God Shiva Is The Creator Of Universe – इस संसार में कुछ नियम सदैव सनातन होते हैं, जैसे यदि पानी को कहीं भी बनना होता है तो वो हाइड्रोजन और आॅक्सीजन के मिलने पर ही बनता है फिर चाहें वह ब्रह्मांड के किसी भी कोने में ही क्यों ना हो। ऐसे ही संसार में अनेको धर्म हैं पर सभी धर्म में भगवान को माना जाता है, सभी धर्म कहते हैं कि संसार की उत्पत्ति भगवान ने ही की है।
वैज्ञानिक कार्ल सेगन ने पूरी वीडियो में वैदिक रुप से ही सृष्टि के निर्माण की बात की है, और उन्होंने इस बात को स्पष्ट रुप में सामने लाने का सफल प्रयास किया है।
इस वीडियो में, विश्व प्रसिद्ध अमेरिकन खगोल शास्त्री और भौतिक वैज्ञानिक कार्ल सेगन बहुत ही अच्छे ढंग से हिंदू सिद्धांतो की व्याख्या करते हैं और हिंदू भगवान जैसे भगवान शिव, भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु के समय चक्र के आधार पर ब्रम्हांड की रचना की बात को सिद्ध करते हैं।
वीडियो के प्रारंभ में आप देखेंगे केवल एक शुद्ध ज्योति रूपी चेतना है, और इस ज्योति रूपी चेतना को ही शिव कहा जाता है। इसी चैतन्य शक्ति से ऊर्जा की उत्पत्ति हुई और उसी ऊर्जा से इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन की उत्पत्ति हुई।
इन्ही से अनु बने और फिर मॉलिक्यूल। इनके असंख्य गुनाह हो जाने के कारण ही ब्रम्हांड की रचना हुई, और यह ब्रम्हांड आज भी बढ़ता ही जा रहा है और अंत में यह ब्रम्हांड शिव की चैतन्य शक्ति में ही विलीन हो जाएगा।
कौन है कार्ल सेगन?
कार्ल सेगन एक खगोल शास्त्री, खगोल भोतिकीविद, ब्रह्माण्ड वैज्ञानिक और एक लेखक थे, जो 1980 में बहुत प्रसिद्ध हुए। उनका एक टेलीविजन सीरियल कॉसमॉस: ए पर्सनल जर्नी यूएसए में सबसे अधिक देखे जाने वाला उस समय का टीवी प्रोग्राम था।
जब 1996 में उनकी अचानक से मृत्यु हुई, उस समय कार्ल सेगन अमेरिका के मुख्य विज्ञान संचारक थे। वह नियमित मेहमान भी थे दोनों नाइटली न्यूज़ और “दी टू नाइट शो स्टारिंग: जॉनी कार्सन” के।
जब कार्ल सेगन को यह पूछा गया की ब्रम्हांड की रचना कैसे हुई? तो उन्होंने कहा कि इस बात का जवाब तो निश्चित तौर पर कोई भी नहीं दे सकता।
कौन इस बात की घोषणा कर सकता है कि ब्रम्हांड उस वक्त और ऐसे बना? कब इसकी रचना हुई? हमारे लिए भगवान भी इस दुनिया की रचना के बाद ही आए हैं तो फिर कोई और कैसे जान सकता है की इस दुनियां की रचना कब हुई?
कोई भी नहीं जानता की कब ब्रहमांड जन्मा, इंसान केवल सर्वेक्षण ही कर सकता है। हो सकता है उसने जान लिया हो, और यह भी हो सकता है कि नहीं, कुछ भी नहीं जाना। किसने जाना और किसने नहीं जाना, यह किसने जाना। यह कथन हजारों वर्ष पुराने हैं, जो ऋग वेद से लिए गए हैं।
दो दशक पहले दूरदर्शन में, कार्ल द्वारा बनाये गये ‘कॉस्मॉस्’ नामक सीरियल में ब्रह्मांड विज्ञान और सभ्यता के विकास की कहानी को बताया गया था। बाद में, इसी सीरियल पर, इसी नाम से उनकी पुस्तक भी प्रकाशित हुई थी।
इसमें, कार्ल कहते ( पेज २८५) हैं – ” हिन्दू धर्म, संसार के प्रसिद्ध धर्मों में से एक है। केवल इसी में मान्यता है कि सृष्टि रचना और प्रलय के अनन्त चक्र में चलती है।
इसमें दिया गया सृष्टि रचना का समय, आधुनिक विज्ञान के सबसे करीब है … यह चक्र खरबों साल का है … इसमें मान्यता है कि सृष्टि, ईश्वर के सपने हैं, जो एक ब्रह्मा शताब्दी में समाप्त होती हैं और अगली ब्रह्मा शताब्दी में पुनः इसकी रचना होती है … पर शायद मानव ईश्वर के सपने न होकर, ईश्वर ही मानव के सपने हैं। ”
उन्होंने यह भी कहा कि सबसे अधिक परिष्कृत और प्राचीन ब्रह्माण संबंधी विचार एशिया से ही आए हैं और खास तौर पर भारत से। वहां का विज्ञान बहुत ही उचित तर्क का रहा है और उस पर ओर शोध करने की आवश्यकता है।
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it is not satisfactional argument