दुनिया और अंतरिक्ष को समझना यानी पूरे ब्रह्मांड को समझना हैं। आपकी और मेरी उम्र ही निकल जाएगी इस ब्रह्मांड को समझने में। जितना भी जानो और जितना भी चर्चा करो, परंतु ब्रह्मांड में छुपे राज अकसर ही अपने आगोश में हमें ले ही लेते हैं। मित्रों! पर एक बात तो मानना पड़ेगा की, चाहे कुछ भी हो जाए परंतु हम ब्रह्मांड में छुपे इन रहस्यों को खोज कर ही दम लेंगे। इसी कारण मेँ आपके सामने आज और एक बेहतरीन विषय को ले कर आ गया हूँ। खैर अब सस्पेंस से पर्दा उठाते हुए आप लोगों को बता दूँ की, आज का हमारा विषय होगा एंटीमैटर और लेजर बीम (antimatter cooled to near absolute zero) के बारे में।
अब एंटीमैटर और लेजर बीम (antimatter cooled to near absolute zero) के बारे में सुन कर आप लोगों के मन में कई सारे ख्याल आ रहे होंगे। इसलिए मेँ आप लोगों से अनुरोध कर रहा हूँ की, थोड़ा सब्र और धैर्य के साथ लेख को अंत तक पढ़िएगा ताकि आप लोगों को विषय पूरी तरीके से समझ में आ जाए। वैसे अभी के लिए इतना जानें की, हम एंटीमैटर को ठंडा करके किस तरीके से ब्रह्मांड के रहस्यों को पता लगा सकते हैं; उसके बारे में जानेंगे।
तो, चलिये अब बिना समय व्यतीत करें; लेख के मूल विषय को आरंभ करते हैं।
विषय - सूची
एंटीमैटर और लेजर बीम से होगा खुलासा! – Antimatter Cooled To Near Absolute Zero By Laser Beam :-
इतिहास में पहली बार वैज्ञानिकों ने एंटीमैटर को एब्सोल्यूट ज़ीरो (antimatter cooled to near absolute zero) तक ठंडा कर लिया हैं और ये कोई साधारण बात नहीं हैं। अगर आप लोगों को याद होगा तो, मैंने अपने पहले के आर्टिकल्स में बताते आ रहा हूँ की; किसी भी चीज़ को एब्सोल्यूट जीरो के तापमान तक लेकर आना लगभग नामुमकिन सा ही हैं। परंतु, इस नामुमकिन से लगने वाले चीज़ को आज वैज्ञानिकों ने मुमकिन करके दिखाया हैं।
मैग्नेटिक ट्रैप में पकड़ कर उस पर लेजर बीम का इस्तेमाल कर के वैज्ञानिकों ने इस काम को हकीकत में बदला हैं। कनाडा के शोधकर्ताओं जो CERN के लिए काम करते हैं उन्होंने ही इसको कर के दिखाया हैं। उन्होंने इसको सर्न के “Antihydrogen Laser Physics Apparatus (ALPHA)” में किया हैं और दुनिया भर को हैरान कर दिया हैं। इस शोध में उन्होंने एंटीमैटर को एब्सोल्यूट जीरो तापमान से ऊपर मात्र एक डिग्री का 1/20 हिस्से तक ठंडा कर लिया हैं। यानी उन्होंने लगभग एब्सोल्यूट जीरो तक एंटीमैटर को ठंडा कर लिया हैं और आने वाले समय में ये अंतर और भी कम होता हुआ नजर आ सकता हैं।
बता दूँ की, ये तापमान अंटार्टिका के सबसे निम्नतम तापमान से भी 3000 गुना ज्यादा ठंडा है। तो आप जरा अंदाजा लगाएँ की, कृत्रिम रूप से हम इंसान क्या-क्या कर सकते हैं। मित्रों! और एक बात आप लोगों को बता दूँ की, ये शोध अभी अपने प्रगति में हैं और इससे भविष्य में कई सारे जानकरियाँ आने वाली हैं। वैसे आपका इस शोध को लेकर क्या-क्या अनुमान हैं? क्या ये शोध आगे चल कर बड़े-बड़े आविष्कारों का पथ प्रदर्शक बन सकता हैं?
आखिर कौन-कौन से राज खोलेगा ये? :-
अब हमने जब ठंडा किए गए एंटीमैटर (antimatter cooled to near absolute zero) के बारे में जान लिया हैं, तो चलिये एक नजर ये क्या-क्या खोज कर हमें दे सकता हैं उसके बारे में ही देख लेते हैं। मूलतः ये शोध हमें एंटीमैटर के बारे में ही अधिक जानकारी दे सकता हैं। यानी एंटीमैटर को इतना ज्यादा ठंडा करने के बाद, हम एंटीमैटर कैसे ग्रैविटी के द्वारा प्रभावित होता हैं उसके बारे में जान सकते हैं। इसके अलावा भौतिक विज्ञान से जुड़ी कई मूलभूत नियमों और सिद्धांतों के बारे में भी हम इस शोध के बारे में जान सकते हैं।
मित्रों! इस खोज से हम ये जान सकते हैं की, भौतिक विज्ञान के जीतने भी प्रचलित सिद्धांत और नियम हैं क्या वो वाकई में सच और वास्तव हैं! क्योंकि, इसके बारे में जानने के बाद हम ब्रह्मांड को और भी सटीक तरीके से विश्लेषण कर सकते हैं। एंटीमैटर माने मैटर का विपरीत। इसे साल 1932 में खोजा गया था और ये हूबहू मैटर के जैसा ही होता हैं परंतु कुछ चीजों को छोड़ कर। आप कह सकते हैं की, ये मैटर का मिरर इमैज ही हैं। मित्रों! मैटर और एंटीमैटर को कई बार ट्विंस भी कहा जाता हैं।
क्योंकि! मैटर के अंदर जहां ऋणात्मक चार्ज वाले इलेक्ट्रान होते हैं वहाँ एंटीमैटर के अंदर पोसिटिव चार्ज वाले “पोजिट्रोन” (Positron) होते हैं। खैर साधारण अवस्था में हम एंटीमैटर को देख नहीं सकते हैं, क्योंकि इसे देखना वाकई में काफी ज्यादा कठिन हैं। क्योंकि मूलतः जब भी मैटर और एंटीमैटर पास-पास आते हैं, तब दोनों ही एक दूसरे को नष्ट करने लगते हैं। इसलिए एंटीमैटर को आसानी से हम स्टडि भी नहीं सकते हैं।
इस खोज का महत्व क्या है? :-
अब मेँ जब एक विषय को लेकर आप लोगों को बता रहा हूँ तो, उसका महत्व अवश्य ही होगा ना! तो चलिये कुछ चर्चा एंटीमैटर (antimatter cooled to near absolute zero) के अहमियत के बारे में भी कर लेते हैं। मित्रों! इस खोज को करने से पहले वैज्ञानिकों को पार्टिकल और एंटीपार्टिकल दोनों को ही बनाना होता हैं। इसलिए वो एक रेगुलर मैटर के अंदर मौजूद पार्टिकल्स को लगभग प्रकाश के गति के जितना ही मुव करा कर उन्हें आपस में टकरा देते हैं। जिससे हमें कई सारे एंटीपरिकल्स मिल जाते हैं।
इसके बाद वैज्ञानिक टक्कर के कारण घूम रहें एंटीपार्टीकल्स को काफी ज्यादा स्ट्रॉंग मैग्नेटिक और इलैट्रिक फील्ड के जरिये स्थिर अवस्था तक ले कर आते हैं। इसके बाद वैज्ञानिकों को पोसीट्रोन और एंटीप्रोटोन के पार्टिकल्स मिलते हैं। मित्रों! इन दोनों को मिलाकर वैज्ञानिक एंटीहाइड्रोजन के पार्टिकल को बनाते हैं। इसके बाद वे एंटीमैटर के ऊपर शोध करने के लिए लेजर बीम के जरिये उसे ठंडा कर लेते हैं। परंतु! यहाँ एक मस्त सा सवाल उठता हैं की, आखिर कैसे लेजर बीम के जरिये किसी चीज़ को ठंडा किया जा सकता हैं?
तो मित्रों सुनिए, जब लेजर बीम को एंटीमैटर के ऊपर डाला जाता हैं तब उसमें मौजूद फोटोन एंटीमैटर के पार्टिकल्स के साथ बंध कर उनके स्पीड को काफी ज्यादा कम कर देते हैं। जिससे एंटीमैटर धीरे-धीरे ठंडा होने लगता हैं।
निष्कर्ष – Conclusion :-
एंटीमैटर को इस हद तक ठंडा करने से (antimatter cooled to near absolute zero) वैज्ञानिक कई सारे मुकामों को हासिल कर सकते हैं। इस शोध से वैज्ञानिक और सटीक तरीके से चीजों को माप सकते हैं जो की एक विस्तृत रिसर्च की दिशा को इंगित करता हैं। एंटीमैटर को हम विश्लेषण कर के मैटर के गुणों को भी काफी हद तक समझ सकते हैं। जैसे की मैटर ग्रैविटी के प्रभाव में आ कर कैसे काम करता हैं या इस पर प्रकाश का क्या असर पड़ता हैं। कई वैज्ञानिक इसको इन्फेरोमीटर के तौर पर भी इस्तेमाल करना चाहते हैं।
मित्रों! एंटीमैटर के जरिये हम क्वांटम फिजिस्क में कई सारे तथ्यों को खोज सकते हैं। जैसा की हम जानते हैं क्वांटम फिजिस्क में पार्टिकल दो अवस्था यानी पार्टिकल और वेव की तरह बर्ताव करते हैं, तो हम इन्हीं गुणों को ले कर ही एंटीमैटर को कई सारे शोधों में इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे हम एंटीमैटर के पार्टिकल्स दूसरे बल के प्रभाव में कैसे रियाक्ट करते हैं, उसके बारे में जान पाएंगे। मित्रों! इसी दौरान ही हमें शायद एंटीमैटर के दूसरे गुणों के बारे में ही जानने का मौका मिल सकता हैं, जो की अभी तक हमारे लिए जान पाना संभव ही नहीं था।
इसके अलावा वैज्ञानिक एंटीमैटर के पार्टिकल्स को अंतरिक्ष में छोड़ने वाले हैं। दोस्तों इससे अंतरिक्ष में पार्टिकल्स मिलकर एंटीमैटर का एक मॉलिक्यूल बनाएंगे और हम शायद एंटीमैटर को पहली बार अंतरिक्ष में देख रहे होंगे। खैर ये लेख आपको कैसा लगा जरूर ही बताइएगा!
Source :- www.livescience.com