जब से विज्ञान ने तरक्की की है तभी से विभिन्न वैज्ञानिकों के कई मत और थ्योरी आती रही हैं। वैज्ञानिकों ने कई राज खोले हैं और कई राज आज भी ऐसे हैं जो हमारे आज के विज्ञान से बहुत पीछे हैं। ऐसी ही एक थ्योरी और कहें तो कई वैज्ञानिकों का मत है कि हम किसी शक्तिशाली सभ्यता द्वारा निर्मित एक ऐसे संसार में रहते हैं जो कि एक कंप्युटर की तरह है और उस कंप्युटर में घूम रहे कुछ ऐसी फाइल्स हैं जो बनती और खत्म होती रहती हैं। इस थ्योरी को कंप्यूटर सिमुलेशन थ्योरी कहा जाता है (Computer Simulation Theory Hindi)
विशाल कंप्यूटर गेम
आज हम वैज्ञानिकों के एक मत की बात करेंगे जिसमें वे कहते हैं कि हम यानि यह सारी सृष्टि और ब्रह्मांड सभी भगवान के बनाये गये एक विशाल कंप्यूटर गेम में रह रहे हैं। जिस तरह जब हम कोई गेम खेलते हैं तो उसमें भी हमें उसी तरह के दृश्य और लोग दिखाई देते हैं जैसे की इस संसार में हो रहा है।
जिस तरह हम जहां भी देखते हैं हमें लोग और प्रकृति के नजारे दिखाई देते हैं, ठीक उसी तरह जब आप कोई गेम जैसे की GTA 5 या कोई भी आधुनिक गेम तो वहां भी उसी तरह के दृश्य होते हैं जो आपके गेम के कैरेक्टर को दिखाई पड़ते हैं।
आप जानते हैं कि मशीन केवल 0 और 1 इन्हीं सकेंतो पर काम करती है, इन्हीं संदेशो को आगे मेमोरी में बदलकर हम उस कार्य प्रणाली को अंजाम देती है जो उससे करने के लिए कहे गये हैं। (Computer Simulation Theory Hindi)
आधुनिक कंप्यूटर गेम और भगवान
आधुनिक कंप्यूटर गेम भी इन्हीं मशीनों के द्वारा बनाये गये हैं फर्क ये है कि ये सभी गेम बहुत ज्यादा मेमोरी और प्रोसेसिंग पावर का उपयोग करते हैं और हमें एकदम सजीव से दिखाई देने वाले दृश्य दिखते हैं। जैसे जैसे हमारे यह कंप्यूटर और बेहतर होने लगेंगे तो वह दिन दूर नहीं है जब हम गेम और अपनी दुनिया के लोगों को एकदम वैसा ही दिखेंगे जैसा हमें साक्षात दिखाई पड़ते हैं।
वैज्ञानिकों का यही मानना है उनके कथन के अनुसार हम भगवान द्वारा या किसी भी परम शक्ति द्वारा बनाये गये कंप्यूटर सिमुलेशन में रह रहे हैं, उस परम शक्ति ने हमें अपने प्रोगाम में कोड कर रखा है जिसके द्वारा हम एकतरह से उसकी बनाई गई दुनिया में जी रहे हैं। उस परा शक्ति की मशीन हमारी सोच से भी परे शक्तिशाली है और यह भौतिक जगत उसी गेम की तरह चल रहा है जैसा की हमारी दुनिया में चलता रहता है। वर्ष 1999 में आई Hollywood फिल्म The Matrix (1999) में इसी विषय पर आधारित है।
हिन्दू शास्त्रों में इस थ्योरी का उल्लेख मिलता है
योगवासिष्ठ में महर्षि वसिष्ठ इस चराचर संसार ब्रह्मांड को ब्रह्म की माया मानते हैं, उनके कथन अनुसार यह जो भी दृश्य जगत है वह उस ब्रह्म की माया है जो उसके सपने की तरह है, जब तक वह चाहें इस माया को बनाये रख सकता है और उसकी इस माया में रहने वाले हम सभी जीभ इस भ्रम में हैं कि ये चराचर जगत एकदम सच है।
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योगवासिष्ठ के मुमुझु प्रकरण में इसी बात जो भगवान राम अपने गुरु महर्षि वशिष्ठ से पुछते हैं और उनके उत्तर में महर्षि बार-बार इस संसार को माया बताते हैं वे यह भी कहते हैं जो जगत हम देख रहे हैं ठीक वैसा ही जगत कहीं और भी विद्यमान है और वह भी माया ही है। जैसे हम जब भी सपना देखते हैं तो वह उस समय हमें एकमद सच दिखाई देता है ठीक उसी तरह यह जगत स्वप्न के समान ही है आत्ममिक ज्ञान और परमात्मा की कृपा मिलने पर यह सपना टूट जाता है और फिर हमें यह संसार एकदम मिथ्या दिखाई देने लगता है।
यह ठीक उस कंप्यूटर सिमुलेशन की तरह ही है वस इसमें विज्ञान का तर्क देकर के उसे कंप्यूटर की भाषा में समझाया गया है। जो बात वैज्ञानिक आज कह रहे हैं वह हमारे शास्त्रो में कई सैकड़ो वर्षों से मौजूद है।
विडम्बना यह है कि हम इन बातों को तब तक नहीं मानते हैं जबतक कोई पश्चिम का वैज्ञानिक और नासा जैसी संस्था इसे खुद स्वीकार ना करलें….