Environment

इथियोपिया ने एक दिन में 35 करोड़ पेंड़ लगाकर (Tree-planting Record) रचा विश्व इतिहास

इथियोपिया की सरकार ने वास्तव में एक असाधारण रिकॉर्ड कायम किया  है, जिसमें दावा किया गया है कि राष्ट्र के नागरिकों  ने   12 घंटे में 353 मिलियन पेड़ लगाए ,  (Tree-planting  Record Of Ethiopia ) यानि की 35 करोड़ 30 लाख पेड़ लगा करके इथियोपिया ने 20 करोड़ पेड़ो का पुराना अपना रिकाॅर्ड तोड़ दिया है। इससे पहले ये रिकाॅर्ड भारत ने नाम था जिसने   घंटो के अंदर  करोड़ पेड़ लगाये थे। 

पिछले महीने विज्ञान पत्रिका में छपे एक शोध के आधार पर जलवायु संकट की चिंता जाहिर की गई थी। शोधकर्ताओं ने सेटलाइट की मदद से मिट्टी के नक्शों   का डाटा इस्तेमाल किया ,  उन्होंने  पृथ्वी के  9 मिलियन वर्ग किलोमीटर भूमि को पेड़ों के लगाये जाने के लिए अनुकूल माना है। वर्तमान में इस भूमि पर किसी भी तरह का कोई विकास कार्य और शहरीरकरण या फसलों के उपयोग का चिन्ह नहीं है। बड़े होने के बाद, ये पेड़ 205 बिलियन टन (225 बिलियन टन) कार्बन का भंडारण करेंगे, ये इतना कार्बन है स्टोर करने वाले हैं जितना मनुष्यों ने पिछले  100 सालों के  इतिहास में उत्सर्जित किया है।

तो इथियोपिया का ये प्रयास कैसा है? इससे क्या होने वाला है?

पेड़ों की कार्बन भंडारण क्षमता (Carbon Storage Capacity) , निश्चित रूप से हर प्रजातियों में भिन्न होती है, साथ ही उन परिस्थितियों में भी अलग होती है जिनमें वे उगाये जाते हैं। हालाँकि, विज्ञान पत्र में अनुमान लगाया गया है कि प्रस्तावित क्षेत्र को कवर करने के लिए 500 बिलियन पेड़ लगेंगे।   अगर हम ये मान लें कि इनमेंसे केवल 50 प्रतिशत ही पेड़ आगे जीवित रहेंगे तो इतने पेड़ों को लगाने के लिए पूरी दुनिया को इथियोपिया की तरह 3000 हजार बार ये प्रयास करना होगा। 

हालाँकि इस परियोजना में स्थानीय प्रेरणाएँ भी थीं।  कुछ साल पहले एक पर्यावरणीय जनगणना ने बताया कि इथियोपिया का अब सिर्फ 4 प्रतिशत हिस्सा ही जंगल से ढका है। 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में, यह 35 प्रतिशत था।  इसकी  बजह से इस देश में  कटाव (erosion ) और मरुस्थलीकरण (desertification)  का संकट बहुत बढ़ गया है।  वनों की कटाई के कारण ही यहां पर 1980 में एक भयानक अकाल ने पूरे देश को खत्म सा कर दिया था। 

इथियोपिया ने हाल के वर्षों में कुछ सबसे तेजी से आर्थिक लाभों का अनुभव किया है, साथ ही साथ मानव अधिकारों पर प्रगति कर रहा है,  लेकिन  जातिया हिसांओ के बजह से अब इश देश में करीब 10 लाख लोग देश छोड़ने को विविश हैं। आशा है कि रोपण कार्यक्रम में व्यापक भागीदारी इथियोपियाई लोगों को एक सामान्य उद्देश्य देगी।  सरकार ने इस सीज़न में 4 बिलियन ( 400 करोड़) पेड़ों (Tree-planting Record) काे लगाने का लक्ष्य रखा है,  जिसमें दावा किया जा रहा है कि सरकार अपने आधे लक्ष्य को बस प्राप्त करने ही वाली है।

22 सालों में हो जायेगा सब बेकार

हालांकि अगर हम पूरी 90 लाख वर्ग भूमि को पेड़ों से ढक दें तो भी वातावरण में हो रहे बदलाव और मौसम के बदलने के कारण हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते हैं।  पर अगर हम बिना सोचे समझे आज की तरह ही इंधन और कोयले को जलाते रहेंगे तो जो आज हम भलाई करने जा रहे हैं और 500 बिलियन ((Tree-planting Of 500 Billion Trees) पेड़ो का लक्ष्य है उसे केवल 22 सालों में फिर से बेकार कर देंगे। हमें बहुत सोच- समझकर ही आगे के विकास और उर्जा के स्रोंतो पर ध्यान देगा होगा।

रिसर्च पेपर में एक दावा ये भी किया गया है कि पेड़ो को अपनी पूरी  भंडारण क्षमता तक पहुंचने में दशकों से सदियों का समय लगता है , पर अगर तापमान ज्यादा हो और गर्मी रहे तो यही दर घट जाती है जिससे कई पेड़ो को नुकसान भी पहुँचता है।

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अगर आज की स्थिति देखी जाये तो  2050 तक पृथ्वी पर एक चौथाई जमीन ऐसी बन सकती है जहां पर शायद पेड़ लगाना ही मुश्किल काम बन जाये, अगर स्थिति को सुधारना है तो आज से ही हमें ठोस कदम उठाने पड़ेगे और कई पेड़ लगाने (Tree-planting)  होंगे। अभी पूरी पृथ्वी पर करीब 3 लाख करोड़ पेड़ है, अगर हम नहीं सुधरे और वनों के काटते रहे तो इथियोपिया जैसे हाल हमारे देशो में भी होने चालू हो जायेंगे।

Shivam Sharma

शिवम शर्मा विज्ञानम् के मुख्य लेखक हैं, इन्हें विज्ञान और शास्त्रो में बहुत रुचि है। इनका मुख्य योगदान अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान में है। साथ में यह तकनीक और गैजेट्स पर भी काम करते हैं।

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