Flat Earth Myth Hindi – पृथ्वी गोल है या चपटी इस विषय पर कई सदियों से बहस हो रही है, वैज्ञानिकों ने लाखों प्रमाण देकर यह सबाति कर दिया कि पृथ्वी एक गोलाकार ग्रह है पर इसी पृथ्वी पर रहने वाले ऐसे लोग भी हैं जो इसके चपटे होने का दावा करते रहते हैं। इनके प्रमाण भी आपको बड़े अजीब लगेंगे।
पर हाल में ही Imgur पर एक पोस्ट में , 36 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर जेफ ने पृथ्वी के वक्रता (curvature) को फिर से बनाने के लिए एक बास्केटबाल और कैमरै का इस्तेमाल किया। और हाँ, मजेदार यह है कि यह भी दूर से देखने में फ्लैट यानि की चपटी दिखाई देती है।
जेफ ने Bored Panda को बताया, “मेरी तस्वीरों को देखते हुए, बास्केटबाल की सतह पर रहने वाले अविश्वसनीय रूप से छोटे प्राणी होने की कल्पना करना आसान है ।” “उस छोटे प्राणी के परिप्रेक्ष्य से, बास्केटबाल का ‘क्षितिज’ हमेशा उसे ‘फ्लैट’ दिखाई देगा।”
तस्वीरों में, जैफ ने बास्केटबाल का अल्ट्रा-क्लोज-अप दृश्य प्राप्त करने के लिए मैक्रो लेंस का उपयोग किया। इमगुर पर अपनी पोस्ट में, उन्होंने कहा कि उन्होंने बास्केटबाल के “क्षितिज” को देखने के लिए एक अपने कैमरे को एक खास ऐंगल पर घूमा कर स्थापित किया है।
जेफ ने इस तरह की कई तस्वीरें ली उन्होंने कैमरे के मेनयुल फोकस को रखकर इस तरह सैकड़ो तस्वीरें ली और फिर एक खास सोफ्टवेयर में इन सभी तस्वीरों को एक साथ मिलाकर के अंतिम तस्वीर तैयार ली, और उस छवि से, ठीक है, बास्केटबॉल निश्चित रूप से फ्लैट दिखता है, है ना?
यह भी जानें – क्या होगा, अगर पृथ्वी अचानक ही घुमना बंद कर दे ? जरुर जानें
एक तस्वीर में बास्केटबाल की सतह की चौड़ाई केवल 4.2 मिलीमीटर चौड़ी थी। जेफ ने फिर भी 2.75 मिलीमीटर चौड़ी एक अंतिम छवि के साथ इसे और जूम करके यह दिखाने की कोशिश की यह देखनें में फ्लैट दिख रही है।
“पृथ्वी की परिधि लगभग 40,075 किमी [24,900 मील] है। तो बास्केटबॉल का यह “क्षितिज” पृथ्वी के क्षितिज के 147 किमी (91 मील) के बराबर है जो एकदम सपाट सा दिखाई देता है।
जेफ की इस तस्वीर से उनका कहना है कि इस तरह देखा जाये तो हम इस गेंद को हमेशा से फ्लैट ही समझेंगे क्योंकि यह हमें दूर से फ्लैट ही दिख रही है, हो सकता है फ्लैट पृथ्वी की अवधारणा को मानने वाले लोग भी इसी तरह डटे रहते हैं। हालांकि वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो पृथ्वी और अन्य ग्रह कभी फ्लैट हो ही नहीं सकते हैं।
यह भी जानें – आखिर, कहां से आया पृथ्वी पर पानी? जानिए इस नये अध्ययन से