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करोड़ों साल पहले ही अष्टावक्र ने बता दिए थे इंसानों के 4 प्रकार – जानिए इनके बारे में

ज्ञान क्या है ?

यदि इस सवाल का जवाब आप बहुत सटीक देंगे तो शायद कोई आम इंसान आपकी बात पर भरोसा करले और आपके उत्तर को सबसे ठीक समझे। पर अगर आप अपने तर्क और जवाब को किसी सिद्धपुरुष या ज्ञानी के सामने रखेंगे तो सबसे पहले वो आपको ही संदेह में डाल देगा कि क्या आपने वास्तव में इस सवाल का जवाब देने की पात्रता पूरी करली है या फिर आपने बस चंद किताबों और थोड़े से अनुभव के आधार पर उत्तर दिया है!

ये कोई खेल नहीं है कि कौन किससे ज्यादा बुद्धिमान है कौन नहीं । ज्ञान और बुद्धिमता की बातें हम अक्सर कहीं न कहीं से जान ही लेते हैं। ज्ञान के भी अपने इस भौतिक संसार में विभाजन हैं अगर हम तरह तरह के कौशल और कला की बात करें तो । पर बुद्धिमान व्यक्ति इसे ज्ञान नहीं केवल निपुणता ही कहेगा क्योंकि सच्चा ज्ञान प्राप्त करने के लिए किसी कला पर रुचि देना नहीं है बल्कि मन को स्थिर करके आत्मबोध की और ध्यान देना है।

आत्मबोध की बात करें तो इसका सबसे अच्छा उल्लेख हमें अष्टावक्र गीता में मिलता है जहां महर्षि अष्टावक्र ने श्रेष्ठ राजा जनक को इस आत्मज्ञान और आत्मबोध का मार्मिक तर्कों द्वारा उपदेश दिया है। आत्मबोध को अगर सबसे पहले स्तर पर देखा जाए तो इसके लिए किसी भी मनुष्य को अपनी पात्रता और योग्यता सिद्ध करनी पड़ती है। बिना योग्यता के दिया हुआ ज्ञान भी व्यर्थ ही जाता है क्योंकि उसका कोई आधार या उपयोग नहीं हो पाता।

ज्ञान से ही सब कुछ शुरू होता है। यदि ज्ञान है तो जीवन है , अन्यथा सब शून्य ही है।अष्टावक्र ने ज्ञान प्राप्ति के आधार पर ही मनुष्यों को 4 प्रकार में डाला है जहां सारी मानव जाति का सबसे सटीक तरह से समाहित होती है।

1. ज्ञानी

ज्ञानी कौन है ?  ज्ञानी वही है जिसे सबसे पहले आत्मज्ञान प्राप्त है क्योंकि यदि उसके पास आत्मज्ञान है तभी वो खुद के इस संसार में होने का कारण सुनिश्चित कर सकता है।बिना आत्मज्ञान के मनुष्य केवल भटकता ही है । वो तरह तरह के प्रपंचों और मिथ्या धारणाओं के भ्रम में फंस जाता है। केवल स्वार्थपूर्ति और जीवनयापन का विचार करके ही इस जीवन को बिना किसी उद्देश्य के जीता है। अगर हमें आत्मज्ञान है तो हमें हर वक़्त खुद की सुध रहती है और हमारी बुद्धि हमेशा सही निर्णय लेती है क्योंकि बिना इसके आत्मा या हमपर बिना जाने केवल मन का अधिकार रहता है। और आप तो जानत ही हो कि मन कितना अस्थिर और चंचल है। आत्मज्ञान ही मन को स्थिर और नियंत्रण में रख सकता है और ज्ञानी मनुष्य का मन कहीं नहीं भटकता । वो जहां चाहे उसे ले जा सकता है और जब चाहे मुक्त कर सकता है।

2. मुमुक्षु

इस तरह के मनुष्य ज्ञानी लोगों से नीचे स्तर   पर आते हैं जहां वे केवल और केवल निश्चय मन से ज्ञान प्राप्त करने के लिए जिज्ञासु रहते हैं।उन्हें ज्ञान के बिना एक अधूरापन महसूस होता है और हर जगह से दिव्य ज्ञान की खोज करते ही रहते हैं। ये लोग ज्ञानियों से ही अपना सानिध्य बनाते हैं और ज्ञानप्राप्ति की पात्रता सिद्ध कर चुके होते हैं। भौतिक ज्ञान तो मात्र जीवन के अलग अलग पड़ाव पर प्राप्त करने वाला ज्ञान है मगर आध्यत्मिक ज्ञान जन्म से पहले भी होता है और मृत्यु के बाद भी। दिक्कत बस इतनी सी है कि ये ज्ञान हम बस भूल चुके हैं और उसे ही प्राप्त कर रहे हैं । ये ज्ञान ही हमारे आने वाले कई जीवन को निर्धारित करता है और इसका फल केवल इंसान को मुक्त ही करता है।

3.अज्ञानी

इस तरह के मनुष्यों से ये संसार भरा हुआ है जिन्हें ज्ञान तो है मगर यही नहीं पता कि उन्हें ज्ञान क्यों प्राप्त है और उस ज्ञान को उन्हें करना क्या है ! वे केवल तरह तरह के शास्त्र और विद्याओं को पढ़कर बस तर्क करते हैं और केवल तथ्यों की ही तरफ ध्यान देते हैं। ऐसे लोग व्यवहार में प्राप्त किये ज्ञान को कभी नहीं लाते और यही लोग सबसे ज्यादा अहंकारी और क्रूर हो जाते हैं। केवल दूसरों से अधिक ज्ञान प्राप्त करना ही ज्ञानप्राप्ति की श्रेष्ठता को सिद्ध नहीं करता बल्कि हमनें किस तरह का ज्ञान प्राप्त किया है और कहां उसका उपयोग हुआ है ये मायने रखता है। ज्ञान को तराजू में तोलने से अच्छा है पानी में घोलकर देखा जाए तभी उसकी असली गुणवत्ता पता चलेगी।

4.मूढ़

ये कहना गलत नहीं होगा कि दुनिया ऐसे लोगों से भरी हुई है और ये लोग ही इस दुनिया को अपना मानकर इसपर स्वामित्व जताते हैं।मूढ़ व्यक्ति वही है जिसे ज्ञान की कोई परवाह नहीं है। उसे बस इतना पता है कि कैसे जीवन काटना है , कैसे धन और ऐश्वर्य कमाना है और फिर मार जाना है। ऐसे लोगों का ही जीवन सबसे अधिक व्यर्थ जाता है क्योंकि न तो ये खुद के बारे में जानते हैं और न ही ये जानने की कोशिश करते हैं कि इनका नियंता कौन है ? इन्हें तो ईश्वर पर भी विश्वास नहीं होता और आध्यात्म से तो इनका दूर दूर का नाता नहीं होता । ऐसे लोग बस केवल दूसरों को देखकर और उनसे परस्पर प्रतिद्वंदिता के आधार पर पूरा जीवन निकाल देते हैं।

अष्टावक्र के अनुसार सबसे श्रेष्ठ ज्ञानी होता है उसके बाद मुमुक्षु , उसके बाद अज्ञानी और सबसे निम्न होता है मूढ़ व्यक्ति।

Shubham

शुभम विज्ञानम के लेखक हैं, जिन्हें विज्ञान, गैजेट्स, रहस्य और पौराणिक विषयों में रूचि है। इसके अलावा ये पढ़ाई करते हैं।

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