ब्रह्मांड में बहुत से खतरे मौजूद हैं। आमतौर पर पृथ्वी को अलग-अलग चीजों से बहुत ही ज्यादा खतरा रहता है, कभी उल्कापिंडों (Can We Stop Planet Killer Asteroids) से तो कभी धूमकेतुओं से। आज से कुछ 5-6 करोड़ साल पहले ऐसे ही एक उल्कापिंड ने पूरी की पूरी डायनासोर की सभ्यता को पृथ्वी से लुप्त कर दिया था। इसलिए कहा जाता है कि, उल्कापिंड से हमारी दुनिया को सबसे ज्यादा खतरा है। खैर बाकी अलग-अलग चीजों से भी हमारी पृथ्वी को खतरा रहता है, परंतु वो थोड़ा कम रहता है। मूलतः उल्कापिंडों से ही हमारी दुनिया पल भर में तबाह हो सकती है।
इसलिए आज के इस लेख में हम उल्कापिंडों (Can We Stop Planet Killer Asteroids) के बारे में चर्चा करेंगे और देखेंगे की असल में हमें इनसे कितना ज्यादा खतरा है! इसके अलावा मेँ आप लोगों को अलग-अलग उल्कापिंडों और उनसे पृथ्वी के ऊपर हो सकने वाली संभावित खतरों के बारे में भी बताऊंगा। क्योंकि इंटरनेट पर शायद ही आप लोगों को इस विषय के ऊपर कुछ भी पढ़ने को मिल पाए। वैसे इसके अलावा भी हम कई सारे अलग-अलग रोचक विषयों के बारे में भी चर्चा करेंगे, तो आप लोगों से गुजारिश है की, लेख को आरंभ से ले कर अंत तक पढ़िएगा।
तो चलिये अब लेख में आगे बढ़ते हुए इसे शुरू करते हैं और देखते हैं की, आखिर ये उल्कापिंड क्या सच में पृथ्वी को तबाह कर सकते हैं या नहीं!
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पृथ्वी को तबाह करने वाले “प्लैनेट किलर”! – Can We Stop Planet Killer Asteroids! :-
हमारे सौर-मंडल के शुरुआती दिनों से ही उल्का पिंड (Can We Stop Planet Killer Asteroids) पृथ्वी के लिए खतरा बने हुए हैं। अकसर ये सूर्य के आस-पास के इलाकों से आ कर पृथ्वी से टकरा जाते हैं। साल 2013 में रूस (Russia) के ऊपर गिरने वाला उल्का पिंड इस सदी का अब तक का सबसे बड़ा खगोलीय हादसा था। कहते हैं कि, ये उल्का पिंड “हिरोशिमा के ऊपर फटने वाले परमाणु बम” से 30 गुना ज्यादा ताकतवर था। हालांकि! ये पृथ्वी के सतह से 22 किलोमीटर ऊपर फटा था। बता दूँ कि, इस हादसे से लगभग 7,000 से ज्यादा घरों के खिड़की के शीशे चकनाचूर हो गए थे।
इसके अलावा अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, इस हादसे से लगभग 1,600 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। हालांकि! इसमें किसी भी इंसान की मौत नहीं हुई थी। मित्रों! यहाँ सबसे बड़ी बात ये हैं कि, पृथ्वी पर लगे किसी भी दूरबीन को इतने बड़े स्पेस-ऑब्जेक्ट के बारे में कुछ भी नहीं पता था। सूर्य के उगने के दिशा से आने वाले इस उल्का पिंड के बारे में हमें कुछ भी नहीं पता था। क्योंकि ये दिशा हमारे लिए एक तरह से “ब्लाइंड स्पॉट” ही हैं। हालांकि! इस तरह के घटनाएँ बहुत ही ज्यादा असाधारण हैं। रिपोर्ट के अनुसार ये घटनाएँ हर 50-100 सालों में एक बार घटती हैं।
वैसे 2013 में गिरे इस उल्का पिंड की चौड़ाई 20 मीटर से अधिक नहीं थी और ESA के अनुसार इस आकार के उल्का पिंड हमारे लिए ज्यादा खतरा पैदा नहीं करते हैं। आज तक वैज्ञानिक लगभग 33,000 ऐसे उल्का पिंडों को खोजने में सफल रहें हैं, जो की हमारे पृथ्वी के पास तो मौजूद हैं परंतु हमारे लिए खतरा नहीं हैं। हालांकि! इसके ऊपर हमेशा जांच जारी रहती है।
सूर्य से आने वाले हत्यारे! :-
वैज्ञानिकों के अनुसार सूर्य के दिशा से आने वाले उल्का पिंड (Can We Stop Planet Killer Asteroids) हमारे लिए सबसे ज्यादा घातक साबित हो सकते हैं। क्योंकि एक साथ सूर्य कई सारे उल्का पिंडों को हमारे लिए छुपा सकता है, जिससे हमें काफी देर तक पृथ्वी की और बढ़ रहे उल्का पिंडों के बारे में कुछ भी नहीं पता चलेगा। इस स्थिति में “अपोलो” नाम के एक पूरा का पूरा उल्का पिंडों का गुच्छा हमसे छुपा हुआ रह जाता है, जो की अकसर पृथ्वी के कक्षा के बहुत ही करीब भी आ जाता हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार इस ग्रुप में ज़्यादातर उल्का पिंड काफी छोटे आकार के होते हैं, परंतु आज भी एक ऐसी अनजान उल्का पिंडों का ग्रुप मौजूद हैं, जिसके अंदर 140 मीटर से भी ज्यादा बड़े उल्का पिंड मौजूद हैं। मित्रों! आप लोगों को बता दूँ कि, इतने बड़े आकार के उल्का पिंड पृथ्वी में तबाही मचाने के लिए काफी सक्षम होते हैं। इसलिए इन उल्का पिंडों को कई बार “सिटी किलर्स” का भी नाम दिया जाता हैं।
रिपोर्ट के अनुसार अब तक 140 मीटर से ज्यादा बड़े 40% उल्का पिंडों को ढूंढा जा चुका है। तो, आप समझ रहें होंगे कि, अभी भी हमें कितना काम और करना पड़ेगा। नासा के अनुसार अभी भी 14,000 से ज्यादा अनजान उल्का पिंडों को ढूंढा जाना बाकी है। ऐसे में किसी भी पल कुछ भी घटित हो सकता है। हमेशा हमें तैयार रहना पड़ेगा।
खतरा बहुत ही बड़ा भी हो सकता है! :-
अब तक हमने छोटे-छोटे उल्का पिंडों (Can We Stop Planet Killer Asteroids) की बहुत बात कर ली है, चलिये अब कुछ बड़े उल्का पिंडों की बात कर लेते हैं। अन्तरिक्ष में कुछ उल्का पिंड ऐसे भी हैं, जो की 1 किलोमीटर से भी ज्यादा बड़े हैं। मित्रों! इतने बड़े उल्का पिंड से पल भर में ही दुनिया खत्म हो सकती है। वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक ऐसे विशालकाय उल्का पिंड को ढूंढ कर निकाला है, जो की आकार में काफी ज्यादा बड़ा हैं। “2022 AP7“ नाम का ये उल्का पिंड लगभग 1.5 किलोमीटर तक बड़ा है।
मित्रों! इस उल्का पिंड के बारे में सबसे घातक बात ये हैं कि, ये हमारे लिए अदृश्य हैं। कहने का मतलब ये है कि, हम इसे नहीं देख सकते हैं। तो, आप समझ सकते हैं कि; ये अनजान-अदृश्य उल्का पिंड क्या कुछ करने में सक्षम हो सकता हैं। अभी के लिए तो ये उल्का पिंड हमारे लिए खतरा नहीं है, परंतु कई हजारों साल बाद शायद ये हमारे पृथ्वी से टकरा सकता है। हालांकि! ये उल्का पिंड सिर्फ अकेला नहीं है, जो की पृथ्वी को तबाह कर सकता है। इसके जैसे कई और भी उल्का पिंड मौजूद हैं।
ऐसे में हमारे लिए ये जरूरी हो जाता है कि, आखिर कैसे हम जल्द से जल्द इन उल्का पिंडों से बचने की तकनीक ढूंढ लें। क्योंकि भविष्य अनिश्चितताओं से भरा हुआ है। कब क्या कैसे हो जाए, ये कोई भी नहीं कह सकता हैं। हालांकि! हम इसके बारे में भी आगे लेख में चर्चा जरूर करेंगे। इसलिए आप लेख में आगे पढ़ते रहें, ताकि विषय और बेहतरीन ढंग से समझ में आ जाए।
निष्कर्ष – Conclusion :-
अब लोगों के मन में सबसे बड़ा सवाल ये आ रहा होगा कि, आखिर इन खगोलीय खतरों से कैसे बचा जा सकता है? मित्रों! उल्का पिंडों (Can We Stop Planet Killer Asteroids) को हम ऐसे ही खत्म नहीं कर सकते हैं। इनसे बचने के लिए कई सारे अत्याधुनिक उपकरण और प्लैनिंग की जरूरत पड़ेगी। अन्तरिक्ष में हमारी रक्षा के लिए वैज्ञानिकों ने दूरवीनों को तैनात करके रखा है। ये स्पेस टेलिस्कोप पृथ्वी के सतह से कई सौ किलोमीटर ऊपर लगातार पृथ्वी के लिए संभावित खतरों के ऊपर नजर गड़ाए हुए हैं।
उल्का पिंडों को रोशनी के सहारे खोजने के वजाए इन्हें उनके थर्मल एमिशन से ढूँढना ज्यादा आसान और सटीक होता है। हालांकि! थर्मल के ऊपर काम करने वाले उपकरण हमारे पास अभी बहुत ही ज्यादा कम हैं। ये ही वजह है की, उल्का पिंडों को उस हिसाब ढूंढा नहीं जा रहा, जिस तरीके से उन्हें ढूंढा जाना चाहिए। हालांकि! आने वाले सालों में दुनिया की बड़ी-बड़ी स्पेस एजेंसियां इस मुसीबत से जूझने के लिए कई स्पेस टेलिस्कोप लाँच करने जा रहीं हैं।
इन दूरबीनों के अंदर अत्याधुनिक इन्फ्रारेड डिटेक्टर और सोलर शेड्स लगे हुए हैं, जो की आसानी से अदृश्य उल्का पिंडों के बारे में भी काफी कुछ जानकारी इक्कठा कर सकता हैं। इसके अलावा इन दूरवीनों के जरिये पूरे आसमान की हर दो हफ्तों में स्कैन करवाया जा सकता हैं। ये ही वजह हैं कि, अन्तरिक्ष की रियल टाइम मॉनिटरिंग से हमें काफी ज्यादा फायदा हो सकता हैं। खैर समय आने पर ही इनकी काबिलीयत के बारे में पता लगेगा।
Source- www.livescience.com