21 वीं सदी में इंसान ने कई तरह की तरक्की कर ली हैं। खास तौर पर अगर हम चिकित्सा विज्ञान की बात करें तो, इस क्षेत्र में हमने इतनी तरक्की कर ली हे कि, आज औसतन इंसान की आयु कई सालों तक बढ़ चुकी है। खैर एक बात ये भी है कि, जिस हिसाब से हमने आधुनिकता को अपनाते हुए चिकित्सा विज्ञान में हुए नए बदलावों को सहर्ष स्वीकारा है, ठीक उसी तरह नए-नए बीमारियाँ भी हमें होते आ रही हैं। कोरोना की तपिश से आज शायद ही कोई बचा होगा, परंतु शुक्र है हमारे पास जरूरी दवाइयाँ (Adverse Effect of Drugs on Women) और सटीक साधन पहले से ही मौजूद हैं।
परंतु क्या आप जानते हैं, जिन दवाइओं (Adverse Effect of Drugs on Women) को हम संजीवनी बूटी समझ रहें हैं, उन्हीं दवाईओं के कई घातक साइड इफैक्ट आज पूरी मानव जाती के अंदर चिंता का विषय बन चुका है। वैसे मेरे कहने का मतलब ये है कि, आज हम जिन दवाओं के ऊपर इतना विश्वास कर रहें हैं। वो दवाइयाँ क्या असल में उतने भरोसेमंद हैं! क्या ये सब दवाइयाँ जो हम खा रहें हैं, वो सभी के लिए सुरक्षित हैं? अब आप सोच रहें होंगे कि, आखिर मैं ऐसे सवाल क्यों कर रहा हूँ!
तो मित्रों गौर से पढ़िएगा, आज के हमारे लेख का विषय एक खास रिपोर्ट के ऊपर आधारित है। इस रिपोर्ट में महिलाएं और उन पर अलग-अलग दवाईओं से पड़ रहें कई अहम साइड-इफैक्ट के बारे में कहा गया है।
दवाई खाने से महिलाओं के ऊपर पड़ सकते हैं कई हानिकारक प्रभाव! – Adverse Effect of Drugs on Women! :-
चिकित्सा विज्ञान में एक लोकप्रिय कहावत काफी ज्यादा प्रचलित है और उसके अनुसार “महिलाओं को पुरुषों का आकार में छोटा रूप माना गया है”। वैसे ये बात हाल ही में छपे एक रिपोर्ट के अनुसार काफी गलत नजर आ रही है। दरअसल बात ये है कि, आज कल जितने भी मेडिकल के प्रयोग होते हैं, वो सभी ज़्यादातर चूहों के ऊपर ही होते हैं। मित्रों, चूहों के ऊपर होने वाले ज़्यादातर मेडिकल के प्रयोग काफी ज्यादा सटीक होते हैं और इनका सीधा-सीधा रिस्ता पुरुषों के साथ देखा जाता है।
कहने का मतलब ये है कि, अगर किसी प्रयोग के दौरान किसी चूहे के ऊपर प्रयोग का अच्छा प्रभाव पड़ रहा है, तब वही अच्छा प्रभाव संभव है कि पुरुषों के ऊपर भी पड़े और अगर हम महिलाओं को आकार में पुरुषों का छोटा रूप मानते हैं। तब वही अच्छा प्रभाव महिलाओं के ऊपर भी पड़ना चाहिए। परंतु हकीकत बिलकुल भी ऐसी नहीं हैं। ज़्यादातर देखा गया है कि, महिलाओं और पुरुषों के ऊपर प्रयोगों के दो अलग-अलग प्रभाव पड़ रहें हैं।
कुछ बड़े एक्स्पर्ट्स के अनुसार महिलाओं और पुरुषों के अंदर बीमारियाँ अलग-अलग तरह से फैलती हैं। अगर हम अच्छे से देखें तो हमें पता चलेगा कि, जो बीमारी पुरुषों को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहीं है, वहीं बीमारी महिलाओं में कुछ असर ही नहीं कर पा रहीं है। ऐसे में वैज्ञानिकों को दोनों के अंदर अलग-अलग तरह के प्रयोग करने पड़ेंगे, ताकि बीमारियों की अच्छी जांच हो सके।
आकार में अंतर हो सकता है कारण! :-
आमतौर पर वैज्ञानिकों को ये लगता है कि, महिलाएं और पुरुषों का शरीर काफी ज्यादा अलग है। इसलिए दोनों के अंदर बीमारियों का लक्षण, उसकी तीव्रता और उपचार के तरीके भी अलग-अलग हो सकते हैं। हालांकि इन चीजों के बारे में वैज्ञानिकों को काफी समय से पता है, परंतु ये किस वजह से संभव हो रहा है, इसके बारे में किसी को कुछ नहीं पता है। ये कारण है कि, जब भी किसी नई दबाई (Adverse Effect of Drugs on Women) का प्रयोग महिलाओं के ऊपर किया जाता है, तब महिलाएं इससे ज्यादा प्रभावित होती हैं।
एक खास चीज़ ये है कि, जब भी किसी प्रेसस्क्राइब्ड दबाई का नए ढंग से महिलाओं के ऊपर प्रयोग किया जाता है; तब 50% – 70% संभावना ये बनती है कि, महिलाओं के ऊपर उस दबाई का गलत प्रभाव पड़े। मित्रों! ये एक खास वजह है, जिसके चलते कई बड़ी-बड़ी दबाई बनाने वाले कंपनियों ने बाजार से कई अलग-अलग प्रकार के दवाईओं को लाँच के बाद भी विथड्रॉ (Withdraw) कर लिया है। वैसे कुछ वैज्ञानिकों की इस चीज़ पर एक अलग ही राय है, जो कि बाकी वैज्ञानिकों से मेल नहीं खाती है।
वैज्ञानिकों के एक दल के अनुसार, महिलाओं के अंदर दबाई ठीक उसी तरीके से ही काम करती है, जैसे किसी पुरुष के अंदर। परंतु यहाँ दोनों ही लिंगों के अंदर आने वाले औसतन शरीर के वजन के कारण ही, दवाईयां दोनों के अंदर अलग-अलग तरीके से काम करती हैं। ये ही कारण है, आज-कल दवाईओं का डोजेस शरीर के वजन के अनुसार ही दी जा रही है।
शरीर का वजन और दवाईओं कि मात्रा! :-
दोस्तों! जब भी किसी दवाई (Adverse Effect of Drugs on Women) का डोज़ व्यक्ति के शरीर के वजन के अनुसार दिया जाता है, तब ये देखा गया है कि, उस दबाई का गलत प्रभाव काफी ज्यादा कम हो गया है। परंतु क्या शरीर का वजन ही, दवाईओं से होने वाले हानिकारक प्रभावों का मूल कारण है? मेरे हिसाब से शायद नहीं! कई बायो-मेडिकल प्रयोग ये सूचित करते हैं कि, प्री-क्लीनिकल ट्रायल्स में महिलाओं को हम पुरुषों के आकार का छोटा रूप नहीं कह सकते हैं। क्योंकि दोनों कि शरीर एक समान हो कर भी समान नहीं हैं।
एक बात ये भी हैं कि, महिलाओं के ऊपर पड़ने वाली दवाईओं का हानिकारक प्रभाव खतरनाक होने के साथ-साथ काफी ज्यादा महंगा भी हैं। जरा आप सोचिए आप एक ऐसे दबाई को बना रहें हैं, जिसको की आधी जनता (महिलाओं कि संख्या) इस्तेमाल ही नहीं कर सकती है, तब उस दबाई का मार्केटिंग ही कैसे हो सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ ऑस्ट्रेलिया में ही दवाईओं के हानिकारक प्रभावों के चलते हर साल 2,50,000 से अधिक भर्तियाँ अस्पतालों में होती हैं और इससे लगभग $1.4 अरब का खर्चा हो जाता है।
इसके अलावा एक हैरान कर देने वाली बात ये भी है कि, दवाईओं के हानिकारक प्रभावों के कारण होने वाली अस्पतालों में भर्तियाँ काफी लंबे समय तक चलती हैं, जिसके कारण दूसरे मरीजों के लिए अस्पतालों में जगह ही नहीं बचती है। औसतन दवाईओं के साइड इफैक्ट के कारण होने वाले भर्तियाँ लगभग 8 दिनों तक मरीजों को अस्पताल में रखती हैं।
निष्कर्ष – Conclusion :-
एक सर्वे के अनुसार महिलाओं के ऊपर दवाईओं (Adverse Effect of Drugs on Women) का हानिकारक प्रभाव तब पड़ता है, जब वो लोग किसी दबाई को छोड़ रहें होते हैं। वैसे शरीर के वजन के अनुसार दवाईओं कि मात्रा को निर्धारित करने का तरीका शायद हर दबाई के लिए काम न करे। परंतु कुछ एंटी-फंगल और एंटी-हाइपरटेंसिव दवाईओं के लिए ये तरीका काफी अच्छे से काम कर रहें हैं। परंतु अभी भी कुछ वैज्ञानिक ये मानते हैं कि, दवाईओं कि मात्रा और शरीर के वजन के अंदर कोई संपर्क ही नहीं है।
व्यक्ति के अंदर एक दबाई कैसे एब्सॉर्ब हो कर प्रोसेस हो रही है, उसी से ही दवाईओं के प्रभावों के बारे में पता लगाया जा सकता है। आज के इस आधुनिक युग में जहां मरीजों को व्यक्तिगत रूप से चिकित्सा कि सुविधा मिल सकती है, वहीं एक बड़े ही बर्ग के लोगों के लिए एक समान दबाई कि मात्रा को निर्धारित करना सहीं नहीं होगा। मित्रों! आप लोगों को याद होगा कि; हर किसी व्यक्ति के अंदर ब्लड सेल्स, बोन डैन्सिटि और अंगों का आकार छोटा-बड़ा होता है। तब आखिर कैसे एक ही दबाई की मात्रा को सेट किया जा सकता है।
मित्रों! दवाईओं के ऊपर होने वाले ये प्रयोग सिर्फ पुरुषों के लिए न हो कर महिलाओं के लिए भी अलग रूप से होने चाहिए। इसके अलावा हमें ये भी देखना होगा कि, आखिर क्यों दोनों ही लिंगों में ऐसी क्या खास बात है, जिससे दवाईओं का अलग-अलग असर पड़ रहा हैं।