आज के इस मॉडर्न युग में हर कोई स्मार्टफोन का प्रयोग करता है। स्मार्टफोन एक तरीके से हम मानवों के लिए किसी जरूरी अंग से कम नहीं है। इसलिए इसे लगातार रुप से चलाये रखने के लिए, बार-बार फोन को चार्ज करना पड़ता है। ये ही वजह है कि, स्मार्टफोन के साथ-साथ एक चार्जर कि भी काफी ज्यादा अहमियत है। हालांकि! चार्जर आज वायरलेस (Under Skin Wireless Charger) हो चुके हैं। जिस कारण से, आज हम अधिक सुगमता के साथ इनका प्रयोग कर पा रहें हैं। वैसे मित्रों! अगर मैं यहाँ कहूँ कि, एक वायरलेस चार्जर हमारे शरीर के अंदर भी लगाया जा सकता है, तो क्या आप मेरी बातों पर यकीन कर पाएंगे?
शायद कई लोगों को मेरी बातों को हजम करने में दिक्कत आ सकती है, परंतु यकीन मानिए दोस्तों आज मैं जिस वायरलेस चार्जर (Under Skin Wireless Charger) के बारे में बातें करने जा रहा हूँ, वो कोई आम वायरलेस चार्जर नहीं है। ये एक तरीके से विज्ञान का वरदान ही है। क्योंकि हम इन्हें अपने शरीर के अंदर लगा सकते हैं। साथ ही साथ इनके जरिये कई चीजों को चार्ज भी कर सकते हैं। इसलिए आज का ये लेख काफी ज्यादा अनोखा होने वाला है, तो इसे आरंभ से ले कर अंत तक जरूर पढ़िएगा।
तो, चलिये अब लेख में आगे बढ़ते हुए भगवान जी का नाम लेते हुए इसे शुरू करते हैं और देखते हैं कि, आखिर ये अद्भुत वायरलेस चार्जर क्या है?
शरीर के अंदर लगने वाला वायरलेस चार्जर! – Under Skin Wireless Charger! :-
वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक ऐसे वायरलेस चार्जर (Under Skin Wireless Charger) का अविष्कार किया है, जो हमारे शरीर के अंदर इन्स्टाल हो कर काफी कुछ चीजों को चार्ज कर सकता है। उदाहरण के लिए, शरीर के अंदर लगे मेडिकल इमप्लांट को भी ये आसानी से चार्ज व काम करने योग्य बना सकता है। इसके अलावा ये शरीर के अंदर से ऊर्जा ले कर खुद चार्ज हो सकता है और शरीर के दूसरे अंगों तक एक-समान रूप से चार्ज पहुंचा सकता है। मूलतः ये चार्जर शरीर के त्वचा के नीचे लगाया जा सकता है।
हालांकि! इस चार्जर का परीक्षण अब तक सिर्फ चूहों तक सीमित है, परंतु आगे आने वाले समय में ये दूसरे जीवों तक भी पहुँच सकता है। मित्रों! इस चार्जर से हमें ये फायदा हो सकता है कि, शरीर के अंदर लगने वाले इमप्लांट में और बैटरी या किसी जटिल वायरिंग की जरूरत नहीं पड़ेगी। जिससे बड़े ही आसानी के साथ मरीजों के अंदर इंप्लांट लगाया जा सकता है। आज के समय में कई बायोएलेक्ट्रोनिक डिवाइस उनमें लगे बैटरी के ऊपर काफी ज्यादा निर्भर रहते हैं। ऐसे में इनकी काबिलीयत काफी ज्यादा कम हो जाती है।
इसके अलावा इन बैटरियों को लगातार रूप से चलाने के लिए, चार्ज भी करना पड़ता है। जिससे मरीजों के अंदर इन्फ़ैकशन होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में ये कई बार जानलेवा भी साबित होते हैं। इसलिए मैंने लेख के आरंभ में ही कहा था कि, ये वायरलेस चार्जर किसी वरदान से कम नहीं हैं। हालांकि, इस समस्या का भी समाधान किया जा सकता है।
आखिर कैसा है ये वायरलेस चार्जर? :-
अब लोगों के मन में इस वायरलेस (Under Skin Wireless Charger) चार्जर को लेकर कई सारे सवाल उठ रहें होंगे। जैसे कि, आखिर ये वायरलेस चार्जर क्या है? तो मित्रों, मैं आप लोगों को बता दूँ कि, ये चार्जर इंसानी त्वचा के नीचे लगाई जाने वाली एक तरह कि बायो-मेडिकल चिप है, जो की मूलतः चार्जिंग के लिए इस्तेमाल की जाती है। इसे वैज्ञानिकों ने चूहों पर इस्तेमाल कर के देख लिया है और इसके रिज़ल्ट काफी ज्यादा उत्साहजनक भी है। वैज्ञानिकों की मानें तो, ये चिप शरीर के अंदर काफी संतुलन के साथ ऊर्जा का ट्रान्सफर करवा सकती हैं और ये शरीर के अंदर से खुद ऊर्जा ले सकती है।
इसके अलावा ये चिप शरीर के अंदर कोई भी साइड इफैक्ट नहीं दे सकती है। शोध कर्ता बताते हैं कि, ये चिप बायो-डिग्रेडेबल है और ये आसानी से शरीर के अंदर टिसु का रूप भी ले सकती हैं। इसके अलावा एक खास बात ये भी हैं कि, इस चिप से आप काफी आसानी से कई चीजों को चार्ज भी कर सकते हैं। इसलिए इसे आज तक की सबसे मॉडर्न व भरोसेमंद इमप्लांट चार्जर का खिताब भी दिया गया है। बाकियों की तुलना में ये चार्जर काफी ज्यादा सक्षम और काबिल है।
इस चिप के अंदर एक मैग्नीशियम कोइल लगा हुआ है और इसके ऊपर (त्वचा के नीचे) ही दूसरा एक कोइल लगा हुआ है। तो, जब भी ये मैग्नीशियम कोइल चार्ज होगा, तब ये पूरे डिवाइस को एक्टिव कर देगा। हालांकि! इसके अंदर एक तरह का पावर स्टोरिंग मॉड्यूल भी लगा हुआ है, जो की “ज़िंक-आईओंन” से बना हुआ है। इसे आप कैपासिटर भी कह सकते हैं। मित्रों! ये डिवाइस अपने-आप में ही काफी ज्यादा विकसित है।
आखिर कैसे काम करता है ये डिवाइस? :-
इंसानी शरीर के अंदर लगने वाला ये डिवाइस (Under Skin Wireless Charger) एक अलग ही तरीके से काम करता है। कहने का मतलब ये है कि, एक आम बैटरी से विपरीत ये डिवाइस ऊर्जा को इलेक्ट्रिकल फॉर्म में स्टोर करता है। इसके अलावा ये डिवाइस ऊर्जा को एक साथ भारी मात्रा में डिसचार्ज करने कि भी क्षमता रखता है। मित्रों! आप लोगों को अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, इस डिवाइस के अंदर ऊर्जा काफी सघन हो कर रहता है। परंतु सबसे खास बात ये है कि, इस डिवाइस का पर यूनिट एरिया एनर्जि स्टोरेज कैपेसिटी आम बैटरी से कम होता है।
शोधकर्ता इस बायो-डिग्रेडेबल इमप्लांट को एक एनर्जी स्टोरेज और एनर्जी हार्वेस्ट मॉड्यूल के साथ अटैच कर के शरीर के अंदर डालने कि कोशिश कर रहें हैं। यहाँ आप लोगों को बता दूँ कि, जब ये डिवाइस किसी भी मेडिकल इमप्लांट के साथ जुड़ता है, तब इससे सीधे तरीके से बिजली सर्किट के जरिये इमप्लांट में पहुंचता है और कैपेसिटर में स्टोर होता है। मित्रों इससे डिवाइस के अंदर निरंतर बिजली का संचालन होता रहता है। मित्रों! आपको क्या लगता है, क्या ये डिवाइस आगे चलकर क्रांति लाने वाला है? क्या हम इसे व्यापक रूप से इस्तेमाल कर पाएंगे? कमेंट कर के जरूर बताइएगा।
वैज्ञानिक कहते हैं कि, ये डिवाइस चूहों के अंदर लगभग 10 दिनों तक काम करने में सक्षम रहा। इसके अलावा आप लोगों कि अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, चूहों के शरीर के अंदर ये सिर्फ दो महीने के अंदर ही घुल कर मिल गया था। जिससे आप ये कह सकते हैं कि, ये वाकई में काफी ज्यादा बायोडिग्रेडेबल हैं।
निष्कर्ष – Conclusion :-
मित्रों! इस डिवाइस (Under Skin Wireless Charger) को ज्यादा समय तक शरीर के अंदर काम करने लायक बना कर रखने के लिए, इसके ऊपर पॉलीमर और वेक्स लेयर को ज्यादा मोटा कर के लगाया जाता है। इससे ये डिवाइस शरीर के अंदर जल्दी से नहीं गलता है। वैज्ञानिकों ने इस डिवाइस को ड्रग डेलीवेरी सिस्टम के तौर पर भी टेस्ट कर के देख लिया है। इससे चूहों के अंदर बुखार जैसे कई साधारण बीमारियों को ठीक किया जा चुका है। रिपोर्ट के अनुसार इस डिवाइस के जरिये चूहों के अंदर बुखार को 12 घंटों के अंदर कंट्रोल किया जा सकता है।
इन्सानों के अंदर इस डिवाइस को लगाने से पहले काफी रिसर्च करना बाकी है। इसके अलावा इस डिवाइस को अभी भी ऑटोमैटिक बनाना बाकी है। क्योंकि ये डिवाइस अभी सिर्फ पावर शोर्टेज के टाइम ही काम करना बंद करता है। इसलिए इसको और भी ज्यादा विकसित किया जाना चाहिए। क्योंकि इसे इन्सानों के अंदर लगाया जाना वाला है।
ये डिवाइस अभी पूरे तरीके से तैयार नहीं है, क्योंकि शरीर के अंदर डालने के लिए अभी भी ये काफी ज्यादा बड़ा है। इसके अलावा इसके अंदर एक रेक्टीफायर भी लगा हुआ हैं, जो कि मुसीबत पैदा कर सकता है।
Source :- www.livescience.com