आज के इस युग में बिना टेकनोलजी के हमारा काम करपाना बहुत मुश्किल है, ऐसे में हम कई तरह की सेवाओं का लाभ लेते हैं। आपके बारे में चीनी कंपनियो से लेकर, अमेरिका की दिग्गड कंपनिया सभी आपके दोस्तों से ज्यादा आपको जानती और समझती भी हैं। आप कोई भी मोबाइल एप डाउनलोड करें या किसी भी वेबसाइट पर जाएं, उसका काम कोई भी हो, लेकिन उन्हें आपकी सारी जानकारी चाहिए। आपका लोकेशन, आपके संपर्क, आपके फोटो, वीडियो और पता नहीं क्या क्या। आप अगर नहीं देंगे, तो एप आगे ही नहीं बढ़ेगा। करते रहिए डाउनलोड!
डेटा सिक्योरिटी नए दौर के लोकतांत्रिक सरकारों की सबसे बड़ी चिंता होनी चाहिए। अब बात करते हैं आपकी इंडिविजुआलिटी की, जिसका सबसे अहम पहलू है-निजता का अधिकार। किसी भी नियम, कानून, संविधान या रेगुलेशन का मकसद ये नहीं हो सकता कि वो आपकी निजता से समझौता करे, जब तक कि आपकी इंडिविजुआलिटी किसी और व्यक्ति या समुदाय के लिए खतरा नहीं है।
सर्वोच्च न्यायालय की 9 जजों की पीठ ने गुरुवार को सर्वसम्मत्ति से एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए निजता के अधिकार को हर भारतीय नागरिक का मौलिक अधिकार माना है। ये फैसला हम सब के लिए जश्न और खुशी की बात है।
जिस अंधी दौड़ में हम भागे जा रहे हैं, सूचना प्रौद्योगिकी के विकास के साथ साथ टेक्नोलॉजी का हमारे रोजमर्रा की जिंदगी में भी जिस तरह हस्तक्षेप बढ़ता जा रहा है, इसके कई फायदों के साथ साथ, एक समाज के रूप में हमें, ठहर के सोचने की भी आवश्यक्ता है।
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने उसी अंधी दौड़ पर अल्प-विराम लगाया है। मुझे दौड़ से ऐसी कोई वैचारिक आपत्ति है नहीं। बस दौड़ की दिशा सही होनी चाहिए। सोचिये, समझिए और सही दिशा का स्वरूप कैसा होगा यह तय करिये। फिर लग जाइये उस दौड़ में।
(लेखक स्वराज इंडिया के प्रवक्ता हैं। उन्होंने यह लेख सर्वोच्च न्यायालय के निजात के अधिकार के ऐतिहासिक फैसले के संदर्भ में लिखा है)
Source – IANS