भारतीय अंतरिक्ष विज्ञानी और नोबल विजेता सुब्रमण्यम चंद्रशेखर की 70 साल से भी पहले की गई भविष्यवाणी की पुष्टि अब हुई है. उनके सिद्धांत की यह पहली पुष्टि ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने की है. सुब्रमण्यम ने अपनी इस भविष्यवाणी में कहा था कि तेजी से घूमते हुए तारे ध्रुवित प्रकाश उत्सर्जित करेंगे।
ऑस्ट्रेलिया की न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी और ब्रिटेन स्थित यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने रेगुलुस नामक तारे से निकलते ध्रुवित प्रकाश की पहचान के लिए एक बेहद संवेदनशील उपकरण का इस्तेमाल किया. रेगुलुस रात के समय आकाश में सबसे ज्यादा चमकने वाले तारों में से एक है।
इस उपकरण की मदद से तारे से जुड़ी अभूतपूर्व जानकारी मिली. इससे वैज्ञानिकों को तारे के घूर्णन की दर और घूर्णन कक्षा में उसकी स्थिति के बारे में पता लगाने में मदद मिली।
यूएनएसडब्ल्यू के डेनियल कॉटन ने कहा, ‘‘वह 320 किमी प्रति सेकेंड की दर से घूर्णन कर रहा है.’’ वर्ष 1946 में चंद्रशेखर ने तारों के किनारों से ध्रुवित प्रकाश के उत्सर्जन की भविष्यवाणी की थी. इससे स्टेलर पोलरीमीटर जैसे संवेदनशील उपकरणों का विकास संभव हुआ. ये उपकरण इस प्रभाव की पहचान कर सकते हैं।
ऑप्टिकल पोलराइजेशन किसी प्रकाश पुंज का अपनी यात्रा की दिशा में किए जा रहे कंपनों की स्थिति की माप है. यह अध्ययन नेचर एस्ट्रोनॉमी नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया।