एड्स, नॉवेल कोरोना, या चाहे कैंसर (cancer fighting immune cells hindi) इन तीनों बीमारियों ने आज पृथ्वी में अपनी जो घिनौना रूप दिखाया है, इसे इंसानी सभ्यता शायद ही कभी भूल पाए। यूं तो, आज भी इन बीमारियों से जूझने के लिए आशातीत कोई भी उपाय नहीं निकाला जा सका हैं, परंतु करें भी तो क्या! जिस रफ्तार से यह बीमारियाँ लोगों को अपनी चपेट में ले रही हैं, उतनी तेजी से इन बीमारियों की तोड़ निकालना बहुत ही मुश्किल हैं। हाल ही में नॉवेल कोरोना वाइरस ने जो चीन की दशा की है, उससे उभरने के लिए चीन को अब काफी वक़्त लगने वाला है।
वैसे अभी के लिए नॉवेल कोरोना को रहने देते हैं और कैंसर के ऊपर थोड़ा नजर डालते हैं। एक रिपोर्ट से पता चला है की, हमारे शरीर के अंदर मौजूद रोग-प्रतिरोधी कोशिकाओं (cancer fighting immune cells hindi) के जरिए हम इसको रोग सकते हैं। तो, आज हम लोग इसी के ही बारे में जानेंगे और पता लगाएंगे की आखिर कैसे इस भीषण और दुःरोग्य बीमारी से बचा जा सकता है। रोग-प्रतिरोधी कोशिका के जरिए रोका जा सकता हैं कैंसर।
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कैंसर (cancer fighting immune cells hindi) से सफलता पूर्वक जूझने के लिए एक नई तकनीक का आविष्कार किया हैं, जिसके बारे में कहा जा रहा है की यह कैंसर के पीड़ितों की मदद कर सकता है। इस तकनीक के तहत वैज्ञानिक CRISPR-Cas9 प्रणाली के आधार पर शरीर के अंदर मौजूद केंसर से संक्रमित बीमार कोशिका को मारने का प्रयत्न करेंगे।
कैंसर से लढने के लिए तैयार की गई इस तकनीक को बेहतर ढंग से समझने के लिए कुल 3 रोगियों के ऊपर इसका प्रयोग किया गया| मेँ आपको अधिक जानकारी के लिए बता दूँ की, यह 3 रोगी बुजुर्ग थे और वह लोग कैंसर के आखिरी अवस्था में थे। मित्रों! इन रोगियों को एक विशेष प्रकार का इंजेक्शन दिया गया था, जिसके अंदर रोग-प्रतिरोधी कोशिकाओं से निकाली गई एक विशेष प्रकार का पदार्थ था| इस इंजेक्शन को लेने के बाद रोगियों के अंदर कैंसर से लढने के लिए शक्ति आ गई थी।
हालांकि इंजेक्शन का असर करीब-करीब 9 महीनों के लिए ही था, परंतु अपनी प्रारंभिक अवस्था में यह एक बहुत बड़ी सफलता हैं| ध्यान देने वाली बात यहाँ पर यह भी है की, मूल रूप से कैंसर होने का कारण हमारे शरीर के अंदर ही छुपा हुआ है। जब हमारा शरीर किसी भी कोशिका को अनियंत्रित ढंग से विभाजित करना शुरू कर देता हैं, तभी कैंसर होता है।
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आखिर यह तकनीक कैसे काम करता हैं? :-
कैंसर (cancer fighting immune cell) से लढने के लिए शरीर के अंदर रोग-प्रतिरोधी शक्ति का रहना बहुत ही जरूरी हैं और इंसानी शरीर के अंदर रोग-प्रतिरोधी तंत्र का जिम्मा “T” सेल के पास रहता हैं| तो, वैज्ञानिकों ने इसी कारण के लिए इस तकनीक में T सेल से विशेष रूप से 3 प्रकार के अलग-अलग जिन (Gene) को निकाला और प्रयोगशाला के अंदर इस पर कृत्रिम रूप से फेर-बदल कर के इसे और भी बेहतर बनाया। वैसे मेँ आपको बता दूँ की, इस तकनीक को अंग्रेजी में “Genetical Modification” भी कहते हैं।
यद्यपि यह कोशिका कृत्रिम रूप से प्रयोगशाला में बनाई गई हैं, इसलिए इसे “Genetically Modified Cancer Fighting Immune Cell” भी कहते हैं। वैसे इस कोशिका को बनाने के बाद इसे एक कैंसर करवाने वाले भूताणु (Virus) से संक्रमित किया जाता हैं, जिसमें वाइरस इस सेल के प्रोटीन संरचना के अंदर कैंसर फैलाने की कोशिश करता है।
वैसे अधिक जानकारी के लिए और भी बता दूँ की, यह कोशिका इंसानी शरीर के अंदर काफी लंबे समय तक रह सकता हैं और इसे बड़े ही आसानी के साथ आज भी प्रयोगशाला में बनाया जा सकता हैं| इसके अलावा गौरतलब बात यह भी है की, इन कोशिकाओं की कैंसर से लढने की काबिलीयत वैज्ञानिकों का खासा पसंद भी आया है। बड़े ही सटीक तरीके से यह कोशिकाएं शरीर के अंदर बनने वाले कैंसर के ट्यूमर को खत्म करने में सक्षम हैं।
इस तकनीक को लेकर आखिर वैज्ञानिक क्या कहते हैं? :-
किसी भी नई चीज़ के आविष्कार को लेकर बहुत सारे वैज्ञानिकों की अलग-अलग सोच होती है। तो, चलिए एक नजर वैज्ञानिकों की मतों के ऊपर भी डाल लेते हैं।
“Genetical Modification” के प्रणाली को इस्तेमाल कर के वैज्ञानिक यह कह रहें हैं की, आने वाले समय में वह लोग कैंसर के उपचार के लिए और भी सक्षम “Genetically Modified Cancer Fighting Cell” को बना सकते हैं। वैसे मेँ आपको यहाँ बता दूँ की, अभी तक ऐसा करना सक्षम नहीं था| वैसे इस को लेकर कुछ वैज्ञानिक यह भी कहते हैं की, कृत्रिम रूप से प्रस्तुत किया गया “T” सेल शरीर के अंदर काफी ज्यादा साइड-इफैक्ट भी पैदा कर सकता हैं।
हालांकि हमें यहाँ इस बात का भी ध्यान रखना होगा की, इस तकनीक को बने हुए ज्यादा वक़्त नहीं हुआ हैं और इसे अभी भी विकसित किया जा रहा है। कैंसर (cancer fighting immune cells hindi) से लढने के लिए इसे सक्षम होने के साथ ही साथ रोगियों के शरीर के प्रति सुरक्षित भी होना चाहिए | शायद भविष्य में यह तकनीक कैंसर से जूझने के लिए एक बहुत ही अच्छा विकल्प हो सकती है।
यह दिक्कतें भी हो सकती हैं! :-
क्योंकि यह भी आखिर एक प्रकार से इंसानों के द्वारा बनाई गयी कृत्रिम कोशिका (Artificial Cells) हैं जो की कभी भी शरीर के विरुद्ध काम कर सकता हैं| वैसे ऐसा होने का बहुत ही कम संभावना हैं, परंतु इसे पूर्ण तरीके से नजर अंदाज भी नहीं किया जा सकता हैं| वैसे एक प्रकार से इस तकनीक के माध्यम से वैज्ञानिक रोगी के शरीर के अंदर कोशिका को प्रतिरोपण कर रहें हैं और प्रतिरोपण के दौरान कई बार शरीर इस नए कोशिका को ग्रहण करने में असमर्थ भी रहती हैं|
कई बार यह भी देखा गया है की, शरीर शुरुआती अवस्था में ही नई अंगों या कोशिकाओं को लेने के लिए मना कर देती हैं | इसके चलते उपचार के दौरान ही रोगी के जान को लेकर काफी ज्यादा खतरा बढ़ जाता हैं| इसलिए अभी तक इस तकनीक को लेकर वैज्ञानिकों की दो गुटें बन चुकी हैं| एक गुट इस तकनीक को सही बता रहा हैं तो, वैज्ञानिकों का दूसरा गुट अभी भी इसे सही नहीं समझ रही हैं |
कैंसर से लढने के लिए “T” कोशिकाओं (Cell) की भूमिका :-
हमारे शरीर के अंदर मौजूद “T” सेल (Thymus Cell) केंसर से लढने के लिए मूल रूप से दो तरीकों से काम करती हैं| तो चलिए, जानते हैं की आखिर कैसे यह कोशिका हमारे शरीर में काम करती है।
- “किलर T सेल” के नाम से “T सेल” का एक प्रकार हमारे शरीर के अंदर मौजूद रहता हैं| जैसा की आप इसके नाम से पता लगा चुके होंगे की, यह सेल एक प्रकार के मारक यानी “किलर” सेल हैं। यह सीधे-सीधे तरीके से शरीर के अंदर मौजूद कैंसर के कोशिकाओं को खत्म कर देती है।
- “हेल्पर T सेल” के नाम से “T सेल” का एक अन्य प्रकार भी शरीर के अंदर मौजूद हैं| यह एक तरीके से शरीर के अंदर मौजूद सभी बीमार और कैंसर से पीड़ित कोशिकाओं को खत्म करने के लिए दूसरे कोशिकाओं (किलर T सेल) की मदद करती हैं | इससे सीधे-सीधे तरीके से नहीं, परंतु हाँ! परोक्ष रूप से ही सही यह केंसर से लढने के लिए शरीर की मदद करती हैं।
आखिर कैसे “T” सेल (Cell) केंसर को चपेट में आ जाती हैं? :-
यहाँ पर हमने कैंसर से लढने (cancer fighting immune cells hindi) के लिए कई सारी बातों के ऊपर चर्चा किया हैं, परंतु आखिर कैसे यह शरीर के रोग-प्रतिरोधी तंत्र के ऊपर कब्जा कर लेता है इसके बारे में हम लोगों ने अभी तक कुछ नहीं जाना हैं| तो, चलिए ज्यादा देरी न करते हुए इसके बारे में कुछ तथ्य जान लेते हैं।
आपको जानकर हैरानी होगा की, हर किसी के शरीर के अंदर पहले से ही केंसर सेल मौजूद रहती हैं| इन्हें वैज्ञानिक “T-cell lymphoma” कहते हैं। यह मूल रूप से केंसर पैदा करने के लिए ही बनी हुई होती हैं, परंतु शरीर के रोग-प्रतिरोधी तंत्र के कारण यह सुप्त अवस्था में रहती हैं| जब किसी कारण के लिए हमारा रोग-प्रतिरोधी तंत्र कमजोर हो जाता हैं, तब यह केंसर पैदा करने वाली कोशिका अपना असली रूप दिखाते हुए शरीर के अंदर कैंसर को जन्म देती है।
हमारे शरीर का मूल आधार एक तरीके से हमारा “Bone Marrow” हैं| तो, अगर किसी तरह Lymphoma Cell इसके ऊपर कब्जा कर लेता हैं तो, शरीर के अंदर कैंसर बहुत आसानी से फैल सकता हैं| इससे शरीर के अंदर बचे हुए स्वस्थ “T Cell” भी इसके कारण धीरे-धीरे खत्म होने लगती हैं| जिससे शरीर का रोग-प्रतिरोधी तंत्र ही पूरे तरीके से ठप हो जाता हैं और शरीर केंसर के चपेट आ जाता है।
निष्कर्ष – Conclusion :-
मित्रों! कई बार कैंसर से लढने के लिए (cancer fighting immune cells hindi) बहुत सारे उपचारों को अपनाया जाता हैं और इसी के कारण शरीर के अंदर मौजूद रोग-प्रतिरोधी तंत्र के ऊपर भी काफी ज़ोर पड़ता हैं, इसलिए कोई भी उपचार कराने से पहले इसके बारे में जानकारी होनी ही चाहिए| वैसे ध्यान में रखने वाली बात यह भी है की, शरीर के अंदर T सेल ही हैं जो की कैंसर से हमारे शरीर को बचाती हैं|
इसलिए हमारे लिए यह बहुत ही जरूरी बन जाता हैं की, इसकी देखभाल हम लोग बहुत ही अच्छे तरीके से करें।
Sources :- www.iflscience.com, www.verywellhealth.com.