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IUCN ने जारी की नई रेड लिस्ट, 28,333 प्रजातियां (Endangered Species) विलुप्त होने की कगार पर हैं!

पहली बार, आईयूसीएन की रेड लिस्ट ऑफ थ्रेटड स्पीशीज़  ने 100,000 विलुप्त प्रजातियों (Endangered Species) के  आंकडें को पार किया है।  सूची में 9,000 से अधिक नई प्रजातियों को जोड़ा गया है, जो कुल 105,732  बनतीं है। उनमें से, 28,338 प्रजातियों को विलुप्त होने का खतरा है, यह उन सभी का एक तिहाई है जिनका मूल्यांकन किया गया है। 

IUCN   Red List

1964 से, प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN) दुनिया के प्राणियों के संरक्षण की स्थिति का आकलन कर रहा है।  रेड लिस्ट हमारे ग्रह की प्रजातियों की स्थिति पर अब तक का सबसे व्यापक रूप प्रदान करती आ रही है।

माठे पानी में रहने वाली मछलियां को इस लिस्ट में  ज्यादा  आगे रखा गया है,  IUCN के अनुसार, जापान के लिए स्थानिकमारी वाले सभी मीठे पानी की मछली प्रजातियों में से आधे को अब विलुप्त होने का खतरा है, इसी तरह मेक्सिको की एक तिहाई मीठे पानी की मछलियों के लिए खतरा आगे बढ़ चुका है। 

अगर हम इन सभी को खोना नहीं चाहते हैं तो हमें मीठे पानी के उपयोग के प्रति लोगों को जागरूक करना पड़ेगा,  इससे हम आसपास की जैव विविधता ( Ecosystem) को आराम से बना कर रख सकेंगे।

Endangered Fishes

दुख की बात है कि हमारे महासागरों में रहने वाले ये जीव   विलुप्त हो रहे हैं। मछलियों की प्रजाति में शामिल wedgefishes और  guitarfishes 16 प्रजातियों में से 15 अब गंभीर रूप से संकटग्रस्त रूप में सूचीबद्ध हैं।  इसका मतलब है कि उनके पास विलुप्त होने का बहुत अधिक जोखिम है। मॉरिटानिया के पानी में पाई जाने वाली  False Shark Ray , विलुप्त होने के किनारे पर है. केवल 45 वर्षों में इसकी संख्या में 80 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है।

व्हॉट्सपॉटेड वेजफिश (whitespotted wedgefish)
व्हॉट्सपॉटेड वेजफिश गंभीर रूप से खतरे में है। © मैथ्यू डी। पोटेन्स्की

मछलियों की विलुप्ती का सबसे कारण है उनका शिकार, ज्यादातर मछुआरे उनका शिकार कर रहे हैं और तो और  कोस्टल जगहों पर लोगों की बढ़ती जनसंख्या के कारण भी उनकी आबादी पर असर हो रहा है।

आईयूसी प्रजाति अस्तित्व सर्वाइवल कमीशन ग्रुप के को-चेयरमैन कॉलिन सिम्फेंडरोफर ने कहा , “इन   False Shark Ray परिवारों को खोने से बचाने के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि सरकारें प्रजातियों की सुरक्षा, समुद्री संरक्षित क्षेत्रों और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नियंत्रणों को तुरंत स्थापित और लागू करें।”

इन तटीय प्रजातियों के अलावा, 500  गहरे समुद्र वाली बोनी मछलियों  को भी सूची में जोड़ा गया है। गहरे समुद्र में मछली पकड़ने, समुद्री खनन, और तेल और गैस उद्योगों का सामना करते हुए, गहरे समुद्र में ये मछलियां विलुप्त होती जा रही हैं। 

इधर धरती पर , बांस और झाड़ियों की मांग ने सात प्राइमेट प्रजातियों को  विलुप्ती के कगार के करीब मजबूर कर दिया है, जिनमें से छह पश्चिम अफ्रीका में  पाई जाती हैं।

Primates

IUCN का कहना है कि पश्चिम और मध्य अफ्रीका में लगभग 40 प्रतिशत प्राइमेट (Primates) को अब विलुप्त होने का खतरा है। इनमें से एक  रोलावे बंदर है , जो घाना और कोटे डी आइवर के अपने घरेलू देशों में मांस का एक स्रोत है, लोग यहां पर इसे खाते भी हैं, इसी वजह से इसे सबसे संकटग्रस्त प्रजाति ( Critically Endangered Species)  में रखा गया है। 

Sclater's monkey, found in southern Nigeria
दक्षिणी नाइजीरिया में पाए जाने वाले स्केलेटर के बंदर पिछले  27 सालों में  50 प्रतिशत कम हो गए हैं। इसे अब लुप्तप्राय के रूप में वर्गीकृत किया गया है। © लिन आर। बेकर

180 देशों के 5,000 से अधिक पेड़ों और 79 कवक प्रजातियों को भी सूची में जोड़ा गया है। IUCN के कार्यवाहक महानिदेशक, डॉ। ग्रेटेल एगिलर  ने कहा , “IUCN रेड लिस्ट के लिए मूल्यांकन की गई 100,000 से अधिक प्रजातियों (Endangered Species) के साथ, यह अपडेट स्पष्ट रूप से दिखाता है कि दुनिया भर के इंसान वन्यजीवों और जंगलो को अपने फायदे के लिए अंधाधुँध प्रयोग में ला रहे हैं। 

Shivam Sharma

शिवम शर्मा विज्ञानम् के मुख्य लेखक हैं, इन्हें विज्ञान और शास्त्रो में बहुत रुचि है। इनका मुख्य योगदान अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान में है। साथ में यह तकनीक और गैजेट्स पर भी काम करते हैं।

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