Science Of Naming – आज भले ही लोग अपने बच्चों का नाम किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति के नाम के आधार पर रखते हैं, पर इसके पीछे एक विज्ञान होता है। हमारे शास्त्रों में कहा जाता है कि किसी भी व्यक्ति का नाम उसके चरित्र के बारे में बता ही देता है।
विज्ञान की तरक्की और लोगों का अपनी सभ्यता के प्रति रुझान ना होने की वजह से आज वह नामकरण संस्कार को मानते नहीं है, पर इसके पीछे एक गहरा विज्ञान छिपा हुआ है।
इस विज्ञान का जो रहस्य है उसे वैज्ञानिक भी मानते हैं, क्योंकि नाम में शब्द ध्वनि का महत्व है और इस तरह की ध्वनियां हमारे जीवन और जिसका वैसा नाम है उसे प्रभावित करती ही हैं।
एक इसी तरह का सवाल सद्गुरु जग्गी वासुदेव से एक सज्जन ने किया था, आइये उसी पर कुछ चर्चा का अंश देखते हैं –
प्रश्न : सद्गुरु, किसी बच्चे का नामकरण उसके जन्म के समय और जन्मस्थान के आधार पर किए जाने का क्या महत्व है?
सद्गुरु : देखिए, संस्कृत की वर्णमाला इस ब्रह्मांड की एक खास समझ से पैदा हुई है। दरअसल यह भाषा बातचीत के लिए नहीं बनी थी। यह एक ऐसी भाषा है, जिसे लोगों ने इस अस्तित्व से निकाला है।
यह वह भाषा है जो अवलोकन से यानी चीजों को गहराई से देखने से विकसित हुई है, कल्पना से नहीं। आप जो भी ध्वनि उत्पन्न करते हैं और उस ध्वनि के संकेत के रूप में जिस आकृति का इस्तेमाल करते हैं, उन दोनों का आपस में संबंध होता है और इन्हें ही मंत्र कहा जाता है।
आगे सद्गुरु इसे और विस्तार से बताते हैं, इसके साथ ही वह नाम के रहस्य और उसके नामकरण के पीछे का एक गूढ़ रहस्य बताते हैं। सद्गुरु उसके बाद नाम से मुक्ति की ओर जाने का रास्ता भी बताते हैं। आइये सुनते हैं –
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