हमारा ब्रह्मांड (Universe Is Doomed To Evaporate) लगभग 14 अरब साल पुराना हो चुका है और न जाने आगे चलकर इसकी उम्र और कितनी बढ़ेगी। ऐसे में हर समय हमारे मन में ये भय लगा रहता है कि, आखिर हमारे पास और कितना समय बचा हुआ है। मेरे कहने का ये अर्थ है कि, ब्रह्मांड में मौजूद हर एक चीज़ आखिर कितनी देर तक अपने अस्तित्व में रह सकती है! मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि, वैज्ञानिकों के द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में लिखी बातें, काफी ज्यादा चौंका देने वाली हैं। और आज के लेख में हम इसी रिपोर्ट के ऊपर ही चर्चा करने जा रहें हैं।
मित्रों! ब्रह्मांड (Universe Is Doomed To Evaporate) में एक ऐसी चीज़ है, जिसके बारे में सब जानते हैं और साथ ही साथ उससे काफी ज्यादा डरते भी हैं। मैं यहाँ बात कर रहा हूँ, ब्लैक-होल के बारे में। ब्रह्मांड की शायद ये एक ऐसी चीज़ है, जिसके बारे में सुनकर ही हर किसी का पसीना छूट जाता होगा। क्योंकि इसके नाम से ही, इसके क्रूर रूप का अंदाजा लगने लगता है। इसके अलावा मैं आप लोगों को बता दूँ कि, ब्लैक-होल अपने-आप में ही काफी ज्यादा रहस्यमयी होते हैं। न तो हमको इनके बारे में ज्यादा कुछ पता है और न ही हम ज्यादा इसके बारे में पता लगा सकते हैं।
ऐसे में ब्लैक-होल से जुड़ा ये लेख और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है, आपको इसके अंदर ब्लैक-होल से जुड़ी कुछ बेहद ही नई व हैरान कर देने वाली बातों के बारे में पता चलने वाला है।
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एक दिन नष्ट होने वाला है ये पूरा ब्रह्मांड! – Universe Is Doomed To Evaporate! :-
एक पुरानी कहावत ये है कि, इस दुनिया में हर एक चीज़ का आरंभ व अंत दोनों ही मौजूद हैं। किसी भी चीज़ या वस्तु का जन्म लेते ही, उसका अंत भी तय हो जाता है। और दोस्तों! ठीक ये ही कहावत हमारे इस ब्रह्मांड (Universe Is Doomed To Evaporate) के ऊपर भी सही बैठती है। वैज्ञानिकों के अनुसार ये ब्रह्मांड एक दिन खत्म होने वाला ही हैं। दरअसल बात ये है कि, साल 1974 में स्टीफन हॉकिंग ने एक अनुमान किया था, जो की शायद आज सच होने लगा हैं और इसके बारे में दुनिया भर के वैज्ञानिक भी काफी ज्यादा हैरान होने लगे हैं।
उस वक़्त्त स्टीफन हॉकिंग ने ये अनुमान लगाया था कि, ब्रह्मांड की हर एक चीज़ एक दिन ब्लैक होल के अंदर समाने वाली है। और सबसे चौंका देने वाली बात ये है कि, हम इसके बारे में ज्यादा कुछ कर भी नहीं सकते हैं। उनके हिसाब से ब्रह्मांड में जिस किसी भी चीज़ के अंदर वजन है, उसका अंत एक न एक दिन ब्लैक-होल के अंदर ही होने वाला है। इसलिए हम-आप, ये पृथ्वी, ये सौर-मण्डल हर एक चीज़ एक दिन ब्लैक-होल के अंदर समाप्त होने वाले हैं। इसलिए आप ये भी कह सकते हैं कि, एक न एक दिन हमारा अस्तित्व ही इस ब्रह्मांड से पूरे तरीके से मिट जाएगा।
अब आप खुद ही सोच कर देखिये, ब्लैक-होल के अंदर का नजारा कैसा होगा! क्या इसके अंदर जा कर कोई जिंदा रहने के बारे में भी सोच सकता है! मेरे हिसाब से शायद नहीं। इसलिए ब्लैक-होल हर एक चीज़ का अंतिम पड़ाव होगा। कुछ वैज्ञानिक इस थ्योरी को, एक घातक थ्योरी भी कह रहें हैं।
सबसे डरावनी थ्योरी! :-
1974 में स्टीफन हॉकिंग ने एक बहुत ही अजीब चीज़ के बारे में अनुमान लगाया था। उनके हिसाब से जब किसी भी एक ब्लैक-होल का अंतिम समय आता है, तब वो खुद के अंदर से काफी शक्तिशाली ऊर्जा को प्रकाश के किरणों से जरिये ब्रह्मांड में विकीरित करता है। इसे स्टीफन हॉकिंग ने “Hawking Radiation” का नाम दिया था। इसलिए आप लोगों को ब्लैक-होल के बाहरी हिस्सों में प्रकाश के तेज किरणों को देखने को मिलते हैं। मित्रों! इस तरह की घटना ब्लैक-होल के पास मौजूद काफी शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण बल के कारण संभव हो पाता है।
इसके अलावा एक चौंका देने वाली बात ये है कि, जब कोई ब्लैक-होल ब्रह्मांड (Universe Is Doomed To Evaporate) के अंदर प्रकाश के किरणों को विकीरित करने लगता है, तब धीरे-धीरे वो अपने खुद का वजूद भी खोना शुरू कर देता है। और आखिर में एक ऐसा समय भी आता है, जब ब्लैक-होल के अंदर किसी भी प्रकार की कोई ऊर्जा नहीं मौजूद रहती है। मित्रों! मैं आप लोगों को बता दूँ कि, ये ही वो समय है जब कोई ब्लैक-होल पूरी तरीके से नष्ट हो जाता है।
हालांकि! हाल ही में छपी एक रिपोर्ट में एक काफी ज्यादा हैरान कर देने वाली बात सामने आयी है। इससे पहले वैज्ञानिकों को लगता था कि, सिर्फ ब्लैक-होल के अंदर से निकलने वाली ऊर्जा ही “Hawking Radiation” का हिस्सा होती है। परंतु ये बात सच नहीं है, वैज्ञानिकों के हिसाब से ब्लैक-होल अपने आस-पास मौजूद हर एक चीज़ से ऊर्जा को सोख कर हॉकिंग रेडिएशन में खर्च कर देता है।
हर एक चीज़ भाप बन कर उड़ने वाली है! :-
मित्रों! क्या आप जानते हैं, अगर स्टीफन हॉकिंग के द्वारा दी गई ये थ्योरी सच होती है, तब इस ब्रह्मांड (Universe Is Doomed To Evaporate) में जल्द ही हाहा-कार मचने वाली है। लगभग हर एक चीज़ का अपनी खुद का वजन होता है और ऐसे में एक दिन ये सारे के सारे चीज़ें ब्लैक-होल के द्वारा सोख लिये जाएगें। बाद में ये चीज़ें प्रकाश की किरणों के रूप में ब्रह्मांड के हर तरफ फैल कर अपना वजूद हो खो बैठेंगे। हालांकि! अभी के लिए ये एक सिर्फ थ्योरी हैं।
परंतु कुछ वैज्ञानिक ये भी कहते हैं कि, ब्लैक-होल के अलावा भी, ब्रह्मांड में कई ऐसी चीजें भी मौजूद हैं, जो कि इस तरह के रेडिएशन को अंजाम दे सकती हैं। ब्रह्मांड के सबसे बड़े-बड़े पिंड या खत्म हो चुके सितारों के अवशेष भी हॉकिंग रेडिएशन को अंजाम दे सकते हैं। यही वजह है कि, हमें सिर्फ ब्लैक-होल से नहीं, परंतु इन चीजों से भी खतरा है। वैसे कुछ वैज्ञानिक ये भी कहते है कि, बीतते समय के साथ ब्रह्मांड की हर एक चीज़ इसी रेडिएशन के द्वारा अपने अंदर से ऊर्जा को ब्रह्मांड में विकीरित कर रही है। शायद ये ही वजह है कि, यहाँ हर एक चीज़ का अंत है।
क्वान्टम फील्ड थ्योरी के हिसाब से, ब्रह्मांड में “वैक्युम” नाम की कोई जगह ही नहीं है। इसके हिसाब से ब्रह्मांड का हर एक कोना बहुत ही छोटे-छोटे व काल्पनिक कणों से पैदा होने वाले कंपन से भरा हुआ है। ये कंपन मूलतः कणों से विकीरित हो रही ऊर्जा (बहुत ही कम मात्रा में) के कारण ही संभव हो पाता है। कई वैज्ञानिक इस छोटे से कण से निकलने वाले ऊर्जा को “Photon” का नाम देते हैं।
निष्कर्ष – Conclusion :-
1974 में स्टीफन हॉकिंग के द्वारा दी गई एक रिपोर्ट से ये पता चलता है कि, ब्लैक-होल के अंदर जिस शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण बल को महसूस किया जाता है, वो सब इसलिए होता है, क्योंकि उसी से ही इस ब्रह्मांड में फोटोन के कणों को वजूद में लाया जा सकता है। ब्रह्मांड (Universe Is Doomed To Evaporate) में लगातार ब्लैक-होल अपने आकार को बढ़ाते जा रहें हैं, परंतु उसके साथ-साथ वो अपने अंदर से ऊर्जा को ब्रह्मांड के अंदर विकीरित भी कर रहें हैं। यही वजह है कि, काफी समय बाद ब्लैक-होल भी खत्म होना शुरू कर देते हैं। परंतु ये समय शायद हमारे ब्रह्मांड की कुल उम्र से भी ज्यादा हो सकता है।
हालांकि! एक बात ये भी है कि, ब्रह्मांड के अंदर किसी भी जगह हॉकिंग रेडिएशन बन सकता है। और लाजिमी नहीं है कि, हर बार ये एक ब्लैक-होल के पास ही बने। ब्रह्मांड की कई बड़ी-बड़ी (आकार में) चीज़ें अपने गुरुत्वाकर्षण बल के प्रयोग से हॉकिंग रेडिएशन को जन्म दे सकती हैं। वैसे इसके ऊपर आज भी पुष्टीकरण आना बाकी है।
Source :- www.livescience.com
यह लेख मुझे मेरे बचपन के समय को याद दिलाता है जब मैं अपने दिन का पूरा समय discovery science चैनल देखता रहता था। उसी समय मैंने स्टीफन हॉकिंग के ब्लैक होल वाला डॉक्यूमेंट्री देखा था। वह समय बहुत अच्छा समय था।
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