हमारे देश में हजारों तरह के मंदिर है और हर मंदिर अपनी-अपनी खास मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। आज की 21 वीं सदी में मानव भले ही बहुत तरक्की कर चुका हो पर कभी -कभी उसका विज्ञान भी इन जगहों पर फेल हो जाता है।
क्या आप जानते हैं कि हरियाणा में एक ऐसा मंदिर है जहां औरतों को प्रवेश करना मना है? यहां के लोगों का मानना है कि जो भी औरत इस मंदिर के अंदर जाती है वो विधवा हो जाती है।
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मंदिर के इतिहास के बारे में…
माना जाता है कि ये मंदिर महाभारत काल के समय से यहां मौजूद है. वर्तमान में यह मंदिर हरियाणा की धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के पिहोवा में बना हुआ है. कुरक्षेत्र से लगभग 20 किलोमीटर दूर पिहोवा में सरस्वती तीर्थ पर यह ऐसा मंदिर है, जहां सदियों से महिलाओं का प्रवेश वर्जित है।
किस भगवान का वास है इस मंदिर में?
सदियों पुराना यह मंदिर भगवान महादेव के पुत्र कुमार कार्तिकेय का है. यहां पर भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है. पूरे देश में केवल ये ही कार्तिकेय जी का एक ऐसा मंदिर है जिसके अंदर औरतों को प्रवेश करना सख्त मना है. हालांकि मंदिर के परिसर में तो महिलाएं आ सकती हैं, लेकिन मुख्य मंदिर के अंदर जाने की इजाज़त औरतों को नहीं है.
क्यों है महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबन्ध?
मंदिर में औरतों के प्रवेश पर पाबन्दी के पीछे यह मान्यता या अंधविश्वास है कि अगर किसी महिला ने कार्तिकेय महाराज की पिंडी के दर्शन किए तो वह सात जन्मों तक विधवा रहती है. मंदिर के महंत सीताराम गिरी के अनुसार जब कार्तिकेय ने मां पार्वती से क्रोधित हो अपने शरीर का मांस और रक्त अग्नि को समर्पित किया था तब भगवान शिव ने कार्तिकेय को पिहोवा तीर्थ पर जाने का आदेश दिया. तब कार्तिक के गर्म शरीर पर ऋषि मुनियों ने सरसों का तेल लगाया तो कार्तिकेय इसी स्थान पर पिंडी रूप में विराजित हो गए. तब से कार्तिक महाराज की पिंडी पर सरसों का तेल चढ़ाने की भी परंपरा चली आ रही है।
मंदिर परिसर में लगा है बोर्ड
मंदिर में लगे बोर्ड पर महिलाओं के लिए सख्त हिदायत लिखी हुई है कि वो अंदर न जाएं और न ही अंदर झांकें. सिर्फ इसी वजह से मंदिर में ज्योत तो जल रही है, लेकिन लाइटें नहीं लगाई गई हैं. आज भी महिलाओं को मंदिर के बाहर से ही माथा टेक कार्तिकेय महाराज का आशीर्वाद लेना पड़ता है. मंदिर के पुजारी का कहना है कि अगर कोई महिला मंदिर में प्रवेश करेगी तो वो विधवा हो जाएगी. मंदिर में केवल विवाहिताओं के प्रवेश पर ही नहीं बल्कि नवजात बच्ची तक को अंदर ले जाने पर भी रोक है।
साभार – अमरउजाला