मुलेठी एक चिर-परिचित औषधि है | भारतवर्ष में इसका उत्पादन कम ही होता है | यह अधिकांश रूप से विदेशों से आयातित की जाती है | चरक संहिता के कंठ्य ,जीवनीय,संधानीय ,मूत्रविरजनिय,वमनोपग तथा सुश्रुत संहिता के काकोल्यादि,सारिवादि,अंजनादि गणों में इसका उल्लेख मिलता है |
आइये जानते हैं इसके कुछ औषधीय प्रयोग —–
- मुलेठी का चूर्ण एक भाग,इसका चौथाई भाग कलिहारी का चूर्ण तथा थोडा सा सरसों का तेल मिलकर नासिका में नसवार की तरह सूंघने से किसी भी प्रकार की शिरोवेदना में लाभ होता है |
- मुलेठी एवं टिल को भैंस के दूध में पीसकर सिर पर लेप करने से बालों का झड़ना बंद हो जाता है |
- मुलेठी के क्वाथ से नेत्रों को धोने से नेत्रों के रोग दूर होते हैं | मुलेठी की मूल चूर्ण में बराबर मात्रा में सौंफ का चूर्ण मिला कर एक चम्मच प्रातः सायं खाने से आँखों की जलन मिटती है तथा नेत्र ज्योति बढ़ती है |
- मुलेठी को पानी में पीसकर , उसमें रूई का फाहा भिगोकर नेत्रों पर बाँधने से नेत्रों की लालिमा मिटती है |
- मुलेठी मूल के टुकड़े में शहद लगाकर चूसते रहने से लाभ होता है |
- संभाग, मुलेठी (3-5 ग्राम ) तथा कुटकी चूर्ण को मिलाकर 15-20 ग्राम मिश्री युक्त जल के साथ प्रतिदिन नियमित रूप से सेवन करने से हृदयरोगों में लाभ होता है |
- मुलेठी को चूसने से हिचकी दूर होती है |
- एक चम्मच मुलेठी मूल चूर्ण में शहद मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से पेट और आँतों की एठन का शमन होता है |
- 2-5 ग्राम मुलेठी चूर्ण को जल और मिश्री के साथ सेवन करने से पेट दर्द में लाभ होता है |
- एक चम्मच मुलेठी चूर्ण को एक कप दूध के साथ सेवन करने से मूत्रदाह में लाभ होता है |