‘परम रम्य गिरवरू कैलासू, सदा जहां शिव उमा निवासू।’
पौराणिक और प्रसिद्ध कथाओं के अनुसार मानसरोवर के पास स्थित कैलाश पर्वत भगवान शिव का धाम है।आप ये तो जानते होंगे की कैलाश पर्वत पर भगवान शिव अपने परिवार के साथ रहते हैं पर ये नहीं जानते होंगे की वह इस दुनिया का सबसे बड़ा रहस्यमयी पर्वत हैं । कहा जाता है कि अप्राकृतिक शक्तियों का भण्डार है।
भगवान धरती पर हैं, या नही इस बात को लेकर अभी तक यह बहस का विषय ही रहा है। लेकिन जब यहां साक्षात भगवान शिव दिखाई दिए, तो नासा भी इससे हैरान रह गया।.
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जानिए कैलाश पर्वत के बारें में
कैलाश पर्वत भारत में स्थित एक पर्वत श्रेणी है। इसके पश्चिम तथा दक्षिण में मानसरोवर तथा रक्षातल झील हैं।इस पवित्र पर्वत की ऊंचाई 6714 मीटर है ।ऊंचाई के मामले में कैलाश पर्वत, विश्व विख्यात माउंट एवरेस्ट से ज्यादा विशाल तो नहीं है, लेकिन कैलाश की भव्यता उसके आकार में है। ध्यान से देखने पर यह पर्वत शिवलिंग के आकार का लगता है, जो पूरे साल बर्फ की चादर ओढ़े रहता है। कैलाश पर्वत अमरनाथ यात्रा पर जाते समय रास्ते में आता हैं। तिब्बत की हिमालय रेंज में स्तिथ हैं।
कैलाश पर्वत चार महान नदियों के स्त्रोतों से घिरा है सिंध, ब्रह्मपुत्र, सतलज और कर्णाली या घाघरा तथा दो सरोवर इसके आधार हैं पहला मानसरोवर जो दुनिया की शुद्ध पानी की उच्चतम झीलों में से एक है और जिसका आकर सूर्य के सामान है तथा राक्षस झील जो दुनिया की खारे पानी की उच्चतम झीलों में से एक है और जिसका आकार चन्द्र के सामान है कैलाश-मानसरोवर जाने के अनेक मार्ग हैं किंतु उत्तराखंड के अल्मोड़ा स्थान से अस्ककोट, खेल, गर्विअंग, लिपूलेह, खिंड, तकलाकोट होकर जानेवाला मार्ग अपेक्षाकृत सुगम है। कैलाश पर्वत पर चढना निषिद्ध है पर 11 सदी में एक तिब्बती बौद्ध योगी मिलारेपा ने इस पर चढाई की थी।
शिव के धाम कैलाश के अनजाने रहस्य
कैलाश पर्वत को शिव का घर भी कहा जाता हैं कैलाश पर्वत पर बहुत सी रहस्यमई चीज़ें देखने और सुनने में आती हैं । कहा जाता हैं भगवन शिव आज भी कैलाश पर्वत पर विराजमान है। चलिए जानते हैं ऐसे ही कुछ रहस्यमई चीज़ें :
सामने आई इस तस्वीर में भगवान शिव की आकृति को देख हर कोई हैरान रह गया है। आप भी इस तस्वीर में भगवान शिव को देख सकते हैं।
चारों ओर एक अलौकिक शक्ति: कैलाश पर्वत और उसके आस पास के वातावरण पर अध्यन कर रहे वैज्ञानिक ज़ार निकोलाइ रोमनोव और उनकी टीम ने तिब्बत के मंदिरों में धर्मं गुरुओं से मुलाकात की उन्होंने बताया कैलाश पर्वत के चारों ओर एक अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है जिसमे तपस्वी आज भी आध्यात्मिक गुरुओं के साथ टेलिपेथी संपर्क करते है
ओम की ध्वनी: पुराणों के अनुसार यहाँ शिवजी का स्थायी निवास होने के कारण इस स्थान को 12 ज्येतिर्लिंगों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है कैलाश बर्फ़ से सटे 22,028 फुट ऊँचे शिखर और उससे लगे मानसरोवर को ‘कैलाश मानसरोवर तीर्थ’ कहते है और इस प्रदेश को मानस खंड कहते हैं। कैलाश-मानसरोवर उतना ही प्राचीन है, जितनी प्राचीन हमारी सृष्टि है। इस अलौकिक जगह पर प्रकाश तरंगों और ध्वनि तरंगों का समागम होता है, जो ‘ॐ’ की प्रतिध्वनि करता है।
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जब आती है मृदुंग की आवाज़:गर्मी के दिनों में जब मानसरोवर की बर्फ़ पिघलती है, तो एक प्रकार की आवाज़ भी सुनाई देती है। श्रद्धालु मानते हैं कि यह मृदंग की आवाज़ है। मान्यता यह भी है कि कोई व्यक्ति मानसरोवर में एक बार डुबकी लगा ले, तो वह ‘रुद्रलोक’ पहुंच सकता है कैलाश पर्वत, जो स्वर्ग है जिस पर कैलाशपति सदाशिव विराजे हैं, नीचे मृत्यलोक है, इसकी बाहरी परिधि 52 किमी है।
वैज्ञानिक खोज
पिछले कई वर्षों में वैज्ञानिक इस सवाल को खोजने में लगे हैं कि आखिर कैलाश पर्वत पर ऐसा क्या है जो कोई भी आम इंसान उस स्थान तक नहीं पहुंच पाता, जहां केवल एक बौद्ध भिक्षु ही पहुंचा था। नासा के वैज्ञानिक भी इस बात से हैरान हैं कि ऐसी कौन सी शक्ति हैं जो लोगों को वहां तक नहीं पहुंचने देती हैं।
सबसे बड़ा सवाल तो ये हैं कि क्या आज भी भगवान शिव कैलाश पर्वत पर विराजमान है या नहीं ? यह सवाल अपने आप में ही एक पहेली बन चुका हैं ।
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