इंसान काफी समय से पृथ्वी पर रहता हुआ आ रहा है और काफी पुराने दिनों से इंसान और धरती का एक अद्भुत संबंध बन चुका है। क्योंकि हमें प्रकृति ने सोचने व समझने की शक्ति दी है, तो कई बार हम हमारे इस अनंत ब्रह्मांड को भी समझने की कोशिश करते हैं। इसी दौरान हमें कई अद्भुत व अनोखी वस्तुओं के बारे में जानने को मिलता है। जैसे की ब्लैक होल (Star Shredding Black Hole), इसके बारे में तो आप लोगों ने सुना ही होगा। ये ब्रह्मांड की इकलौती ऐसी चीज़ है, जिसके बारे में पृथ्वी का हर इंसान जानना चाहता है।
परंतु यहाँ एक बात आती है कि, क्या हम ब्लैक होल (Star Shredding Black Hole) के बारे में हर एक बात को जानते हैं? मेरे हिसाब से शायद नहीं, कम से कम अभी तक तो नहीं! क्योंकि आज मैं आप लोगों को ब्लैक होल से जुड़ी और एक दिलचस्प व रोचक विषय के बारे में बताने जा रहा हूँ, जिसके बारे में आप लोगों ने शायद ही कभी सुना होगा। चूंकि, ये विषय ब्लैक होल से जुड़ा हुआ है, इसलिए मेरे साथ इस लेख में अंत तक रहिएगा, ताकि आपको ये दिलचस्प अच्छे से समझ में आ जाए।
तो चलिये अब बिना देरी करते हुए, लेख के मुख्य विषय को शुरू करते हैं।
विषय - सूची
वैज्ञानिकों ने ढूंढा है अब तक का सबसे करीबी ब्लैक होल! – Star Shredding Black Hole! :-
इससे पहले अगर आप लोगों को ब्लैक होल (Star Shredding Black Hole) के बारे में कोई भी जानकारी होगी, तो आप लोगों को पता होगा कि, हम लोग ब्लैक होल को हमसे काफी दूर समझ रहें थे। हमें लगता था कि, ब्लैक होल तो हमसे काफी दूर मौजूद हैं, तो हमें इसके बारे में उतना ही नहीं सोचना चाहिए। परंतु मित्रों! आप लोगों को जानकर हैरानी होगी कि, वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के पास मौजूद सबसे करीबी ब्लैक होल को ढूंढ लिया है और सबसे डरावनी बात ये है कि, इस ब्लैक होल ने पहले से ही कई सितारों को निगल लिया है।
दरअसल बात ये है कि, इस ब्लैक होल के द्वारा कुछ ऐसे सितारे ब्रह्मांड से गायब हो चुके हैं, जिसके बारे में वैज्ञानिकों को खुद कुछ पता नहीं था। “Galaxy NGC 7392” नाम के आकाशगंगा के केंद्र में एक सुपरमैसिव ब्लैक होल को खोजा गया था, जिसने की अपने आस-पास मौजूद एक बड़े से तारामंडल को अपने अंदर में समा लिया है। मित्रों! इस घटना को वैज्ञानिकों ने “Tidal Disruption Event (TDE)” का नाम दिया है और इसका पुष्टिकरण वैज्ञानिकों ने साल 2014 में ही कर दिया था।
मित्रों! आप लोगों को बता दूँ कि, TDE ब्रह्मांड में घटने वाली एक बेहद ही दुर्लभ घटनाओं में से एक हैं। इस घटना के कारण, एक सुपरमैसिव ब्लैक होल अपने पास मौजूद हर एक सितारे को निगलता जाता है और इसी कारण से उसके आस-पास के इलाकों में हलचल शुरू होने लगती है। सरल भाषा में कहूँ तो, ये घटना ब्रह्मांड के महा-विनाश की घटना है, जिसमें ब्लैक होल के अंदर हर एक चीज़ समाने लगती हैं। ऐसे में इसके बारे में अभी तक वैज्ञानिकों को ज्यादा कुछ पता नहीं चल पाया है।
आखिर कितनी दूरी पर है ये ब्लैक होल? :-
वैज्ञानिकों के अनुसार ये ब्लैक होल (Star Shredding Black Hole) पृथ्वी से लगभग 13 करोड़ प्रकाशवर्ष के दूरी पर है। आप लोगों को बता दूँ कि, ये पृथ्वी के सबसे करीबी सितारा “Proxima Centauri” से 35 गुना ज्यादा दूरी पर मौजूद है। इसके अलावा एक रोचक बात ये भी हैं कि, TDE जैसे घटनाएँ वैज्ञानिकों को बेहद ही कम देखने को मिलते हैं। अब तक इस तरह के घटनाएँ 100 ही देखने को मिली हैं। तो, अब आप समझ सकते हैं की TDE असल में कितने दुर्लभ होते हैं। मित्रों! आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि, ये घटना पृथ्वी के पास चौथी TDE घटना है।
इससे पहले जो TDE घटना पृथ्वी के पास घटी थी, वो इस बार की घटना से काफी दूर मौजूद थी। तो ये भी एक चिंता वाली बात है कि, आखिर धीरे-धीरे क्यों इस तरह की घटनाएँ पृथ्वी की ओर बढ़ रहीं हैं। क्योंकि अगर इस तरह के घटनाएँ ऐसे होते रहीं तो, एक दिन क्या पता पृथ्वी भी इसके प्रभाव में आ जाएँ। तो, मित्रों! आप लोगों को क्या लगता है, क्या कभी पृथ्वी भी एक बड़े से सुपर मैसिव ब्लैक होल के अंदर समा जाएगी? कमेंट कर के जरूर ही बताइएगा! वैसे इस घटना के बारे में वैज्ञानिक इन्फ्रारेड कैमेरों से डिटेक्ट किया है।
इससे पहले वैज्ञानिकों ने जितने भी TDE घटनाओं के बारे में पता लगाया था, वो सब X-रे और UV के स्पेक्ट्रम के अंदर आते थी। परंतु ये TDE इन्फ्रारेड के स्पेक्ट्रम में नजर आया है। हालांकि! इसकी ये भी वजह हो सकती है कि, वैज्ञानिक आज-कल ज़्यादातर इन्फ्रारेड वाले उपकरण भी इस्तेमाल करने लगें हैं। और खास बात ये है कि, इंफ्रारेड में हमें कई गज़ब के चीजों को देखने को भी मिलती हैं।
ब्रह्मांड में हो रहीं हैं बेहद ही खतरनाक चीज़ें! :-
आज की तकनीक की अगर हम बात करें तो, एक बात तो तय हैं कि, हमारे उपकरण इतने सक्षम नहीं हैं जो की ब्रह्मांड के बेहद ही खतरनाक चीजों के बारे में पता लगा पाएँ। कुछ वैज्ञानिक ये कहते हैं कि, आज भी ब्रह्मांड में TDE जैसे बेहद ही डरावने घटनाएँ घटित हो रहीं हैं, जिसको हम चाह कर भी देख नहीं पा रहें हैं। हालांकि! अब वैज्ञानिक इंफ्रारेड के जरिये इन घटनाओं के बारे में और भी ज्यादा पता लगाने की कोशिश कर रहें हैं।
मित्रों! आप लोगों को बता दूँ कि, इंफ्रारेड कैमरों के जरिये वैज्ञानिक ब्लैक होल और उसके आस पास में मौजूद सितारों की बारीकी से तस्वीर खींच सकते हैं। जो की आज से पहले कभी मुमकिन नहीं हो पाता था। खैर आप लोगों को बता दूँ कि, इस TDE को वैज्ञानिकों ने “NEOWISE” स्पेस टेलिस्कोप के जरिये खोजा हैं। हालांकि! इसमें कई अलग-अलग दूरवीनों का भी इस्तेमाल हुआ हैं! परंतु मूल रूप से निओवाइज़ दूरबीन कि बात ही कुछ अलग हैं। इसके अलावा वैज्ञानिकों ने TED और इंफ्रारेड के बीच मौजूद रिश्ते के बारे में भी पता लगा लिया हैं।
इससे पहले TED आम तौर पर हरे रंग के आकाशगंगाओं में दिखाई जाते थे। परंतु आज कल ये ज्यादा एक्टिव नीले आकाशगंगाओं में देखे जा रहें हैं। इसमें यहाँ रोचक बात ये हैं कि, एक भी TED लाल रंग के आकाशगंगाओं में देखने को नहीं मिला हैं। खैर NGC 7392 में मौजूद ब्लैक होल इस दर से नए सितारों को ध्वस्त कर रहें हैं कि, पूरे ब्रह्मांड में कॉस्मिक डस्ट का बादल भर गया हैं।
निष्कर्ष – Conclusion :-
ब्लैक होल (Star Shredding Black Hole) के बारे में एक खास बात ये भी हैं कि, हम इन के बारे में ज्यादा कुछ अनुमान भी नहीं लगा सकते हैं। कहने का मतलब ये हैं कि, कब इनसे जुड़ी बातें गलत हो जाएँ और कब सहीं! ये तो शायद ही किसी को पता होगा। वैसे एक बात ये भी हैं कि, TDE के कारण पैदा हो रहें हैं कॉस्मिक डस्ट उस आकाशगंगा के केंद्र को और भी ज्यादा सघन बना रहें हैं। जिससे ब्लैक होल को देखना वैज्ञानिकों के लिए और भी ज्यादा मुश्किल हो जाता हैं।
हालांकि! एक बात ये भी हैं कि, इंफ्रारेड कैमरों के जरिये हम काफी कुछ चीजों को देख सकते हैं, इसके बजाए वो जगह कितना भी कॉस्मिक डस्ट से क्यों न भरा हैं। मित्रों! इस खोज ने पूरे दुनिया के वैज्ञानिकों को चौंका दिया हैं; क्योंकि इससे हमें ये पता चलता हैं कि, इंफ्रारेड के अंदर भी TED होते हैं। मित्रों! इसके बाद ये भी हैं कि, TED के बारे में पता लगा कर ब्लैक होल कैसे दूसरे सितारों को निगल लेते हैं, उसके बारे में भी हम जान सकते हैं।
Source :- www.livescience.com