अंतरिक्ष की दुनिया में कई अजीबो-गरीब बातें होती रहती हैं। कई बार कोई हादसा हो जाता है, तो कई बार कुछ अच्छी घटना भी घटित होती है। ऐसे में अंतरिक्ष में किसी भी मिशन को सफलता-पूर्वक अंजाम देना कितना कठिन होगा, ये आप खुद भी अंदाजा लगा सकते हैं। मित्रों! मैं अक्सर अंतरिक्ष से जुड़ी कई घटनाओं को आप लोगों के सामने नियमित रूप से प्रस्तुत करता रहता हूँ, परंतु आज का लेख कुछ खास होगा। इसलिए आज मैं आप लोगों को एक बहुत ही बड़ी अंतरिक्ष दुर्घटना (Storm Knocks Out 40 SpaceX Satellites) के बारे में बताने जा रहा हूँ।
स्पेस-एक्स (Storm Knocks Out 40 SpaceX Satellites) अंतरिक्ष विज्ञान के विश्व में एक बहुत ही बड़ा नाम है। ये कंपनी निजी हो कर भी कुछ ऐसे कामों को अंजाम दे चुकी है, जो कि कोई सरकारी संस्था सोच भी नहीं सकती थी। इसके कारनामे आज पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो रहे हैं। अंतरिक्ष के मिशन में हमेशा से ही कई संकट रहें हैं और इन संकटो को लांघ कर ही किसी मिशन को सफल बनाया जा सकता है। खैर हमेशा से ही किसी चीज़ का सफल होना और किसी चीज़ का विफल होना तय रहता है। क्योंकि विफलता से ही हमें सफलता की सीढ़ी दिखाई पड़ती है।
ऐसे में आज हम एक स्पेस-एक्स की दुर्घटना से प्रभावित मिशन के बारे में देखेंगे।
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तबाह होने वाले है स्पेस-एक्स के 40 सेटेलाइट! – Storm Knocks Out 40 SpaceX Satellites :-
शायद ये मिशन स्पेस-एक्स (Storm Knocks Out 40 SpaceX Satellites) के लिए सही नहीं था। क्योंकि ये मिशन स्पेस-एक्स के लिए इस साल का पहला ऐसा मिशन होगा जो कि, एक तरह से विफल होने जा रहा है। मित्रों! इस मिशन के विफल होने का मूल कारण है एक “Geomagnetic Storm” जो कि पल-भर में ही पूरे मिशन का सिस्टम ही बिगाड़ कर रख दिया है। पिछले ही हफ़्ते कंपनी ने विश्व को इसके बारे में सूचना दी है। इस खबर को सुनकर पूरी दुनिया भी काफी हैरान हो गई है, क्योंकि इस प्रकार की दुर्घटनाएं थोड़ा दुर्लभ ही होती हैं।
फरवरी 3 तारीख को एलन मस्क की कंपनी स्पेस-एक्स ने “Falcon 9” सुपर-हैवी रॉकेट के साथ लगभग 49 अलग-अलग प्रकार के सेटेलाइट्स को स्पेस में लांच किया था। बता दूँ कि, लाँचिग की जगह फ्लॉरिडा के “Kennedy Space Center” था। मित्रों! अब आता है एक ट्विस्ट इस मिशन के अंदर। लाँच के कुछ समय के बाद ही एक बहुत ही बड़ा जियोमैग्नेटिक तूफान इस मिशन को तबाह करने के लिया तैयार होने लगा। बाद में इसी तूफान ने ही इस मिशन को अपनी प्रारंभिक अवस्था में विफल कर ही दिया। सब वैज्ञानिक इस विफलता से थोड़ा निराश तो जरूर ही हुई है।
अब कुछ लोग ये सवाल पूछेंगे कि, आखिर ऐसा क्या हो गया जो ये मिशन इतनी बड़ी असफलता बन गई? तो मित्रों, मैं आप लोगों को बता दूँ कि, जैसे ही तूफान ने लांच किए गए सेटेलाइट्स को हिट किया, ठीक उसी समय से ही मिशन विफल हो गया। रॉकेट अंतरिक्ष की और जाने के बदले पृथ्वी कि ओर वापस लौटने लगा। जो की मिशन के टार्गेट के हिसाब से पूरी तरह विपरीत था।
वायुमंडल के अंदर आते-आते ही हो जाएंगे तबाह! :-
जब सेटेलाइट (Storm Knocks Out 40 SpaceX Satellites) सब पृथ्वी कि और धीरे-धीरे मूड कर आने लगेगा, तब पृथ्वी का वायुमंडल अपना काम शुरू कर देगा। कहने का मतलब ये है कि, जब सेटेलाइट्स वायुमंडल के अंदर प्रवेश करेगा तब घर्षण बल के कारण ये सारे सेटेलाइट्स सतह तक पहुँचते-पहुँचते ही तबाह हो जाएंगे। ऐसे में ये सारे सेटेलाइट्स जल जायेंगे और इनका कोई अस्तित्व ही नहीं रह जाएगा। तूफान के कारण गुरुत्वाकर्षण बल इतना अधिक हो गया कि, सेटेलाइट्स पृथ्वी के निचले वातावरण में ही रह गया।
ये सेटेलाइट्स कभी वायुमंडल को लांघ कर लोवर ओर्बिट में जा ही नहीं पाया। क्योंकि ये स्पेस में जाने में असफल रहा, इसलिए इसको आप असफल मिशन कह सकते हैं। मित्रों! बता दूँ कि, जियोमैग्नेटिक तूफान तभी संभव हो पाता है, जब कई तरह की घटनाएं एक साथ उचित समय पर हों। ज़्यादातर इस तूफानों के लिए “सोलर विंड” ही जिम्मेदार रहते हैं। सोलर विंड से निकलने वाले चार्ज़्ड पार्टिकल जब पृथ्वी के ऊपरी वातावरण में बसे मैग्नेटीक फ़ील्ड से आ कर मिल जाता है, तब ऐसे तूफान जन्म लेते हैं। ऐसे में फिर से एक खास घटना घटित होती है।
अचानक से चार्ज़्ड पार्टिकल की संख्या में बढ़ोतरी पृथ्वी के लोवर ओर्बिट को काफी ज्यादा गरम कर देता है। गरम होने के कारण ऊपरी वातावरण का घनत्व काफी ज्यादा हो जाता है। काफी ज्यादा घनत्व बढ़ जाने के कारण इस जगह पर सेटेलाइट्स पर पड़ने वाला ड्रैग फोर्स भी काफी ज्यादा होता है। जिस से अनिवार्य है कि, सेटेलाइट पृथ्वी की सतह की तरफ आएगा ही। वैसे बता दूँ कि, ये तूफान सूर्य से जनवरी 30 को निकला था और अभी पृथ्वी तक पहुंचा है।
कुछ विशेष जानकारी! :-
लाँच के बाद इन सेटेलाइट्स (storm sends 40SpaceX Satellites) को पृथ्वी की सतह से लगभग 210 किलोमीटर ऊपर ऊँचाई पर रखा जा रहा था। इतनी कम ऊंचाई पर इस सेटेलाइट्स को कुछ खास कारणों के लिए जान बुझ कर रखा गया था, जैसे की अगर लांच के बाद सेटेलाइट काम करना ही बंद कर दे, तो इन्हें आसानी से तबाह किया जा सकेगा। क्योंकि इनकी ऊंचाई काफी कम होगी। परंतु यहाँ पर और एक समस्या सामने आ जाती है। काफी कम ऊँचाई के कारण ये सेटेलाइट्स जियोमैग्नेटिक तूफानों से काफी ज्यादा प्रभावित हो सकते थे।
और बाद में वही हुआ। तूफानों के कारण से मिशन सफल होने से विपरीत विफल ही हो गया। तूफानों ने पूरे मिशन पर पानी फेर दिया। लाँच तो सही हुआ था परंतु बीच रास्ते में ही मिशन नाकाम हो गया। तूफान के कारण से सेटेलाइट्स अपनी पूरी क्षमता के मात्र 50% के जितना ही काम कर पा रहे थे। यही वजह हे की, जब इन सेटेलाइट्स के ऊपर वायुमंडल का घर्षण बढ्ने लगा तब ये सेटेलाइट्स अपना काबू खोने लगीं। इनके अंदर इतनी ताकत ही नहीं थी, जिससे ये तूफान से बच कर कहीं जा पाएं।
वैज्ञानिक कहते है कि, तूफान से बच कर उड़ान भरने के लिए सेटेलाइट्स को पहले से ही कमांड दिया गया था। परंतु ये कमांड भी काम में नहीं आया। अब ज़्यादातर सेटेलाइट्स पृथ्वी की सतह तक पहुँचते-पहुँचते ही खत्म हो जाएंगे। क्योंकि कंपनी ने इन्हें इसी तरीके से ही डिजाइन किया है। ताकि ये पृथ्वी को कोई क्षति नहीं पहुंचा पाए।
निष्कर्ष – Conclusion :-
मित्रों! बता दूँ कि, ये सेटेलाइट्स (storm sends 40SpaceX Satellites) कंपनी के “स्टार-लिंक” इंटरनेट के लिए इस्तेमाल होने वाला था। कंपनी ने अभी तक 2000 सेटेलाइट्स पृथ्वी के निचले ओर्बिट पर स्थापित कर दिया है और लगभग 42,000 सेटेलाइट्स को ये आने वाले समय में लोवर ओर्बिट में स्थापित करने जा रहा है। जब इतने सेटेलाइट्स पृथ्वी के निचले ओर्बिट में स्थापित हो जाएंगे, तब ये एक बहुत ही बड़े सेटेलाइट-मंडल को तैयार करेंगे। जो कि शायद अपनी तरह का पहला ऐसा मंडल होगा जहां पर सिर्फ कृत्रिम सेटेलाइट्स ही मौजूद होंगे।
कंपनी के हिसाब से ये इंटरनेट सेवा पृथ्वी के हर एक कोने में उपलब्ध होगा और कहीं से भी स्टार-लिंक के माध्यम से इंटरनेट को इस्तेमाल किया जा सकेगा। अगर कंपनी का ये दावा सच हो जाता है, तब हमारे लिए ये एक बहुत ही बड़ी खबर होगी। क्योंकि विकासशील देशों में अभी भी इंटरनेट की उपलब्धता उतनी अच्छा नहीं है। स्टार-लिंक के माध्यम से हम इस असुविधा को भी आसानी से पार कर सकते हैं। खैर कुछ लोग इस सेवा के विरुद्ध हैं, क्योंकि उनके हिसाब से स्टार-लिंक में प्रयोग होने वाले सेटेलाइट्स अंतरिक्ष को रात में विश्लेषण करने में काफी कठिनाइयां ला रहें हैं।
हालांकि! इन सेटेलाइट्स को ले कर अभी काफी सारे विवाद लग रहें हैं और इन पर हम आने वाले समय में काफी चर्चा भी करेंगे।
Source :- www.livescience.com