बड़े ही शर्म की बात है कि महाराज विक्रमदित्य के बारे में देश को लगभग शून्य बराबर ज्ञान है, जिन्होंने भारत को सोने की चिड़िया बनाया था, और स्वर्णिम काल लाया था
उज्जैन के राजा थे गन्धर्वसैन , जिनके तीन संताने थी , सबसे बड़ी लड़की थी मैनावती , उससे छोटा लड़का भृतहरि और सबसे छोटा वीर विक्रमादित्य…
बहन मैनावती की शादी धारानगरी के राजा पदमसैन के साथ कर दी , जिनके एक लड़का हुआ गोपीचन्द , आगे चलकर गोपीचन्द ने श्री ज्वालेन्दर नाथ जी से योग दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए , फिर मैनावती ने भी श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग दीक्षा ले ली।
आज ये देश और यहाँ की संस्कृति केवल विक्रमदित्य के कारण अस्तित्व में है अशोक मौर्य ने बोद्ध धर्म अपना लिया था और बोद्ध बनकर 25 साल राज किया था भारत में तब सनातन धर्म लगभग समाप्ति पर आ गया था, देश में बौद्ध और जैन हो गए थे।
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रामायण, और महाभारत जैसे ग्रन्थ खो गए थे, महाराज विक्रम ने ही पुनः उनकी खोज करवा कर स्थापित किया विष्णु और शिव जी के मंदिर बनवाये और सनातन धर्म को बचाया। विक्रमदित्य के 9 रत्नों में से एक कालिदास ने अभिज्ञान शाकुन्तलम् लिखा, जिसमे भारत का इतिहास है अन्यथा भारत का इतिहास क्या मित्रो हम भगवान् कृष्ण और राम को ही खो चुके थे।
हमारे ग्रन्थ ही भारत में खोने के कगार पर आ गए थे, उस समय उज्जैन के राजा भृतहरि ने राज छोड़कर श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग की दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए , राज अपने छोटे भाई विक्रमदित्य को दे दिया , वीर विक्रमादित्य भी श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से गुरू दीक्षा लेकर राजपाट सम्भालने लगे और आज उन्ही के कारण सनातन धर्म बचा हुआ है, हमारी संस्कृति बची हुई है।
यह भी जानें – नाथ सम्प्रदाय जो सनातन समाज के अन्धयुग में सत्य की अलख जगाते थे.
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महाराज विक्रमदित्य ने केवल धर्म ही नही बचाया उन्होंने देश को आर्थिक तौर पर सोने की चिड़िया बनाई, उनके राज को ही भारत का स्वर्णिम राज कहा जाता है। विक्रमदित्य के काल में भारत का कपडा, विदेशी व्यपारी सोने के वजन से खरीदते थे भारत में इतना सोना आ गया था की, विक्रमदित्य काल में सोने की सिक्के चलते थे , आप गूगल इमेज कर विक्रमदित्य के सोने के सिक्के देख सकते हैं।
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हिन्दू कैलंडर भी विक्रमदित्य का स्थापित किया हुआ है
आज जो भी ज्योतिष गणना है जैसे , हिन्दी सम्वंत , वार , तिथीयाँ , राशि , नक्षत्र , गोचर आदि उन्ही की रचना है , वे बहुत ही पराक्रमी , बलशाली और बुद्धिमान राजा थे ।
कई बार तो देवता भी उनसे न्याय करवाने आते थे , विक्रमदित्य के काल में हर नियम धर्मशास्त्र के हिसाब से बने होते थे, न्याय , राज सब धर्मशास्त्र के नियमो पर चलता था विक्रमदित्य का काल राम राज के बाद सर्वश्रेष्ठ माना गया है, जहाँ प्रजा धनि और धर्म पर चलने वाली थी
Bahut aachha laga
Very interesting (KING OF INDIA )KING Vikrmaditya
Thanks for this great information
Ati sundar… Adbhut… Avishwasniya… Apka bahut bahut dhanyavad evem abhaar…. Itni durlabh jankari ke liye
केवल राजा ही नही थे विक्रमादित्य जी , भारत में धर्म को पुनः स्थापित किया था၊
Very nice keep going.
ये राजा वैदिक काल के थे।
कोई तो है जिसने वैदिक इतिहास का पुन:स्रजन कर रहा है।
हमारी मूल भाषा तक हम भूल चुके है।
किन्तू इसमे भी क ई वस्तु काल के प्रभाव व इतिहास कारो ने गलत कर दी है।
हमे मूल स्वरूप मे कुछ भी मीलना नामुन सा लगता है।
many many thanks.
हमनें कक्षा सात या आठ में विक्र्माद्तये राजा के बारे में पढ़ा था लेकिन आज वो शायद पाठयक्रम में नहीं है । बाकी वर्णन आप ने कर ही दिया है ।
Ye hamara durbhaya hai ki hum apne purbajo ke liye kuch nahi kr pa rahe hai
Bhut Hi acha lekhe hain.
Aage bhi aesa lekh bejtey rage.
हमारा देश सनातन धर्म का प्रतीक है ऐसे अलौकिक और समृद्ध देश से सभी विदेशी राष्ट्र जलते रहते है किन्तु हमे अपने देश की संस्कृति पर गर्व करना चाहिए
He is a jat king from kharab clan of jats.
आपने बहुत ही अच्छा प्रसंग सामने लाया ।अभी तो समय है इतिहास रचने की ।हमे राजा बिक्रमादित्य को पुनः वर्तमान पाठ्यक्रम मेंसामिल करनी चाहिए ।।
Thanks for this awful information
क्या ये क्षत्रिय समाज के थे
Bahut barriya sir is Jankari ke liye danyavad
Bahot abhar wyakt karta hu Mai aapka ham jante to jarur hai par apne bataya dhanyawad JAI hind
Bahoot sunder jaankari. Bharatiya itihass k mahantam Raja the Vikramaditya.
परशुराम ने 21 बार क्षत्रीयोंको खत्म किया,फिर और कैसे पैदा हुये,अचरज कि बात है
रामचरितमानस को देखें तो केवल वही क्षत्रिय जो भ्रष्ट थे या अपने अधिकारों का गलत पालन करते थे। उन्हीं क्षत्रियों को परशुराम जी ने खत्म किया होगा।