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ISRO ने सफलतापूर्वक लांच किया विश्व का सबसे हल्का उपग्रह।

ISRO launched world's lightest satellite.

ISRO launched world’s lightest satellite – भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(ISRO) भारत की अंतरिक्ष एजेंसी है जिसका मुख्यालय बेंगलुरु में है। इसरो लगातार उपग्रहों के सफल परीक्षण करता आ रहा है। चाहे बात करें पहले उपग्रह आर्यभट्ट की या बात हो रोहिणी की इसरो ने लगातार अच्छे और सफल परीक्षण ही किए हैं। हाल ही में इसरो ने एक सबसे हल्के उपग्रह का सफल परीक्षण किया है। आइये जानते हैं क्या है वो सफल परीक्षण:

Kalamsat-V2

इसरो ने kalamsat-V2 का सफल परीक्षण कर लिया है। माना ये भी जाता है कि Kalamsat-V2 विश्व का अब तक का सबसे हल्का उपग्रह है। जिसका वज़न मात्र 1.26 किलोग्राम है।

गुरुवार 24 जनवरी की रात को इसरो ने इस सबसे हल्के उपग्रह का सफल परीक्षण किया है। इसरो का कहना है कि यह उपग्रह भारतीय विद्यार्थियों ने बनाया है। इस उपग्रह का डिज़ाइन और निर्माण उन विद्यार्थियों ने किया है जो एक प्राइवेट संस्था “स्पेस किड्ज इंडिया” में काम करते हैं। जो चेन्नई में स्थित है। इसरो ने तो ये भी कहा है की इस उपग्रह को लांच करने के लिए इसरो ने कोई भी पैसा चार्ज नही किया है।

इस उपग्रह को बनाने में 12 लाख का खर्च आया है और इसे मात्र 6 दिनों में ही बना कर लोगों ने इसरो के साथ-साथ पूरी दुनिया को ही हैरानी में डाल दिया है।

Credit: www.dnaindia.com

इसरो ने बताया कि Kalamsat-V2 को गुरुवार की रात सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्री हरिकोटा से लांच किया था। इसी के साथ ही यह पहला उपग्रह बन गया है जिसे किसी प्राइवेट संस्था ने बनाया है और इसरो ने लांच किया है।

इससे पहले Kalamsat-V2 जैसा और हल्का एक उपग्रह जिसका नाम गुलाब-जामुन था नासा और इसरो दोनों ने मिलकर लांच किया था और उसका वजन 64 ग्राम था। पर यह ऑर्बिट पर नही पहुँचा।

Microsat-R

इस उपग्रह को ले जाने वाले PSLV के साथ एक और उपग्रह जिसका वज़न 740 किलोग्राम था जिसे Microsat-R कहते हैं पृथ्वी की शानदार तस्वीरें खीचनें के लिए भेजा गया है। 44.4 मीटर लंबे PSLV जिसका वज़न 260 टन है दोनों उपग्रहों को ऑर्बिट तक ले जाएगा।

इसरो रॉकेट के अंतिम चरण को एक प्रयोगात्मक मंच में परिवर्तित कर देगा, जो वास्तव में अंत में अंतरिक्ष मलबे में बदल जाता है। यह अंतरिक्ष में कचरे से धन बनाने का एक नया तरीका है क्योंकि मलबा अंतरिक्ष में रहकर भी काम करता है और रिसर्च में प्रयोग किया जा सकता है।

Credit: www.google.com

पिछले साल 29 नवंबर को अपने आखिरी मिशन में, इसरो ने PSLV C43 को भारत के पृथ्वी-अवलोकन उपग्रह HysIS को ऑर्बिट पर सफलतापूर्वक रखा था।

इसरो की लगातार कामयाबी से भारत भी अंतरिक्ष में अपनी नई पहचान बना रहा है। इसरो ने मंगल ग्रह पर भी अपनी निशानियां बनाई है जिससे भारत का लोहा सभी देशों ने माना है।

– इसरो का ये मिशन बदल देगा अंतरिक्ष की दुनिया में भारत का सफ़र – Gaganyaan Mission Hindi

Abhinay Kanojia

अभिनय प्रसाद विज्ञानम् के लेखक हैं, इन्हें विज्ञान, इंटरनेट और Technology पर लिखना बहुत पसंद है।

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