
हिन्दू धर्म के प्राचीन ग्रंथों से ले कर आज के इस आधुनिक युग तक हर तरफ आपको युद्ध की संज्ञा खूब देखने को मिलेगी और मिलेगी भी क्यों न आखिर युद्ध ही तो एक सच्चे योद्धा और नई विकास का पहला पग होता है| मेँ यहाँ पर हिंसा को समर्थन नहीं कर रहा हूँ परंतु हाँ! अधर्म से लढने के लिए युद्ध तो आवश्यक हैं| खैर पूरी दुनिया द्वितीय विश्व युद्ध (Second World War) का विनाशकारी खौफ अपने जेहन से नहीं निकाल पाया हैं| छोटी मसिन गन से ले कर परमाणु बमों के धमाके (mysteries of atomic bomb) हर एक हथियार इस युद्ध में इस्तेमाल हुआ|

परंतु सब के मन में परमाणु बमों की धमाके (mysteries of atomic bomb) अभी भी ताजा मौजूद हैं| इसलिए आज मेँ एक बहुत ही रोचक विषय यानी परमाणु बमों के बारे में बात करने जा रहा हूँ| जी हाँ! आज में इस लेख के अंदर आपको परमाणु बमों (mysteries of atomic bomb) से जुड़ी कुछ बहुत ही मूल भूत और रहस्यमय बातों का जिक्र करूंगा|
तो, चलिए मेरे साथ इस लेख के जरिए एक नए सफर पर चलने को तैयार हो जाइए|
विषय - सूची
☢️अटॉमिक बम क्या है ? – What is Atomic Bomb? :-
एक भारतीय होने के नाते आप सभी लोगों को तो अटॉमिक या एटम बॉम्ब के बारे में अवश्य ही पता होगा| खैर मेँ यह समझता हूँ की इस के बारे में फिर भी कुछ मूल भूत बातों का जिक्र करना अवश्य ही जरूरी हैं|
दोस्तों अटॉमिक बम (mysteries of atomic bomb) एक प्रकार का न्यूक्लिअर ताकत यानी नाभिकीय ताकत से बनी एक शक्ति शाली हथियार हैं| इस बम के धमाके से निकलने वाली तापमान , ध्वनि के तरंगें और रैडिओ एक्टिविटी भारी और किसी के कल्पना से परे की विनाश मचाने में पूर्ण रूप से सक्षम हैं|
💣आखिर कैसे काम करता हैं परमाणु बम ? – How a Atomic Bomb Works? :-
दोस्तों, जैसा कि मैंने आपसे वादा किया था — अब बारी है जानने की कि आख़िर परमाणु बम चलता कैसे है?
तो चलिए, बिना देर किए इस रहस्यमय तकनीक के पीछे की साइंस को आसान भाषा में समझते हैं।
🔬 इसकी जड़ में है – नाभिकीय विखंडन (Nuclear Fission)
परमाणु बम का पूरा खेल नाभिकीय विखंडन पर टिका होता है।
मतलब?
जब एक भारी परमाणु का नाभिक (जैसे यूरानियम-235 या प्लूटोनियम-239) टूटकर छोटे-छोटे हिस्सों में बंटता है,
तो उसमें से भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है — और यही ऊर्जा धमाके का कारण बनती है।
🧪 शुरुआत होती है एक न्यूट्रॉन से
जब एक फ्री न्यूट्रॉन किसी रेडियोधर्मी तत्व (जैसे यूरानियम या प्लूटोनियम) से टकराता है,
तो उसका परमाणु टूट जाता है और उस प्रक्रिया में 2 या 3 नए न्यूट्रॉन भी निकलते हैं।
अब ये नए न्यूट्रॉन, पास के और परमाणुओं से टकराते हैं और वही प्रक्रिया दोहराते हैं।
इस चेन रिएक्शन से कुछ ही मिलीसेकंड में एक विशाल मात्रा में ऊर्जा पैदा होती है।
⚡ एक सेकंड से भी कम में तबाही तय
ये पूरी रिएक्शन पलक झपकते ही होती है —
और इसके परिणामस्वरूप जो ऊर्जा निकलती है, वो हीट, शॉकवेव, और रेडिएशन के रूप में सामने आती है।
यही कारण है कि परमाणु बम के एक धमाके से पूरा शहर खाक हो सकता है।
🏙️इतिहास में फटे कुछ परमाणु बमों के बारे में संक्षिप्त विवरण :-
देखिए आज तक पृथ्वी पर कई प्रकार के परमाणु बमों (mysteries of atomic bomb) को फोड़ा गया है , परंतु हाँ ! ज़्यादातर इसे शोध के लिए ही फोड़ा गया हैं| मानव इतिहास में मात्र दो बार ही इसे किसी युद्ध के अंदर इस्तेमाल किया गया हैं|
1. हिरोशिमा का परमाणु बम :-
हिरोशिमा में सबसे पहले परमाणु बॉम्ब का हमला हुआ था| सान 1954 अगस्त 6 तारीख को जापान के हिरोशिमा सहर के ऊपर इसे प्रथम बार अमरीकी सेना के द्वारा इसे दागा गया| लंबी और पतली आकार के कारण इस बॉम्ब को “लिटल बॉय (little boy)” भी कहा जाता हैं| इस बम के अंदर यूरानियम-235 को इस्तेमाल किया गया था| माना जाता है की 1 किलो यूरानियम-235 के विखंडन से निकलने वाली ऊर्जा 15,000 किलो TNT के फटने के ऊर्जा के बराबर हैं|
यहाँ मेँ आपको और भी बता दूँ की लिटिल बॉय के अंदर 64 किलो यूरानियम-235 का इस्तेमाल किया गया था|

2. नागशाकी का परमाणु बम :-
हिरोशिमा पर परमाणु बम (mysteries of atomic bomb) गिराने के बाद अमरीकी सेना ने सन 1945 अगस्त 9 को जापान के नागशाकी सहर पर अपना दूसरा परमाणु बॉम्ब दागा| आकार में मोटा और वजनदार यह बॉम्ब का नाम “फैट मेन (Fat man)” था|
प्लूटोनियम-239 से भरा हुआ यह बम लिटल बॉय से 20% से 40% ज्यादा ताकतवर था| इस में 6.4 kg प्लूटोनियम-239 को इस्तेमाल किया गया था| मेँ आपको यहाँ और भी बता दूँ की एक किलो प्लूटोनियम-239 के विखंडन से निकलने वाली ऊर्जा की मात्रा 21,000 किलो TNT के फटने के ऊर्जा के बराबर हैं|
मित्रों! TNT एक प्रकार का रासायनिक पदार्थ होता है , जिसे कई देश की सेनाएँ अपने-अपने विस्फोटक बमों की निर्माण के लिए इस्तेमाल करते हैं| इससे मुख्य रूप से युद्ध में इस्तेमाल होने वाला पारंपरिक बम और ग्रेनेड आदि बनते हैं और यह एक कारगर विस्फोटक पदार्थ के हिसाब से परिचित हैं|
⚠️ परमाणु बमों के भयानक दुष्प्रभाव :-
युद्धों में चाहे किसी की भी जीत हो परंतु क्षति दोनों पक्षों की जरूर होती हैं| ऐसा कोई युद्ध नहीं होगा जिसे में रत्ती भर का भी नुकसान न हुआ हो| द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान परमाणु हथियार के जरिए एका-एक ढाई लाख लोगों की (2.5 lakh) की जान निकल गईं| परंतु इस के बाद भी आज तक कई करडों लोगों का जीवन पूर्ण रूप से उजड़ गया|
जिस जगह पर परमाणु बम (mysteries of atomic bomb) गिरता है , उस जगह और उसके आस-पास के जगहों का तापमान कई लाख डिग्री सेलसीअस हो जाता हैं| इसलिए उस क्षेत्र में बसने वाला हर एक इंसान पल भर में ही भांप बन कर उड़ जाता हैं| घरों के अंदर रहने वाले लोग इमारत के ढह जाने से या अत्यधिक तापमान के कारण अपने जान से हाथ धो बैठते हैं|
🤔 बडा खतरनाक और विनाशक होगा परमाणु बमों का इस्तेमाल :-
कुछ लोग जो ज़मीन के अंदर छिपकर पहली शॉक वेव से बच भी जाते हैं, उनकी जान पर अगला खतरा मंडराने लगता है —
क्योंकि धमाके के तुरंत बाद वातावरण से ऑक्सिजन तेजी से खत्म होने लगती है।
और बिना ऑक्सिजन के, अंदर छुपे हुए लोग भी धीरे-धीरे दम घुटने से मरने लगते हैं।
📍 दूरी बढ़े, खतरा कम… लेकिन तकलीफ वही!
जिन इलाकों में बम का सीधा असर नहीं होता, वहाँ लोगों के बचने की संभावना थोड़ी बढ़ जाती है।
लेकिन वहां भी हालात बहुत खराब होते हैं —
कोई हाथ-पैर खो देता है, कोई अंदरूनी खून बहने से तड़पता है।
बचने वाले भी ज़िंदगी भर दर्द और बीमारी के साथ जीते हैं।
☢️ असली क़हर तब शुरू होता है – विकिरण
परमाणु बम का असली असर तो सालों बाद सामने आता है।
रेडिएशन (विकिरण) लोगों को कैंसर, अपंगता और मानसिक बीमारियों में झोंक देता है।
यह विकिरण शरीर की DNA में बदलाव (mutation) कर देता है, जिससे आने वाली पीढ़ियों तक इसका असर रहता है।
🌍 धरती भी नहीं बचती
परमाणु बम सिर्फ इंसानों को ही नहीं मारता,
बल्कि धरती के पर्यावरण को भी बर्बाद कर देता है।
अगर ऐसे बम कई बार फटे, तो “न्यूक्लियर विंटर” जैसी स्थिति आ सकती है —
जहाँ सूरज की रोशनी महीनों तक धरती पर नहीं पहुंचेगी, खेती बर्बाद हो जाएगी और
1 अरब से ज़्यादा लोग भूख से मर सकते हैं।
(स्रोत: रेड क्रॉस रिपोर्ट)
——————————————————————————————————————————————————Sources – cnduk.org , newwint.org , Wikipedia.