हम लोगों ने पिछले लेख में नींद के बारे में काफी कुछ चर्चा कर लिया हैं, परंतु अभी भी इससे जुड़ी एक पहलू के बारे में बातें करना बाकी है। जी हाँ! मित्रों हम लोगों ने अभी तक सपनों (psychology of dreams in hindi) के बारे में कुछ जिक्र किया ही नहीं। पृथ्वी में शायद ही कोई ऐसा इंसान होगा जिसे सोते समय सपना नहीं आता होगा। मित्रों! इसलिए मैंने सोचा की क्यों न एक लेख स्वतंत्र रूप से सपनों के बारे में ही लिखा जाए। जो की आपको सपनों से जुड़ी कई अनोखी बातों के बारे में जानने का मौका भी देगा।
नींद और सपनों (psychology of dreams in hindi) का आना ये दोनों ही घटना, एक दूसरे से जुड़े हुए है। बिना सोये हमें कभी भी सपने नहीं आ सकते है। हम अकसर अपने सपनों के बारे में दूसरों लोगों से कई चर्चाएं करते है, परंतु इसके पीछे छुपी विज्ञान को जानने का प्रयत्न कभी नहीं करते है। जो की मेरे हिसाब से बहुत ही दुख का विषय है।
खैर आज हम इस लेख के अंदर सपनों के विज्ञान को जानने का प्रयास करेंगे। वैसे बता दूँ की, इसी दौरान आप सपनों की परिभाषा और ये क्यों हमारे नींद में आते है तथा इनके प्रकारों के बारे में भी जानेंगे। तो, सपनों की खुमार में खो कर चलिये इसके कुछ बहुत ही अद्भुत जानते है।
विषय - सूची
सपना किसे कहते है – Definition Of Dreams In Hindi :-
मित्रों! चलिये हम सबसे पहले सपनों (psychology of dreams in hindi) की परिभाषा के बारे में ही जान लेते है। वैज्ञानिकों के अनुसार सपना एक तरह से “इंसानी शरीर की एक मानसिक स्थिति है, जहां हमारा दिमाग आंशिक रूप से कार्यक्षम रहता हैं और संवेग, अनुभूति तथा आवेगों के जरिये हमें एक काल्पनिक अवस्था की एहसास कराता है”।
वैसे ध्यान रखने वाली बात ये है की, जो व्यक्ति सपना देख रहा होता है; उसके नियंत्रण में कुछ नहीं होता है। सपनों में आने वाली छवियां और दृश्य स्वतः रूप से एक काल्पनिक फिल्म की भांति हमारे दिमाग के द्वारा हमें दिखाया जाता है। हालांकि अभी भी सपनों के अनुभूति के ऊपर काफी सारे शोध की जा रहीं है।
वैज्ञानिक कहते है की, हम जिन दृश्यों को हमारे सपने के अंदर देखते है उनका संबंध हमारे असल जिंदगी से होती है। सपनों में आने वाली छवि, वस्तु, थीम तथा इसके भाव और प्रकार हमारे असल जिंदगी से काफी प्रभावित होती है। इसलिए कहा जाता हैं की, अच्छे कर्म करें ताकि रात को सोते समय आपको किसी भी प्रकार की कोई असुविधा न हो।
हमें सपने क्यों आते हैं? :-
कुछ वैज्ञानिक कहते हैं की, नींद में सपनों (psychology of dreams in hindi) का आना महज एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो की नींद के चक्र (Sleep Cycle) का ही एक हिस्सा है। परंतु दोस्तों इसके बारे में वैज्ञानिकों का बहुत सारे मत है।
- कुछ वैज्ञानिक कहते है की, जब किसी इच्छा या तमन्ना की पूर्ति नहीं हो पाती है तब हमें सपने आते है।
- जब दिमाग और शरीर के बीच आवेगों के सिग्नल का भरमार हो जाती है तब।
- दिन में होने वाली गतिविधिओं के आधार पर ही सपने आती है।
- “Psychotherapy” के कारण भी सपने आ सकती है।
सपनों के प्रकार – Types Of Dream In Hindi :-
मित्रों! लेख के इस भाग में हम सपनों (psychology of dreams in hindi) के प्रकारों के बारे में चर्चा करेंगे।
1. बुरे सपने (Night Mares) :-
बुरे सपने हम सभी को आते है। बुरे सपनों के दौरान हमारे दिमाग में बुरे-बुरे और दर्दनाक भावों का संचार होता हैं, जिसके कारण बहुत डरावने सपनों का बनना होता हैं। इसी के कारण अकसर हम बुरे सपनों को देख कर जग जाते है। इसकी वजह से इंसानों में डर और चिड़चिड़ा पन देखा जाता है।
मानसिक चिंता, डर, आघात, दर्दनाक भावनाएं, गलत औषधियों का सेवन तथा रोग के कारण ऐसे सपने आते है।
2. ल्यूसिड ड्रीम (Lucid Dreams) :-
मित्रों! आप लोगों को जान कर हैरानी होगा की, ल्यूसिड ड्रीम के जरिये आप लोग अपने मनचाहा सपनों को देख सकते है। जी हाँ! दोस्तों आप लोगों ने बिलकुल सही सुना ल्यूसिड ड्रिमिंग तकनीक के जरिये आप आपने सपनों के ऊपर काबू पा सकते है।
इस तकनीक में व्यक्ति क्या सपना देख रहा है वो उसको पता होता है और अपने मन के हिसाब से वो उस सपने को देखने का ढंग तथा उसमें होने वाली घटनाओं के फेर-बदल भी कर सकता है।
सपनों का मनोविज्ञान! – Psychology Of Dreams In Hindi :-
लेख के इस भाग में हम लोग इंसानों के दिमाग और इंसानों के द्वारा देखे जाने वाली सपनों (psychology of dreams in hindi) को जोड़ कर देखेंगे। तो, अब जरा ध्यान से पढ़िएगा।
1. सपने के दौरान दिमाग के बाएँ और दाएँ हिस्सों में होने वाली गतिविधियां! :-
शोध से पता चला हैं की, दिमाग का बायाँ और दायाँ हिस्सा अलग-अलग प्रकार से सपनों को बनाता है। वैज्ञानिकों का मानना हैं की, दिमाग का बायाँ हिस्सा सपनों को बनाता हैं तथा इसका दायाँ हिस्सा सपने को ज्यादा आकर्षक बनाता है। इसलिए जो लोग अपने बाएं हाथ को ज्यादा उपयोग करते है, उन लोगों का सपना बहुत ही ज्यादा आकर्षक होता है।
2. सपना देखते समय मृत्यु को प्राप्त हो जाना :-
इस तरह के सपने ज़्यादातर मानसिक रोग से पीड़ित व्यक्तियों को ज्यादा आते है, जिन्होंने कभी अपनी खुद की जीवन लेने का प्रयास किया हो। डिप्रेशन इस तरह के सपनों का मूल कारण है। इसलिए हम आप लोगों से अनुरोध करते हैं की, अगर आप लोगों को ऐसे सपने आ रहें तो मनोचिकित्सक से सलाह अवश्य लें।
3. रोमांटिक सपनों का आना! :-
61 छात्रों के ऊपर एक शोध किया था, जिसमें पता लगाया जा रहा था की इंसानों को रोमांटिक सपने क्यों आते है। शोध से पता चला की, जो व्यक्ति किसी तरह के रोमांटिक रिलेशन से संबंधित है उन्हें इस तरह के सपने आते है। रोमांटिक रिलेशन में रहने से दिमाग के अंदर इस तरह के भावनाओं बनना होता हैं, जो की सोते समय हमारे सपनों की तरह प्रकट होते है।
4. सपनों को हम अकसर क्यों भूल जाते हैं! :-
वैज्ञानिक कहते हैं की, वयस्क व्यक्ति रात में 4 से 6 बार अलग-अलग तरह के सपनों (psychology of dreams in hindi) को देखता है; परंतु विडंबना की बात तो ये है की वो सारे सपने हमें याद ही नहीं रहता है। कहा जाता है की, सपने देखने के प्रारंभ के 5 मिनट के अंदर ही अंदर देखे गए सपने के 50% हिस्सा हम भूल जाते है तथा आने वाले 5 मिनट के अंदर हम देखे गए सपने के 90% हिस्सा को भी भूल जाते है।
5.क्या हर व्यक्ति रंगीन सपना ही देखता है! :-
अब आप बोलेंगे की, भला ये कैसा शीर्षक है? आखिर कौन बेरंग सपना देखता हैं! मित्रों, आप लोगों का कहना एक हिसाब से सटीक है। परंतु ये बात पूरी तरीके से सत्य नहीं है। कई सारे इंसान अपने सपनों को बेरंग ही देखते है।
वैज्ञानिक कहते हैं की, 30 वर्ष से कम आयु वाले लोगों के अंदर 80% लोग अपने सपने को रंगीन ही देखते है तो वहीं 60 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों में से मात्र 20% लोग ही अपने सपनों को रंगीन देखना पसंद करते है।
6. क्या सपने भविष्यवाणी कर सकते है! :-
मित्रों! आप लोगों को सुनकर झटका लगने वाला है, क्योंकि मेँ बात ही कुछ इस तरह का करने वाला हूँ। कुछ शोध कर्ता कहते हैं की, सपनों से भविष्यवाणी की जा सकती है। या मेँ कहूँ तो आप भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में जान सकते है।
वैसे इस विषय में दूसरे वैज्ञानिक ये तर्क देते हैं की, ये सिर्फ एक इत्तिफ़ाक़ है। हालांकि ये बात भी सत्य है की, जो कुछ भी हम अपने सपने में देखते है वो हमारे भावनाओं और चिंताधाराओं के ऊपर निर्भर करता है, जिन का अर्थ वाकई में रहता है।
Source:- www.medicalnewstoday.com.