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क्या है हिमालय के चमत्कारिक महात्मा का रहस्य, जिन्होंने कर रखा है वैज्ञानिकों को हैरान

हिमालय को भारत का मुकुट कहा जाता है, इस मुकुट ने हमारे भारत के शीष की रक्षा का प्रण ले रखा है। दोस्तों, हिमालय है तो ही भारत है, हिमालय से ही भारत में बहुत से मौसम और प्राकृतिक संतुलन बने रहते हैं।

हिमालय अपने विशाल पहाड़ों और पर्वतों से तो जाना जाता ही है पर इसकी वन संपदा भी कई रहस्यों को समेटे हुए है। हिमालय में वन संपदा और हजारों औषधि पाई जाती हैं।

अध्यात्म की दृष्टि से भी हिमालय बहुत पवित्र स्थान माना जाता है। हिमालय के बारे में कहा जाता है कि इस पर तपस्या करने से साक्षात परमपिता परमात्मा की ही प्राप्ति होती है।

इसी कारण से हिमालय में बहुत से महात्मा कई सालों से निंरतर तपस्या करते हैं, कुछ महात्माओं का तो रहस्य इतना गहरा है कि विज्ञान उसे देखते ही धराशायी हो जाये।जो सत्य है वह सनातन है और जो सनातन है वही सत्य है बाकी सब असत्य है !

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ऊधमपुर (जम्मू) से लगभग सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक स्थान है जिसे शिवखेरी के नाम से जाना जाता है।

यहां पर भगवान शिव का एक बहुत पुराना स्थान है. यह बहुत ही दुर्गम स्थान पर है. इसमें जाना सबके बस की बात नहीं है, फिर भी यहां पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा होती है. जम्मू से सीधे यहां के लिए बस सेवा है. चाहे जो भी हो, यह एक अति मनोरम स्थान है।

शिवखेरी से लगभग सात किलोमीटर पहले मुख्य रास्ते से पश्चिमोत्तर दिशा में एक स्थान है देवजल. बिल्कुल संकरी चतुर्दिक सघन पहाड़ियों से घिरा चीड़ एवं देवदार के घने वृक्षों से ढका यह स्थान बड़ा ही डरावना दीखता है. वैसे भी यहां पर घूमने जाना वर्जित है, क्योकि यहां बड़े बड़े बाघ एवं भालू जैसे हिंसक जीव पाए जाते हैं. इन पहाड़ियों के बीच में एक बिल्कुल खाली एवं साफ सुथरा लगभग पचासों एकड़ में फैला स्थान है।

बिल्कुल सपाट एवं समतल स्थान है, यहां तक पहुंचने के लिए एक अति संकरी पगडंडी जो पहाड़ियों के बीच से होकर पेड़ो एवं घनी झाड़ियों से गुजराती है, उसी से आना होता है. प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की दशमी एवं कृष्ण पक्ष की अष्टमी को एक महात्मा जी यहां आते हैं. कभी कभी नहीं भी आते हैं.

मैंने कई बार कोशिश की, लोगों के साथ जाता था लेकिन निराश होकर लौटना पड़ता था. किन्तु एक बार दर्शन हो ही गए. नाम मात्र के वस्त्र शरीर पर, रंग बिल्कुल काला, आंखे बड़ी-बड़ी बहुत ही चमकदार एवं तीव्र वेधन क्षमता वाली रोशनी से भरी हुई, बड़ी बड़ी दाढी मूंछें, लगभग सात फिट से भी ज्यादा लम्बाई, पूरे शरीर पर कोई बहुत ही खुशबूदार भस्म लपेटे हुए, बहुत ही भद्दी-मोटी शरीर की चमड़ी किन्तु चेहरे पर साहस, सफलता और खुशी का ओज।

साभार – politicalreport.in

Pallavi Sharma

पल्लवी शर्मा एक छोटी लेखक हैं जो अंतरिक्ष विज्ञान, सनातन संस्कृति, धर्म, भारत और भी हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतीं हैं। इन्हें अंतरिक्ष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।

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