंजाइम बनता हैं, तो उसके अंदर 100 से 1,000 तक अलग-अलग प्रकार के एमिनो एसिड के कण मौजूद रहते हैं जो की एक विशेष संरचना में एक-दूसरे से बंध कर एंजाइम को बनाते हैं।

एंजाइम के बारे में पूरी जानकारी - Meaning Of Enzymes In Hindi.
एंजाइम की संरचना | Credit: You Tube.

वैसे एमिनो एसिड के कणों का आपस में बंधना एक तरह से रासायनिक प्रक्रिया ही हैं और इसके कारण “Amino Acid Chain” का अभ्युदय होता है। ध्यान रखें की हमारे शरीर के अंदर बहुत सारे Amino Acid के Chains मौजूद हैं, जो की एक-दूसरे से काफी ज्यादा अलग-अलग होते हैं। हर एक Amino Acid Chain एक विशेष प्रकार के आकृति में फ़ोल्ड (Fold) हो जाता हैं जो की बहुत ही जरूरी हैं। इसी वजह से शरीर में अलग-अलग आकृति के एंजाइम अलग-अलग प्रकार के जैव-रासायनिक प्रक्रियाओं को होने में शरीर की मदद करते हैं।

एंजाइम के संरचना और इसके कार्य करने के अंदर होता है गहन संबंध! :-

एंजाइम (enzymes in hindi) के काम करने के बारे में हम लोग आगे विस्तार से जानेंगे, परंतु अभी हम लोग इसके संरचना को इसके काम करने के प्रक्रिया के साथ जोड़ कर देखेंगे और इनके अंदर मौजूद संबंध के बारे में जानेंगे।

Sugar Maltose नाम का एक जैविक चीज़ को “Maltase” नाम का एक एंजाइम तोड़ता हैं। बता दूँ की Sugar Maltose के अंदर ग्लूकोज के दो कण होते हैं जो की एक दूसरे से बॉन्ड के जरिये बंधे हुए होते हैं। तो, Maltase एंजाइम कुछ इस तरीके से बना हुआ होता हैं की, यह अति सरलता के साथ Sugar Maltose के दो कणों को एक-दूसरे अलग कर देता हैं। इससे Sugar Maltose की मूलभूत संरचना नष्ट नहीं होता है, जो की Maltase एंजाइम (enzymes in hindi) की कार्य दक्षता को भी दर्शाता हैं।

मित्रों! एंजाइम का काम जैविक कणों को तोड़ने के साथ ही साथ आपस में जोड़ने का भी होता हैं। इसलिए इसके कार्य-प्रणाली को हमारे लिए समझना बहुत ही जरूरी हैं। मैंने आगे एंजाइम के कार्य-प्रणाली के बारे में आप लोगों को कहा हैं, तो लेख के उस भाग को अवश्य ही ध्यान से पढ़ने की जरूरत हैं।

वैसे आगे बढ्ने से पहले बता दूँ की, एंजाइम (enzymes in hindi) का जो काम करने का ढंग हैं वह बहुत ही सरल हैं। इसलिए इसको हम सरलता के साथ ही जानेंगे।

एंजाइम कैसे काम करता है? – How Enzyme Work In Hindi? :-

जैसा की मैंने पहले ही कहा है की, एंजाइम (meaning of enzymes in hindi) के काम करने का ढंग बहुत ही सरल हैं। इसलिए हम लोग दो छोटे से सिद्धांत को आधार मानते हुए, इसके बारे में जानेंगे।

एंजाइम के बारे में पूरी जानकारी - Meaning Of Enzymes In Hindi.
एंजाइम कैसे काम करता हैं? | Credit: Draw it to Know It.

तो, एंजाइम का कार्य-प्रणाली “Lock And Key” मॉडेल तथा “Induced Fit Model” के ऊपर आधारित है। वैसे बता दूँ की लॉक एंड की मॉडेल को सबसे पहले 1894 में ढूंढा गया था। इसके तहत एंजाइम के अंदर एक प्रकार का “Active Site” होता हैं जो की एक विशेष जैवीक कण (Substrate) के लिए ही बना हुआ होता हैं। इसलिए एक्टिव साइट के अंदर एक विशेष प्रकार का Substrate ही लग सकता हैं।

सरलता के लिए चलिये एक उदाहरण को लेते हैं, एक ताला और एक चाबी हैं। यहाँ पर ताला “Enzyme” और चाबी “Substrate” हैं। तो, जिस प्रकार से उचित ताला के अंदर उचित चाबी ही प्रवेश कर सकता हैं। ठीक उसी तरह उचित Enzyme के अंदर उचित Substrate ही प्रवेश कर सकता हैं। बाद में जब Substrate एंजाइम के अंदर होता हैं, तो एंजाइम (enzymes in hindi) के विशेष “Receptors” Substrate के संरचना में बदलाव ला कर उसे तोड़ देते हैं। इससे Substrate शरीर के लिए जरूरी जैव-रासायनिक प्रक्रिया में शामिल होने के साथ ही साथ उस प्रक्रिया को तीव्र भी करता हैं।

Induced Fit Model और एंजाइम के काम करने का ढंग! :-

वर्तमान के समय में एंजाइम (enzymes in hindi) के काम करने के ढंग को Induced-Fit-Model के साथ जोड़ा जाता हैं। वैसे Lock And Key मॉडेल और Induced-Fit-model एक तरह से एक ही हैं, हालांकि Induced-Fit-Model में थोड़ा सुधार अवश्य ही किया गया हैं। तो, अगर मेँ यहाँ पर Induced-Fit-Model की बात करूँ तो इस मॉडेल के अंदर एंजाइम का एक्टिव साइट अपने आकार को परिवर्तित करने में सक्षम रहता है।

Mechanism of enzyme action.
एंजाइम के काम करने का ढंग| Credit: Human genome Institute.

इस मॉडेल से जुड़ी खास बात यह है की, यहाँ पर एंजाइम को अपना काम करने के लिए Substrate के ऊपर निर्भर रहना पड़ता हैं। जी हाँ! Substrate ही वह चीज़ हैं जो की एंजाइम के एक्टिव साइट को सक्रिय होने का सिग्नल देता हैं। Substrate के आने से पहले एंजाइम का एक्टिव साइट सुप्त अवस्था में रहता है। जैसे ही Substrate एंजाइम के पास पहुँच जाता हैं तब, एंजाइम का एक्टिव साइट अपने आकार में परिवर्तन ला कर Substrate को पकड़ लेता हैं और इसको तोड़ने का प्रक्रिया शुरू कर देता है।

ऐसे में गौरतलब बात यह हैं की, इस मॉडेल के अनुसार एक ही एंजाइम (enzymes in hindi) से अलग-अलग प्रकार के Substrate तोड़े जा सकते हैं और इसके साथ ही साथ यह काफी तेज भी हैं। मित्रों! इस मॉडेल में Substrate को एंजाइम के साथ मिलने से पहले अपने से ही एंजाइम को अपने लिए संरक्षित करके रखना पड़ता हैं। क्योंकि अगर कोई अलग पदार्थ एंजाइम को Substrate से पहले ही एक्टिव करके उससे जुड़ जाए तो बहुत ही बड़ी समस्या हो सकती हैं।

इसलिए इस मॉडेल के अंदर कई जगहों पर एक एंजाइम (enzymes in hindi) से जुडने के लिए कई सारे Substrate के अंदर प्रतियोगिता भी देखी जा सकती हैं।

एंजाइम के काम करने के लिए अनुकूल परीस्थिति! :-

एंजाइम (enzymes in hindi) सही से काम करने के लिए कुछ इकाइयों पर निर्भर करता हैं, उन इकाइयों में से सबसे मूल इकाई हैं तापमान। जी हाँ,मित्रों! हमारे शरीर में मौजूद हर एक एंजाइम अच्छे तरीके से काम करने के लिए एक विशेष प्रकार के तापमान की मांग करता हैं। मुख्य रुप से यह तापमान 37 °C हैं। इस तापमान में इंसानी शरीर में मौजूद एंजाइम अपने पूर्ण दक्षता के साथ काम कर सकता हैं, तथा तापमान में गिरावट या बढ़ोतरी इसके काम करने के तीव्रता को कम कर देता हैं।

pH scale and its fucntion.
pH स्केल | Credit: Full Facts.

शरीर में बहुत प्रकार के एंजाइम (enzymes in hindi) होती हैं और यह काम करने के लिए pH स्केल के ऊपर भी निर्भर रहते है। हालांकि! कितने pH में कोन सा एंजाइम काम करेगा, यह सिर्फ उस एंजाइम को देखने के बाद ही पता चलेगा। वैसे उदाहरण के लिए बता दूँ की, पेट में मौजूद एंज़ाइम 2 pH (एसिडिक) में अच्छे तरीके से काम करता हैं, तथा आंतों में मौजूद एंजाइम 7.5 pH (आल्कालाइन) में ही सक्रिय हो पाता हैं।

अगर परिवेश बहुत ही ज्यादा गरम या एसिडिक/आल्कालाइन हो जाये तो एंजाइम का आकार अपने-आप ही बदल जाता हैं और नष्ट भी हो जाता है। इसीलिए एंजाइम को प्रभावित करने वाले बाहरी कारकों के ऊपर भी विशेष दृष्टि देना बहुत ही जरूरी हैं।

एंजाइम हमारे शरीर के लिए आखिर क्यों जरूरी हैं ? – Importance Of Enzymes In Hindi :-

संसार में कोई भी चीज़ बिना किसी कारण के बनी नहीं होती हैं और एंजाइम का (meaning of enzymes in hindi) भी हमारे शरीर में बहुत ही ज्यादा महत्व हैं। चलिये लेख के इस भाग में इसके बारे में भी एक नजर डाल लेते हैं।

यूं तो एंजाइम हमारे शरीर के अंदर कई सारे काम करता हैं, परंतु मैंने इसके 3 मुख्य कार्यों को चुना हैं जिसके बारे में मेँ आप लोगों को यहाँ बताऊंगा।

(i) पाचन क्रिया में मदद करना :- हम जो भी खाते हैं उसे एंजाइम छोटे-छोटे कणों (ग्लूकोज) में तोड़ने में शरीर की मदद करता हैं। इसके चलते शरीर को जिंदा रहने के लिए खाने से ऊर्जा मिल पाता  हैं।

DNA Replication.
डीएनए रेप्लीकेशन | Credit: Delolite Digital.

(ii) D.N.A रेप्लीकेशन :- हमारे शरीर को बढ्ने तथा कोशिय विभाजन के लिए एंजाइम की जरूरत पड़ती हैं। D.N.A रेप्लीकेशन में एंजाइम शरीर में मौजूद D.N.A को रेप्लीकेट करने में मदद करता हैं। इससे आसानी के साथ हमारा शरीर कोशिय विभाजन कर पाती हैं।

(iii) लीवर एंज़ाइम्स :- हमारे शरीर के अंदर हर समय कुछ न कुछ हानिकारक पदार्थ/चीज़ प्रवेश करता ही रहता हैं। इसलिए शरीर को इससे बचने के लिए लीवर की जरूरत पड़ती हैं। हमारा लीवर शरीर को इन विषैले पदार्थों से बचाता है। लीवर के अंदर मौजूद तरह-तरह के एंजाइम इन विषैले पदार्थों को तोड़ते हुए शरीर से बाहर कर देता हैं।

एंजाइम का वर्गिकरण – Classification Of Enzymes In Hindi :-

मित्रों! हम लोग यहाँ पर एंजाइम (meaning of enzymes in hindi) के वर्गिकरण के बारे में जानेंगे। मैंने यहाँ पर एक-एक करके एंजाइम के 6 मुख्य वर्गों के बारे में आप लोगों को बताया हैं, इसलिए इसे जरा गौर से पढ़िएगा।

1) Oxidoreductases :-

एंजाइम का यह वर्ग मूल रूप से “Oxidation” और Reduction” की प्रक्रियाओं को तीव्र करने में सहायक होता हैं। एंजाइम के इस श्रेणी में Acetyl Coenzyme A आता हैं जो की Pyruvate Dehydrogenase से oxidize हो कर आता हैं।

2) Transferases :-

एंजाइम का ये वर्ग Receptor और Donor मॉलिक्यूल के अंदर “Functional Group” के आदान-प्रदान का काम करता हैं। एंजाइम के इस श्रेणी में Transaminase जैसे एंजाइम आते हैं।

3) Hydrolases :-

एंजाइम का यह वर्ग “Hydrolysis” के प्रक्रिया को तीव्र करने का काम करता हैं। ये एंजाइम हाइड्रोलाईसिस के प्रक्रिया में वॉटर के मॉलिक्यूल को जोड़ कर बॉन्ड को तोड़ने में मदद करता हैं। एंज़ाइन के इस श्रेणी में Pepsin Hydrolyzes जैसे एंजाइम आते हैं।

4) Lyases :-

एंजाइम का यह वर्ग किसी भी कम्पाउण्ड के अंदर मौजूद डबल बॉन्ड (=) को तोड़ने का काम करता हैं। इसके लिए ये एंजाइम वॉटर, कार्बन डाइऑक्साइड और अमोनिया का इस्तेमाल करता हैं। एंजाइम के इस श्रेणी में Aldolase जैसे एंजाइम आते हैं।

एंजाइम के बारे में पूरी जानकारी - Meaning Of Enzymes In Hindi.
लाइगेज एंजाइम | Credit: Add Gene.

5) Ligases :-

एंजाइम का यह वर्ग मॉलिक्यूल की “Ligation” के प्रक्रिया में यानी मॉलिक्यूल को जोड़ने की प्रक्रिया में हिस्सा लेता हैं। एंजाइम के इस श्रेणी में DNA Ligase जैसे एंजाइम आते हैं।

6) Isomerases :-

एंजाइम का यह वर्ग मॉलिक्यूल के “Isomerization” की प्रक्रिया में मदद करता हैं। वैसे इस प्रक्रिया में मॉलिक्यूल का मूल आकृति और संरचना बदल जाता हैं। एंजाइम के इस श्रेणी में Phosphoglucomutase जैसे एंजाइम आते हैं।

निष्कर्ष – Conclusion :-

हमने पूरे लेख में एंजाइम (enzymes in hindi) के संज्ञा से लेकर इसके काम करने का ढंग तथा वर्गिकरण के बारे में जाना। परंतु अभी भी कुछ बातों को जानना आपके लिए बहुत ही जरूरी हैं। जब भी एंजाइम की बात आती हैं तो उसके साथ ही साथ “Cofactor” जैसा एक शब्द आपको सुनने को अवश्य ही मिलेगा। तो, आखिर यह Cofactor क्या हैं? चलिये इसके बारे में जानते हैं।

हमारे शरीर के अंदर कुछ ऐसे भी एंजाइम मौजूद हैं जो की अपने बिना नॉन-प्रोटीन (Non-Protein) पार्ट के काम नहीं कर सकती हैं। तो, एंजाइम के साथ यह नॉन-प्रोटीन पार्ट भी Substrate को तोड़ने के काम में हिस्सा लेता हैं। एंजाइम के इसी नॉन-प्रोटीन पार्ट को ही “Cofactor” कहते हैं। उदाहरण के लिए हम यहाँ पर “Carbonic Anhydrase” को ही ले लेते हैं। यह एंजाइम शरीर में pH को नियंत्रित करने में शरीर की मदद करता हैं। वैसे बिना “Zinc Ion” के यह एंजाइम काम नहीं कर पाता हैं, इसलिए Zinc Ion इस एंजाइम का Cofactor यानी नॉन-प्रोटीन पार्ट है।

एंजाइम के बारे में पूरी जानकारी - Meaning Of Enzymes In Hindi.
ज़िंक | Credit: Thought Co.

मित्रों! मुझे लगता है की इस लेख के जरिये आप लोगों को एंजाइम की विशेषताओं के बार में पता चल ही चुका हैं। इसलिए लेख के अंतिम भाग में मेँ आप लोगों से आग्रह करना चाहूँगा की, आपका एंजाइम को लेकर क्या राय हैं! यूं तो एंजाइम शरीर की काफी ज्यादा मदद करता हैं परंतु क्या यह हमारे जिंदा रहने के लिए अनिवार्य हैं? क्या हम लोग बिना एंजाइम के जीवित नहीं रह सकते हैं! वैसे यह बात तो सत्य हैं की बिना एंजाइम के हमें बहुत सारी कठिनाईओं का सामना कर पड़ सकता हैं, पर वो कठिनाई आखिर-आखिर क्या-क्या हो सकते हैं?

Bineet Patel

मैं एक उत्साही लेखक हूँ, जिसे विज्ञान के सभी विषय पसंद है, पर मुझे जो खास पसंद है वो है अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान, इसके अलावा मुझे तथ्य और रहस्य उजागर करना भी पसंद है।

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