आपने कुत्तों को अक्सर किसी ना किसी खंभे और कार के टायर पर पेशाब करते जरूर देखा होगा, ये एक दो कुत्तों की कहानी नहीं है बल्कि आप जिस भी जगह और इलाके में जायेंगे हर जगह आपको यही नजारे देखने को मिलेंगे।
टायर के आगे एक पैर उठाकर दुनिया की सारी बातों से बेफ़िक्र होकर कुत्ता चुपचाप पेशाब कर देता है, पर क्या कभी आपने सोचा है कि आख़िर कुत्ते कार के टायर या बिजली का खम्भे पर ही क्यों पेशाब करते हैं?
लोग कहते हैं कि जानवर है, जहां जी में आए, करे. लेकिन यकीन मानिये! इसके पीछे कुछ लॉजिकल कारण भी हैं. कुत्ते पेशाब करने वाली जगहों में से ऐसी जगह को तरजीह देते हैं, जो सीधा खड़ा हो. इससे उनका निशाना सटीक बैठता है और खुल कर हलके हो लेते हैं. इतना ही नहीं, अपने इस अनोखी क्रिया से वो दूसरे कुत्तों के लिए नाक की ऊंचाई पर ही अपने पेशाब की गंध छोड़ जाते हैं. पेशाब की गंध क्षितिज सतह से ज़्यादा देर तक वर्टिकल सतह पर मौजूद रहती है. उनकी इस आदत से वो दूसरे कुत्तों को अपने क्षेत्र से परिचित कराते हैं। इसका मतलब ये भी होता है कि वो दूसरे कुत्तों को कहते हैं कि भाई! थोड़ी देर पहले मैं यहां था।
हम सब जानते हैं कि कुत्ते अन्य जानवरों से ज़्यादा सामाजिक जानवर होते हैं. कुत्ते जब गाड़ी के टायर को सूंघते हैं, तो उन्हें वहां कई तरह की गंध मिलती हैं. जैसे कचरे की, खाने की और न जाने क्या-क्या?
गंधों की इतनी वैरायटी कुत्तों को आकर्षित करती है. कुत्ते टायर को दूर से ही सूंघ लेते हैं. जहां-जहां गाड़ी जाती है, वहां के कुत्ते नया-नया स्पॉट दे जाते हैं. अगली बार से कुत्तों को गाड़ी के टायर पर सु-सु करते देख तब तक न भगाएं, जब तक कि गाड़ी आपकी न हो।
साभार – गजबपोस्ट