“Health Is Wealth” शायद इस अंग्रेजी कहावत को हर किसी ने सुना होगा। क्योंकि इस तेजी से भागती हुई अत्याधुनिक युग में स्वास्थ्य और बीमारी दो ऐसे चीज़ें हैं, जिन के बारे में हमें बेहद ही सावधान रहना पड़ता है। क्योंकि वो कहते हैं न “सावधानी हटी दुर्घटना घटी”, ठीक इसी तरह अगर हमने अपने शरीर व स्वास्थ्य के ऊपर ध्यान देना छोड़ दिया तब, कोरोना और मंकीपॉक्स (monkeypox virus in hindi) जैसे बीमारियाँ हमें अपने बस में कर देंगे। एक बार इन बीमारियों के बस में आने के बाद, इनसे छुटकारा पाना हमारे लिए काफी मुश्किल हो जाता है।
बेहरहाल आज के दुनीया में एक नई बीमारी ने हलचल मचा रखी है और इस नए बीमारी का नाम “मंकीपॉक्स” (monkeypox virus in hindi) है। कहते हैं कि, कोरोना के बाद इस बीमारी ने फिर से एक बार पूरी पृथ्वी में अपना कहर बरपा रखा है। इसलिए चारों तरफ इस बीमारी को लेकर काफी चर्चाएँ चल रहीं हैं। सूत्रों से पता चला है कि, ये बीमारी आज भारत के अंदर भी प्रवेश कर चुकी है और आने वाले समय में शायद इसके चलते लॉकडाउन भी लग सकता है।
ऐसे में हमारे लिए ये जरूरी बन जाता है कि, इस बीमारी के बारे में हमें हर एक विशेष बातें पता हो। ताकि आने वाले समय में हम इससे बच सकें। तो, चलिये फिर से एक बार मेरे साथ इस लेख के जरिए अंत तक बने रहिए और इस नए व घातक बीमारी के जानते रहिए।
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“मंकीपॉक्स” आखिर क्या है? – What is Monkeypox Virus In Hindi? :-
सहज तरीके से कहूँ तो, “मंकीपॉक्स” (monkeypox virus in hindi) वायरस एक तरह का बीमारी पैदा करने वाला वायरस है, जो कि “Variola Virus” के श्रेणी में आता है। बता दूँ कि, इसी श्रेणी में “Small Pox” का वायरस भी आता है। दोनों बीमारी की तुलना करें तो, मंकीपॉक्स वायरस स्माल पॉक्स से कमजोर होता है और लोगों को ज्यादा कष्ट नहीं पहुंचाता है। हालांकि इसका ये मतलब नहीं हैं कि, ये जानलेवा नहीं है। इस बीमारी से मौतें भी हो रहीं हैं। अब तक इस वायरस के दो प्रकारों के बारे में पता चला है।
पहले प्रकार का नाम हैं “वेस्ट अफ्रीकन क्लैड” और दूसरे प्रकार का नाम है “कंगों बैसिन क्लैड” जिसे कि “सेंट्रल अफ्रीकन क्लैड” भी कहा जाता है। अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, कंगों बैसिन क्लैड काफी घातक और जानलेवा हैं। ये आसानी से लोगों के अंदर तेजी से फैल जाता हैं। इस वायरस को साल 1958 में पहली बार डेनमार्क में खोजा गया था, जब प्रयोगशाला में रखें कुछ बंदरों को ये बीमारी लग गई थी। हालांकि! 1970 में कंगों में किसी इंसान के अंदर पहली बार इस वायरस को देखा गया था।
मित्रों! इस बीमारी के बारे में ये खास हैं कि, ये बीमारी बंदरों के जरिये नहीं फैलता हैं। ये बीमारी चूहों से फैलता हैं। बेहरहाल ये वायरस लगातार किसी न किसी सेंट्रल या वेस्ट अफ्रीका के देश में फैला रहता हैं। खास तौर पर देश जैसे “कंगों, नाईजेरिआ, कैमरुन, गबोन, लिबेरिया, सुडान, और सिएरा लीओन” में ये बीमारी हर वक़्त लगा ही रहता हैं। हालांकि! 2003 में पहली बार इस बीमारी को अफ्रीका से बाहर “यू.एस.ए” में देखा गया था।
“मंकीपॉक्स” वायरस और दुनिया का हाल व इसके लक्षण! :-
2003 से 2022 के अंदर मंकीपॉक्स वायरस ने (monkeypox virus in hindi) दुनिया भर में अपना विस्तार कर लिया हैं। यू.के से लेकर सिंगापोर तक हर जगह इस बीमारी को देखा गया हैं। अभी के बारे में बात करें तो, आज के दिन ये बीमारी 75 से ज्यादा देशों में पकड़ा जा चुका हैं और पूरे दुनिया में 16,000 से ज्यादा मामले इस बीमारी के सामने आए हैं। बता दूँ कि, ये बीमारी पहले संक्रमण के बाद एक से लेकर दो हफ्तों के अंदर अपना असर दिखाता हैं।
संक्रमण के शुरुआती दिनों में ये बीमारी फ्लू के लक्षण जैसे नाक का बहना, छींक, सर दर्द और बदन दर्द जैसे लक्षणों को दिखाता हैं। बाद में बुखार, मांसपेशिओं में ऐठन और शरीर के अलग-अलग जगहों पर सूजन जैसे लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं। इसके बाद मरीज के अंदर “Pox”/ फलियाँ बनने शुरू हो जाते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार ये फलिया “Chickenpox” के वायरस के कारण होता हैं। हालांकि! कई बार ये फलिया प्रजनन जनीत बीमारियाँ जैसे “सिफलिस और हर्पिस” के कारण भी हो सकते हैं।
मित्रों! वैज्ञानिकों कि मानें तो, ये बीमारी ज्यादा से ज्यादा 2-4 हफ्तों तक रहता हैं और बाद में इसका प्रभाव कम होने लगता हैं। वैसे 8 साल से कम उम्र वाले बच्चों, उम्र दराज व्यक्तियों और गर्भवती महिलाओं के ऊपर इस बीमारी का प्रकोप कुछ ज्यादा ही देखा गया हैं। बीमारी के चलते मरीजों में कई घातक लक्षण जैसे अंधापन और दिमाग में हेमोरेज भी देखें गए हैं।
“मंकीपॉक्स” कैसे फैलता हैं? – How Monkeypox Spreads? :-
जब भी कोई स्वस्थ व्यक्ति या जानवर मंकीपॉक्स (monkeypox virus in hindi) से संक्रमित व्यक्ति/ जानवर के पास आता हैं, तब ये बीमारी पीड़ित व्यक्ति/ जानवर से खून और बॉडीली फ्लुइड के माध्यम से दूसरे व्यक्ति/ जानवर को संक्रमित हो जाता हैं। संक्रमित जानवर के द्वारा काटे जाने से या खरोचे जानें से भी ये बीमारी हो सकती हैं। इसके अलावा संक्रमित जानवर के मास या उससे जुड़े चीजों को इस्तेमाल करने से भी ये बीमारी हो सकती हैं।
मूलतः ये वायरस कटी हुए त्वचा, आँख, नाक, मुंह और यहाँ तक कि गर्भ के माध्यम से भी संक्रमित हो सकती हैं। इसके अलावा थूक और छींक से निकलने वाले ड्रॉपलेट्स भी संक्रमण को और भी ज्यादा बढ़ा देते हैं। 2022 में किए गए एक अध्ययन से ये पता चला हैं कि, पुरुषों के बीच समलैंगिक योन संपर्क रखने वालों के अंदर ये बीमारी ज़्यादातर देखने को मिल रहा हैं। हालांकि, इसके ऊपर कोई भी औपचारिक तौर पर पुष्टीकरण नहीं आया हैं।
इस बीमारी के फैलाव को कैसे रोकें और इससे कैसे बचें? :-
इस मंकीपॉक्स (monkeypox virus in hindi) वायरस से बचने के लिए हमें मंकीपॉक्स से पीड़ित व्यक्ति के पास नहीं जाना चाहिए और जितना संभव उससे दूरी बना कर रखना चाहिए। पॉक्स से बने फलियों को आपको नहीं छूना चाहिए। मंकीपॉक्स से पीड़ित व्यक्ति को चूमना, गले लगाना या उसके साथ संभोग नहीं करना चाहिए। पीड़ित व्यक्ति के द्वारा इस्तेमाल होने वाले बर्तनों को आप इस्तेमाल न करें। पीड़ित व्यक्ति के बिस्तर, टावल या उसके बेडिंग को भी न छूए।
नियमित रूप से हैंड सैनीटाइजर का इस्तेमाल करते रहें। घर में हमेशा साफ-सफाई करते रहें और पीड़ित व्यक्ति के रम में जितना संभव न जाएँ। हमेशा इस्तेमाल होने वाले चीजों को लगातार स्टेरीलाइज करते रहें। घर में हवा के आवाजाही के लिए खिड़कियों को खुला रखें और अपने कपड़ों को आप खुद साफ करें। घर के बाकी सदस्यों को भी साफ-सफाई और खुद के देखभाल करने लिए प्रेरित करते रहें।
इस बीमारी का क्या इलाज हैं? – Treatments For Monkeypox :-
अभी तक मंकीपॉक्स (monkeypox virus in hindi) से लढने के लिए कोई खास दबाई नहीं बनी हैं और ज़्यादातर मामलों में लोग खुद व खुद बिना किसी दबाई के ठीक हो जा रहें हैं। हालांकि! कई सारे मामलों में मरीजों को एंटी-वायरल दबाई भी दी जाती हैं, जिससे वे कुछ खास तरह के संक्रमण से लढने कि ताकत पाते हैं। उदाहरण के लिए कुछ मरीजों को “Tecovirimat” कि दबाई दी जाती हैं, जो कि स्मालपॉक्स तथा ओर्थोंपॉक्स बीमारियों को भी ठीक कर सकता हैं।
काफी गंभीर मंकीपॉक्स को ठीक करने के लिए मरीजों को कई बार “Vaccinia Immune Globulin Intravenous (VIGIV)” भी दिया जाता हैं। इसके अलावा कई सारे देशों में मंकीपॉक्स से पीड़ित व्यक्तियों को “JYNNEOS और ACAM2000” नाम के वैक्सीन भी दिए जा रहें हैं। ये दोनों ही वैक्सीन इस खास बीमारी के लिए इस्तेमाल में लिए जा रहें हैं। हालांकि! इस बीमारी को लेकर अभी काफी सारे बातें आना बाकी हैं।
Source – www.livescience.com