ज़िंदगी में मनचाहा पाना सुख तो खोना दु:ख की वजह बनता है। जहां पाने के लिए कोशिशों की अहमियत है। वहीं खामियां या थोड़ी सी चूक बहुत कुछ खोने या दु:ख की वजह बन जाती है। किंतु अक्सर साधारण इंसान परेशानियों में खुद की कमी ढूंढने के बजाय दूसरों को दोषी ठहराकर विचार व व्यवहार करता है।हिन्दू धर्म शास्त्रों में इंसान के सोच और बर्ताव को सही और संतुलित करने के लिए अनेक सूत्र उजागर हैं, जिनसे हर व्यक्ति अपने दु:ख के कारण जानकर सुखी ज़िंदगी गुज़ार सकता है।
हिन्दू धर्म शास्त्र महाभारत में स्वभाव से जुड़ी कुछ ऐसी ही 6 बातें बताई गई हैं, जिनकी वजह से कोई व्यक्ति खुशियों के मौके पर भी हमेशा ही दु:खी रहता है, जो उसकी सेहत व उम्र पर बुरा असर डालती हैं। इन स्वाभाविक दोषों को दूर कर हर व्यक्ति व्यावहारिक जीवन में बेहतर बदलाव ला सकता है।
महाभारत में लिखा है –
ईर्ष्या घृणो न संतुष्ट: क्रोधनो नित्यशङ्कित:।
परभाग्योपजीवी च षडेते नित्यदु:खिता:।।
सरल शब्दों में मतलब है कि स्वभाव में 6 दोष होने पर कोई भी व्यक्ति गम और परेशानियों से घिरे होते हैं। ये 6 बातें जान सावधान रहकर अपने स्वभाव व सोच पर गौर करें-
(1)क्रोधी यानी गुस्सैल व्यक्ति
(2)हमेशा शंका करने वाला
(3)दूसरे के भाग्य पर जीवन जीने वाला यानी दूसरों पर पर आश्रित या सुखों पर जीवन बिताना
(4)ईर्ष्या यानी जलन रखने वाला
(5)घृणा यानी नफरत करने वाला
(6)असंतोषी यानी हर बात में कमी ढूंढने वाला या संतोष न करने वाला