हिन्दू धर्म के शास्त्र पुराणों के अनुसार भगवान शिव (महादेव) ने 19 अवतार लिये हैं, जिनमें से 18 अवतारों की पूजा की जाती है पर उनका एक अवतार ऐसा भी है जिसकी कोई भी पूजा नहीं करता है, वह अवतार भगवान कृष्ण द्वारा शापित भी है।
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जानें कौन थे वो-
कौरव-पांडव के गुरु रहे द्रोणाचार्य के पुत्र, अश्वत्थामा को ही भगवान का शिव का 19वां अवतार माना जाता है. द्रोणाचार्य द्वारा शिव के कठोर तप के पश्चात उन्हें अश्वत्थामा के रूप में संतान की प्राप्ति हुई थी.
अश्वत्थामा की महाभारत के युद्ध में बड़ी भूमिका थी
कहा जाता है कि अश्वत्थामा एक महान, ताकतवर और अत्यधिक क्रोधी योद्धा था. जिन्होंने कौरवों की ओर से इस युद्ध में भाग लिया था. महाभारत के युद्ध की समाप्ति के बाद अश्वत्थामा ने पांडवों के पांच पुत्रों का नींद की अवस्था में वध कर दिया था. पुत्रों की मृत्यु से हताश पांडव और भगवान कृष्ण, अश्वत्थामा के पास पहुंचे. अर्जुन ने क्रोधावेग में आकर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करने की ठानी.
ब्रम्हास्त्र का अनीति पूर्वक प्रयोग :
अर्जुन के अलावा अश्वत्थामा ही एकमात्र ऐसा योद्धा था जो ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करना जानता था. अर्जुन ब्रम्हास्त्र के बार को खाली करना जानते थे इसलिए अश्वत्थामा ने अर्जुन पुत्र अभिमन्यु की गर्भवती पत्नी उत्तरा पर वो चला दिया जो कि न्यायसंगत नहीं था. ब्रम्हास्त्र के वार से अर्जुन की पत्नी की मृत्यु हो गयी.
तब श्री कृष्ण ने दिया था श्राप :
इस अपराध के श्राप में भगवान कृष्ण ने अश्वत्थामा को श्राप दिया था कि सृष्टि के अंत तक इस धरती पर अकेला भटकता रहेगा. इस करणवश अश्वत्थामा को भगवन शिव का अवतार होने के बाद भी ना तो सम्मान मिला और ना ही उनकी पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि आज भी अश्वत्थामा पृथ्वी पर भटक रहा है।
– रहस्यमयी असीरगढ़ किला यहां हर अमावस की रात आते हैं अश्वत्थामा