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ब्रह्मांड के ना दिखाई देने वाले पदार्थ डार्क मैटर का रहस्य जानिए…

Dark Matter In Hindi

Dark Matter In Hindi – इस संसार और समस्त ब्रह्मांड में हर वस्तु पदार्थ से ही बनी है। पर वैज्ञानिकों के लिए सबसे बड़ी पहली ये है कि जब भौतिक चीज़े पदार्थ से बनी हुई हैं तो वह कौन सा पदार्थ है जिसके कारण ब्रह्मांड गतिशील है और ब्रह्मांड के खाली हिस्से में हो सकता है। इस वैज्ञानिक डार्क मैटर कहते हैं, आज हम इसी के रहस्य को आपके सामने रखने वाले हैं –

वैज्ञानिक सालों से डार्क मैटर को समझने की कोशिश में जुटे हुए हैं. कहने को तो तीन चौथाई ब्रह्मांड उसी का बना है, पर देखने पर वह कहीं रत्ती भर भी दिखाई नहीं पडता।

ब्रह्मांड की अनंत आकाशगंगाओं के 90 प्रतिशत से ज्यादा पदार्थ अनजाने हैं। डार्क मैटर यानी ऐसे तत्व, जो न तो प्रकाश छोड़ते हैं, न सोखते हैं और ना ही परावर्तित करते हैं।  खगोलशास्त्री भी ब्रह्मांड का सिर्फ छठा हिस्सा देख पाते हैं. हाइडेलबर्ग में माक्स प्लांक इंस्टीट्यूट के रिसर्चर गिरीश कुलकर्णी पिछले दस साल के जमा डाटा पर काम कर रहे हैं।

गिरीश के मुताबिक, “डार्क मैटर क्या है, यह सभी लोग समझना चाहते हैं लेकिन कोई भी जानता नहीं है. तो इस सवाल का कोई जवाब नहीं है. लेकिन मैं यह बता सकता हूं कि डार्क मैटर की हमें जरूरत क्या है और लोग क्यों डार्क मैटर, डार्क मैटर कहते रहते हैं। ”

वास्तव में क्या है डार्क मैटर (Dark Matter)

अगर पूरे आकाशगंगाओं और तारों के द्रव्य (Mass)  जोड़ दिए जाएं, तो यह ब्रह्मांड का सिर्फ चार फीसदी हिस्सा है।  बाकी डार्क मैटर हैं, अनजाने तत्व. वैज्ञानिकों का कहना है कि कई बार प्रयोगों में ये सामान्य तत्वों से टकराते हैं।

गिरीश समझाने की कोशिश करते हैं कि आखिर डार्क मैटर क्या है, “आजकल कई प्रयोग हो रहे हैं। हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में हम जो वस्तुएं देखते हैं. वो जिन चीजों की बनी हुई है. जो हमारे तत्व हैं, हाइड्रोजन, हीलियम, कार्बन और ये सब… इन मूलभूत तत्वों से वो समझना नामुमकिन है.. उन प्रयोगों के नतीजे और इस प्रकार से…एक नए प्रकार के मटेरियल की आवश्यकता पड़ती है और उसको हम डार्क मैटर कहते हैं।”

Dark Matter – An Artist Image

जब आकाशगंगाएं नहीं थी

13 अरब साल पहले ब्रह्मांड में आकाशगंगाएं नहीं थीं। वैज्ञानिकों को इस तथ्य का पता भी हाल ही में चला है. यानी आज जो दिखता है, वह पहले नहीं दिखता था. जब ब्रहमांड की सृष्टि हुई तो उस समय अचानक इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन की बाढ़ आई। रिसर्चरों का अनुमान है कि इन इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन में कंपन से ही आकाशगंगाओं की रचना हुई. लेकिन यह पता नहीं लग पाया है कि कंपन आखिर क्यों हुआ।.

बोसोन कण की खोज करने वाली स्विट्जरलैंड की प्रतिष्ठित सर्न प्रयोगशाला डार्क मैटर की खोज का प्रयोग शुरू करने वाली है। लार्ज हेड्रॉन कोलाइडर उस गति तक पहुंचना चाहता है, जहां से पैदा होने वाली ऊर्जा डार्क मैटर के सवाल का जवाब दे सके. म्यूनिख में माक्स प्लांक इंस्टीट्यूट के हुबर्ट क्रोहा कहते हैं, “कई सवालों के जवाब तलाशने हैं।

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हमारे पास कई विचार हैं लेकिन आखिरी जवाब सिर्फ प्रयोग से आ सकता है. और ये जवाब इन्हीं एलएचसी प्रयोग से आ सकते हैं. और यह एक दिलचस्प पड़ाव पर है, कि क्या हमें नए संकेत मिलेंगे, जो स्टैंडर्ड मॉडल से अलग होंगे, जो हमें उन सवालों का जवाब देंगे जो अभी भी हमारे सामने हैं।”

सर्न की ही एक थ्योरी के मुताबिक डार्क मैटर के कण इतने छोटे हो सकते हैं कि पकड़ में न आ पाएं. वैसी हालत में अगर ये अपने साथ कुछ ऊर्जा भी ले उड़ें. इससे उनके अस्तित्व के बारे में पता लग सकेगा।

साभार – DW.COM

Shivam Sharma

शिवम शर्मा विज्ञानम् के मुख्य लेखक हैं, इन्हें विज्ञान और शास्त्रो में बहुत रुचि है। इनका मुख्य योगदान अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान में है। साथ में यह तकनीक और गैजेट्स पर भी काम करते हैं।

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