आज के इस युग में सुरक्षा की गारंटी कोई नहीं देता। कहने का मतलब ये है कि, आपको आज-कल काफी संभल कर रहना पड़ता है, क्योंकि कब क्या हो जाएँ किसी को कुछ नहीं पता। खैर व्यक्तिगत सुरक्षा तो एक बात है, परंतु आज-कल जैसे हालते बदल रहें हैं, उन को देख कर राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में भी चिंता होती है। खैर हम भाग्यशाली हैं कि, हमारे देश कि सुरक्षा के लिए भारतीय सेना मौजूद है। परंतु अगर हम पूरी दुनिया यानी पृथ्वी कि बात करें तो, क्या पृथ्वी को बचाने (NASA’S DART Mission In Hindi) के लिए भी कोई सुरक्षा बल तैनात है?
मित्रों! लगातार पृथ्वी को अन्तरिक्ष में मौजूद लगभग हर एक चीज़ से खतरा रहता है (NASA’S DART Mission In Hindi)। इसलिए हमें इसकी सुरक्षा के लिए कुछ न कुछ सोचना तो पड़ेगा ही। और वैसे भी पृथ्वी हमारा घर है और हमारे घर की सुरक्षा हमें खुद करनी चाहिए। अक्सर बाहर से आने वाले उल्कापिंडों से पृथ्वी को सबसे ज्यादा खतरा रहता है और ये उल्कापिंड हमारे ग्रह से कभी भी टकरा कर जीवन कि पूरी तरीके से नाश भी कर सकते हैं। तो बता दूँ कि, वैज्ञानिकों ने इस असुविधा का समाधान ढूंढ लिया है।
जी हाँ, दोस्तों! आप लोगों ने बिलकुल सही सुना। नासा के वैज्ञानिकों ने एक ऐसे मिशन को सफलता के साथ पूरा कर लिया है, जिसके वजह से हम आने वाले समय में पृथ्वी को अन्तरिक्ष से आने वाली कई तरह के खतरों से बचा सकते हैं।
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आखिर ये “डार्ट” मिशन क्या है? – NASA’S DART Mission In Hindi :-
लोगों के मन में ये सवाल जरूर ही उठ रहा होगा कि, आखिर ये डार्ट मिशन (NASA’S DIRT Mission In Hindi) है क्या? मित्रों, आप लोगों की जानकारी के लिए बता दूँ कि, “ये एक अत्याधुनिक तकनीक से लेस स्पेस वेपन सिस्टम है, जो कि पृथ्वी को किसी भी उल्कापिंड की टक्कर से बचाने के लिए बनाया गया है”। बेहरहाल इस सिस्टम की अभी टेस्टिंग चल रही हैं और हाल ही में इस सिस्टम ने एक टेस्ट को सफलता के साथ पूरा भी कर लिया है। वैसे अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, इस वेपन सिस्टम में “Kinetic Impactor“ तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।
इस तकनीक के जरिये हम किसी भी उल्कापिंड के साथ मानव-निर्मित उपग्रह या स्पेसक्राफ्ट को टकरा कर पृथ्वी कि और बढ्ने वाली उल्कापिंडों की ट्रेजेक्टोरि (trajectory) को बदल सकते हैं। ऐसे में आप समझ सकते हैं कि, हमारी पृथ्वी के पास अब एक सुरक्षा के लिए हथियार हमेशा मौजूद रहेगा। ये हथियार पूरे दुनिया के लिए वरदान भी साबित हो सकता है, हालांकि! अभी से ये 100% रूप से काम करने लायक नहीं हुआ है। खैर वैज्ञानिकों ने “DART” शब्द का मतलब “Double Asteroid Redirection Test” दिया है।
तो अब आप इसके नाम से ही जान पाएंगे कि, ये तकनीक आखिर किस आधार पर काम करती होगी। वैसे आगे हम इस तकनीक के बारे में और भी कई सारे बातों को जानने वाले हैं, तो आप लोगों ने गुजारिश रहेगी कि, लेख को अंत तक जरूर ही पढ़िएगा। वैसे मित्रों! आप लोग मुझे बताएं कि, क्या हम इस तकनीक के जरिये आने वाले समय में पृथ्वी को बचाने में सक्षम हो पाएंगे?
आखिर कैसे अंजाम दिया गया इस मिशन को?
मित्रों! लेख के इस भाग में हम देखेंगे कि, आखिर कैसे वैज्ञानिकों ने इस मिशन (NASA’S DART Mission In Hindi) को अंजाम दिया हैं! तो गौर से पढ़ते रहिएगा। इस मिशन के चलते, वेज्ञानिकों ने “Dimorphos” नाम के एक उल्कापिंड के ऊपर DIRT को टक्कर करवाया था। यहाँ बता दूँ कि, इस टक्कर के कारण उल्कापिंड कि कक्षा-पथ (Orbital Path) में कुछ हद तक बदलाव आया था। हालांकि! इस उल्कापिंड से पृथ्वी को किसी भी तरह का कोई खतरा नहीं था, परंतु फिर भी वैज्ञानिकों ने इस मिशन को अंजाम दिया।
क्योंकि अगर आने वाले समय में हमारे पृथ्वी कि और अन्तरिक्ष से किसी भी प्रकार का खतरा आता है, तब हम अच्छे तरीके से इसके लिए तैयार रह सकते हैं। खैर ये ऐतिहासिक टक्कर आज से 4 दिन पहले यानी 26 सितंबर, 2022 को शाम के 7.22 बजे हुआ था। अगर आप इस मिशन के इतिहास के बारे में जानना चाहें तो बता दूँ कि; इस मिशन को नवम्बर 23, 2021 को शुरू किया गया था। इस मिशन को स्पेस-एक्स के “फ़ेल्कन-9″ रॉकेट ले जरिये पूरा गया था, जिसे कैलिफोर्निया से अन्तरिक्ष कि और छोड़ा गया था।
इस मिशन से जुड़ी एक खास बात ये भी है कि, इसको सफल बनाने के लिए दुनिया भर से वैज्ञानिक जुटे थे। तो, आप समझ सकते हैं कि, इस मिशन की वैल्यू पूरे विश्व के लिए कितना ज्यादा महत्वपूर्ण है। चूंकि अन्तरिक्ष से आने वाला खतरा किसी निर्धारित देश के ऊपर नहीं आएगा, इसलिए हमें मिलजुल कर ही इनका सामना करना चाहिए।
आखिर ये मिशन इतना जरूरी क्यों है?
आम तौर पर देखें तो, पृथ्वी को किसी भी उल्कापिंड (NASA’S DART Mission In Hindi) से इतना खतरा नहीं हैं, जितना कि हम सोच रहें हैं। बेहरहाल इसका ये मतलब भी नहीं हैं कि, पृथ्वी को 100% उल्कापिंड से कोई खतरा हैं ही नहीं! इसलिए वैज्ञानिक चाहते हैं कि, अगर आने वाले समय में कोई उल्कापिंड हमारी ओर आता है, तब हम पहले से ही तैयार हो कर रहें। क्योंकि भविष्य और अन्तरिक्ष अनिश्चितताओं से भरे हुए हैं। इसके अलावा हमें ये भी नहीं भूलना चाहिए कि, कुछ लाख साल पहले एक उल्कापिंड ने ही डायनासोर को विलुप्त कर दिया था।
नासा के वैज्ञानिक बताते हैं कि, उल्कापिंड के जरिये पृथ्वी से जीवन का नाश होना काफी दुर्लभ है। परंतु ये सच में हो भी सकता है। नासा लगातार 500 फीट से ज्यादा चौड़े उल्कापिंडों को अन्तरिक्ष में ट्रैक करता रहता है, जिनमें से लगभग 40% ऐसे उल्कापिंड हैं, जो कि पृथ्वी के लिए काफी ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं। इसके अलावा नासा एक ऐसे टेलिस्कोप को भी विकसित कर रहा है, जिससे हम बड़े ही सटीकता के साथ पृथ्वी के पास मौजूद खतरनाक उल्कापिंडों को देख सकें। वैसे कहा जा रहा हैं कि, इस टेलिस्कोप को साल 2026 तक लाँच कर दिया जाएगा।
वर्तमान कि बात करें तो, हर एक हफ्ते कई उल्कापिंडों को पृथ्वी के पास ट्रैक किया जाता है। अभी तक वैज्ञानिकों ने लगभग 19,000 से ज्यादा उल्कापिंडों को पृथ्वी के पास ट्रैक कर लिया है। मित्रों! बता दूँ कि, इन्हीं 19,000 उल्कापिंडों से कोई भी एक उल्कापिंड भी पृथ्वी के लिए खतरा हो सकती है।
निष्कर्ष – Conclusion :-
मित्रों! इस मिशन (NASA’S DART Mission In Hindi) के दौरान नासा का डार्ट प्रोब उल्कापिंड से लगभग 6.6 km/s के रफ्तार से टकराया था। ये रफ्तार कोई मामूली रफ्तार नहीं है, इतने रफ्तार से टक्कर होने के कारण ही उल्कापिंड के ओर्बिटल पाथ में बदलाव लाया जा सकता था। हालांकि! ये डार्ट प्रोब आकार (1.2 x 1.3 x 1.3 मीटर) में काफी छोटा है, ये हमारे घरों में इस्तेमाल होने वाले फ्रिज जितना ही बड़ा है। परंतु ये अपने आकार से लगभग हजारों गुना बड़े उल्कापिंड के ओर्बिटल पाथ को भी बदलने में सक्षम रहा है।
वैसे इस मिशन के बारे में और भी ज्यादा जानकारी जुटाने के लिए वैज्ञानिक 2024 में और एक मिशन को अंजाम देने जा रहे हैं। वैसे इस मिशन का नाम “Hera” रखा जाने वाला है। हेरा एक स्पेसक्राफ्ट होगा जो कि, उल्कापिंड के पास 2026 तक पहुँच कर डार्ट के द्वारा किए गए इंपेक्ट का अंदाजा लगाएगा। वैसे बता दूँ कि, डार्ट और हेरा दोनों ही मिशन काफी अलग-अलग हैं और इन दोनों का कनैक्शन उतना नहीं है, जितना कि हम अब सोच रहें हैं।
परंतु फिर भी कहीं न कहीं ये दोनों ही मिशन हमें अन्तरिक्ष में होने वाले कई बदलावों और डिफेंस तकनीकों को अच्छे से दुनिया के सामने ले कर आएंगे।
Source – www.space.com