प्रकृति वास्तव में काफी ज्यादा सुंदर होती है और इस प्रकृति की सुंदरता तब पता चलती है, जब आप किसी बड़े से पर्वत (Highest Mountain Can Grow on Earth) या किसी ऊँचे झरने के पास खड़े होते हैं। मित्रों! यूं तो पृथ्वी के ऊपर कई सारे पहाड़ और पर्वत मौजूद हैं, परंतु जो बात हिमालय में हैं, वो शायद ही किसी दूसरे पर्वत में हो। ऐसे में हमारे मन में हिमालय को ले कर बहुत से सवाल उठने लगते हैं और इन सवालों के जवाबों को ढूँढना कई बार मुश्किल भी हो जाता है; परंतु हाँ! नामुमकिन नहीं।
आज के लेख का विषय भी हिमालय जैसै पर्वत (Highest Mountain Can Grow on Earth) से जुड़ा हुआ है। आज के इस लेख में आप देखने वाले है कि, आखिर ये पर्वत पृथ्वी के ऊपर कितनी ऊँचाई तक बढ़ सकते हैं। क्योंकि हर एक चीज़ कि सीमा होती हैं और कुछ विशेष कारणों के वजह से पर्वतों कि ऊँचाई भी शायद एक हद तक पृथ्वी पर सीमित हो सकती हैं। मित्रों! ये सब बातें आज हम इस लेख के अंदर चर्चा करने वाले हैं। तो, आप लोगों से अनुरोध हैं कि; आप भी मेरे साथ इस लेख में अंत तक बने रहिए और इस विषय के ऊपर गहन से जानिए।
आशा है कि, आप लोगों को इस लेख से बहुत कुछ जानने को मिलेगा।
आखिर कितनी ऊँचाई तक पृथ्वी के ऊपर बढ़ सकते हैं पर्वत? – Highest Mountain Can Grow on Earth! :-
वैज्ञानिकों की माने तो, कोई भी पर्वत (Highest Mountain Can Grow on Earth) पृथ्वी की सबसे ऊंची पर्वत हिमालय से भी ऊंचा बन सकता है, परंतु आखिर क्यों ये संभव नहीं हो पाता है? विज्ञान के दृष्टिकोण से देखें तो, पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल और अपरदन (erosion) किसी भी पर्वत को एवरेस्ट से ऊंचा होने नहीं देते हैं। आज से लगभग 6 करोड़ साल पहले जब यूरोसियन प्लेट इंडियन प्लेट के साथ जा टकराता है, तब एक नए पर्वत का जन्म होता है। एक खास बात ये भी हैं कि, दोनों ही प्लेट एक-समान डैन्सिटि की थी।
इससे दोनों ही प्लेट एक-दूसरे के निचें दबे नहीं रह सकते थे और सिर्फ ऊपर उठना ही उनके नसीब में था। आज के समय में ये पर्वत दुनिया की सबसे ऊंची शिखर माउंट एवरेस्ट को अपने अंदर समेटे हुए हैं। खैर इस शिखर की ऊँचाई लगभग 8.8 किलोमीटर जितनी हैं और इसके नीचे माउंट K2 हैं जिसकी ऊँचाई लगभग 8.6 किलोमीटर तक जितनी रहती हैं। परंतु यहाँ सवाल उठता हैं कि, क्या इतनी ऊँचाई वाले ये दोनों ही शिखर कभी इससे भी ऊंचे हो सकते हैं? क्या ये संभव नहीं हैं कि, माउंट एवरेस्ट की ऊँचाई और ज्यादा बढ़ नहीं सकती थी?
आखिर पृथ्वी के ऊपर ये ऊँचे-ऊँचे पर्वत बढ़ते कैसे हैं? खैर इन सभी सवालों के जवाबों को हम जरूर ही इस लेख में जानने की कोशिश करेंगे। परंतु उससे पहले, आप लोगों से मेरा एक छोटा सा सवाल हैं? क्या आपको हमारे सौर-मण्डल में स्थित सबसे ऊंची शिखर के बारे में पता हैं? अगर हाँ! तो कमेंट कर के जरूरी ही बताइएगा।
माउंट एवरेस्ट से भी ज्यादा ऊँचा हैं इस पर्वत का शिखर! :-
अगर हम थियरि के हिसाब से देखें तो, वैज्ञानिकों के अनुसार किसी भी पर्वत (Highest Mountain Can Grow on Earth) का शिखर माउंट एवरेस्ट से ज्यादा ऊंचा हो सकता हैं। परंतु क्या आप जानते हैं, पृथ्वी के ऊपर इतने ऊंचाई तक बढ़ने के लिए पर्वत के शिखरों को भी कई सारे बड़े-बड़े चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता हैं। पृथ्वी के ऊपर किसी भी पर्वत को बढ़ते वक़्त, पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल का सामना करना पड़ता हैं और बता दूँ कि, ये गुरुत्वाकर्षण बल वाकई में काफी ज्यादा शक्तिशाली होता हैं।
इसके अलावा अपरदन भी पर्वतों को पृथ्वी के ऊपर ज्यादा ऊपर तक उठने ही नहीं देते हैं। हालांकि! ध्रुवीय इलाकों में मौजूद बड़े-बड़े ग्लेसियर काफी ऊँचे-ऊँचे पर्वतों के शिखर को बनाने में प्रकृति कि मदद जरूर ही करते हैं। वैज्ञानिकों कि भाषा में “Glacial Erosion” के चलते बड़े ही खूबसूरती के साथ ऊँचे-ऊँचे पर्वत पृथ्वी के ऊपर बन सकते हैं। हालांकि! ग्लेसियर से बने पर्वत काफी ज्यादा ऊँचे व तीखे होते हैं, जहां लैंड-स्लाइड का खतरा हमेशा बना रहता हैं। इसके अलावा एक चीज़ का ध्यान भी हमें रखना चाहिए।
और वो ये हैं कि, पृथ्वी के ऊपर पर्वत जितना बड़ा और ऊँचा होगा; उसके ऊपर पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल उतना ही अधिक और प्रचंड होगा। इससे पर्वत के ढहने कि संभावना भी काफी ज्यादा हो जाते हैं, जिसके चलते कई सारे पर्वत हिमालय की तरह ऊँचे बन नहीं पाते हैं। अब लोगों के मन में हिमालय को ले कर कई सारे सवाल उठ रहें होंगे की आखिर ये इतना ऊँचा कैसा है?
हिमालय आखिर इतना ऊँचा कैसे है? :-
पर्वतों (Highest Mountain Can Grow on Earth) की जब भी बात उठती हैं, तब हमारे मन में हिमालय अवश्य ही आता हैं। बिना हिमालय के पृथ्वी के पर्वतों का लिस्ट अधूरा हैं। खैर लोगों के मन में अब ये सवाल आ रहा होगा कि, अगर पृथ्वी के ऊपर पर्वतों का ऊपर उठना इतना कठिन हैं; तब आखिर कैसे माउंट एवरेस्ट इतना ऊँचा हैं? वैज्ञानिकों कि मानें तो, माउंट एवरेस्ट का दक्षिणी हिस्सा आज भी काफी ज्यादा असंतुलित नजर आता है और यहाँ पर लैंड-स्लाइड का खतरा भी बहुत ही ज्यादा है। क्योंकि इसका दक्षिणी हिस्सा काफी ज्यादा तीखा है, ये किसी भी वक़्त ढह सकता है।
हालांकि! ऐसे बहुत सारे तरीके हैं, जिनकी मदद से एक पर्वत माउंट एवरेस्ट से भी ऊँचा (लगभग 1.6 km तक और ज्यादा ऊँचा) उठ सकता है। परंतु इसके लिए कई सारे चीजों का सही होना जरूरी है। वैज्ञानिक कहते हैं कि, अगर किसी पर्वत का जन्म ज्वालामुखियों से होता है, तब जा कर वो कभी माउंट एवरेस्ट से भी ऊँचा उठ सकता है। परंतु इसके लिए उस पर्वत को लगातार अपने अंदर से लावा को भी निकालते रहना होगा, जो की बाद में धीरे-धीरे जम कर उसी पर्वत के ऊंचाई को बढ़ाते रहेगा। मित्रों! मैं आप लोगों को बता दूँ कि, ज्वालामुखियों से निकलने वाला लाभा ठंडा हो कर पत्थर बन जाता है।
और आप सब तो जानते ही होंगे कि, एक ठोस पत्थर और बर्फ के टुकड़े में कौन सबसे ज्यादा देर तक टिकेगा। खैर इसी प्रक्रिया के जरिये ही सौर-मण्डल के सबसे ऊंचे पर्वत का जन्म हुआ है, जिसके बारे में मैंने आप लोगों को ऊपर ही पूछा हैं? मित्रों! अगर कोई पर्वत पृथ्वी के ऊपर ज्वालामुखी से बनता है, तब उसकी ऊंचाई काफी ज्यादा होगी।
निष्कर्ष – Conclusion :-
पृथ्वी के हवाई में ही कई बड़े-बड़े ज्वालामुखियों से बने हुए पर्वत (Highest Mountain Can Grow on Earth) मौजूद हैं और शायद वो ही एक जगह है, जहां पर एवरेस्ट से भी ऊंचा पर्वत अपना सर उठा सकता है। ऐसे में एक बात ये भी है कि, पर्वत को बनने के लिए एक सक्रिय ज्वालामुखी का होना भी बहुत ही ज्यादा जरूरी है। हालांकि! पृथ्वी के ऊपर टेक्टोनिक प्लैट की हल-चल कुछ ज्यादा ही होने के कारण, हवाई में ज्वालामुखी उतने ऊँचे पर्वत को बना नहीं पाते थे। पृथ्वी की सतह हमेशा ही इधर-उधर घूमता रहता है और ये ही वजह है कि, एवरेस्ट से ज्यादा ऊंचा शिखर आज तक पृथ्वी पर नहीं बन पाया है।
मित्रों! अगर पृथ्वी का टेक्टोनिक प्लैट मूवमेंट कुछ हद तक शांत होगा तो, बड़े ही आसानी से कोई भी पर्वत हिमालय से भी ऊंचा उठ सकता है। हालांकि! ज्वालामुखियों से बनने वाले पर्वतों की ऊंचाई भी एक हद तक आकर सीमित हो जाती है, जब पर्वत के शिखर तक लाभा को पहुंचाने का प्रेसर काफी ज्यादा बढ़ जाता है। इसके अलावा धीरे-धीरे ज्वालामुखियों का लाभा भी खत्म होने लगता है। तो, दोस्तों! ठीक इसी प्रकार से ही एक पर्वत हिमालय से भी ऊँचा उठ सकता है।
Source – www.livescience.com