क्या वेटिकन सिटी भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर था? शायद हम इस सम्बन्ध में यकीनन कुछ न कह पाए पर हाल ही में इतिहासकार पी.एन.ओक ने अपने शोध में यह दावा किया है। उनके अनुसार इस्लाम और ईसाई दोनों ही धर्म हिन्दू धर्म के यौगिक हैं तथा वेटिकन शहर के अलावा काबा और यहां तक कि ताज महल भी मूलत: शिव को ही समर्पित मंदिर हैं। आज का यह लेख उनके शोध पर ही आधारित है। इस लेख में हम उनके द्वारा ईसाई धर्म के पवित्र शहर ‘वेटिकन सिटी’ और ‘शिवलिंग’ के बीच बताई गई अद्भुत समानताओं के बारे में बताएँगे जो की एक बार आप सब को सोचने पर मजबूर कर देगी।
यह दुनिया धर्म के एक मजबूत आधार पर खड़ी है और शायद इस बात में कोई संदेह नहीं कि धर्म ही है जो व्यक्ति को सही और संयमित जीवनशैली को अपनाने के लिए प्रेरित करता है। इस दुनिया में अलग-अलग धर्मों के लोग रहते हैं, जिनकी मान्यताएं और आदर्श भी एक दूसरे से पूरी तरह भिन्न है। मुख्यतः हम चार धर्मों, हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई, से भली-भांति परिचित हैं। लेकिन अगर इतिहासकार पी.एन.ओक की मानें तो धर्म चाहे कोई भी हो उसका उद्भव सनातन धर्म यानि की हिन्दू धर्म में से ही हुआ है।
अपने दावो को आधार देने के लिए पी.एन.ओक ने कई उदाहरण भी पेश किए हैं जिनमें से रोम का वेटिकन शहर प्रमुख है। ओक का कहना है कि वेटिकन शब्द की उत्पत्ति हिन्दी के ‘वाटिका’ शब्द से हुई है। इतना ही नहीं उनका कहना है कि ईसाई धर्म यानि ‘क्रिश्चैनिटी’ को भी सनातन धर्म की ‘कृष्ण नीति’ और अब्राहम को ‘ब्रह्मा’ से ही लिया गया है। पी.एन.ओक का कहना है कि इस्लाम और ईसाई, दोनों ही धर्म वैदिक मान्यताओं के विरुपण से जन्में हैं।
वेटिकन शहर की संरचना और शिवलिंग की आकृति में एक गजब की समानता है।
इस तस्वीर को देखकर आप समझ सकते हैं कि हिन्दूओं के पवित्र प्रतीक शिवलिंग और वेटिकन शहर के प्रांगण की रचना में अचंभित कर देने वाली समानता है।
शिव के माथे पर तीन रेखाएं (त्रिपुंडर) और एक बिन्दु होती हैं, ये रेखाएं शिवलिंग पर भी समान रूप से अंकित होती हैं। ध्यान से देखने पर आपको समझ आएगा कि जिन तीन रेखाओं और एक बिन्दू का जिक्र यहां कर रहे हैं वह पिआज़ा सेन पिएट्रो के रूप में वेटिकन शहर के डिजाइन में समाहित है।
इतिहासकार पी.एन.ओक के अनुसार वेटिकन शब्द को संस्कृत के वाटिका अर्थात वेदिक सांस्कृतिक केन्द्र में से लिया गया है। इसका अर्थ है ईसाई धर्म के उद्भव से बहुत पहले ही वेटिकन यानि की वैदिक केन्द्र जैसे शब्द का अस्तित्व था।
रोम के वेटिकन शहर में खुदाई के दौरान भी एक शिवलिंग प्राप्त हुआ था जिसे ग्रिगोरीअन एट्रुस्कैन म्यूजियम में रखा गया है।
इतिहासकार पी.एन.ओक के अनुसार आरंंभ में ईसाई धर्म भी एक वेदिक धर्म था जो कृष्ण नीति पर आधारित था। इसका नाम भी कृष्ण नीति ही था, जिसके बाद इसे अंग्रेजी के क्रिश्चैनिटी में ढाला गया।
इन सब के अलावा इस्लाम और ईसाई के धर्म के लोग जिस आमीन को अपनाते हैं वह भी ब्रह्मांड के सुर ‘ओम’ का ही एक रूप है।
साभार – अजबगजब
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बहुत अच्छी जानकारी ओक साहब ने दी है और विग्यानम का बहुत बहुत धन्यवाद जानकारी हम तक पहुचाने के लिए |