मित्रों! साधारण और असाधारण के बीच क्या कोई भिन्नता होती हैं? क्या साधारण असाधारण से अलग है? आपको क्या लगता है? खैर हम इतना तो जरूर कह सकते हैं की, असाधारण चीज़ में जो दुर्लभता होती हैं वो किसी भी साधारण चीज़ में नहीं हो सकती है। इसलिए असाधारण चीजों को आप अपने जीवन में बहुत ही खास और विरल स्थितियों में ही देख सकते है। ठीक इसी तरह ही अंतरिक्ष में ऐसी कई तरह की असाधारण घटनाएँ हमेशा घटित हो रहीं है, जिनमें एक घटना हैलि का धूमकेतु (Halley’s comet in hindi) भी है। मजे की बात ये हे कि, इस घटना को देखने के लिए आपको कहीं जाना भी नहीं पड़ेगा, क्योंकि ये घटना पृथ्वी पर ही घटित होती है।
अब इस दुर्लभ घटना के बारे में कई लोग बिलकुल ही अनजान होंगे! क्योंकि हैलि के धूमकेतु (Halley’s comet in hindi) के बारे में ज्यादा कोई बात ही नहीं करता है। जहां देखो बस ब्लैक होल की चर्चाएँ है। परंतु मित्रों! इस धूमकेतु के बारे में भी जानना उतना ही जरूरी है जितना की किसी अन्य खगोलीय चीज़ के बारे में जानना। वैसे हैलि के धूमकेतु को देखना सब के बस की बात नहीं है। क्योंकि ये कई सालों के बाद ही (Halley’s comet returns) पृथ्वी के पास लौटता है।
तो चलिये आगे इस लेख में देखते हैं की, आखिरी बार इसे कब देखा गया था? (last Halley’s comet) और आगे इसे कब देखने का मौका मिलेगा? (Halley’s comet next time).
हैलि के धूमकेतु के बारे में कुछ जरूरी बातें! – Halley’s Comet In Hindi :-
“मित्रों! हैलि का धूमकेतु (Halley’s comet in hindi) एक तरह का आवर्ती धूमकेतु है (Periodic Comet), जो की हर 75 सालों में एक बार पृथ्वी के पास आता है”। इसलिए इसे पृथ्वी की सबसे लोकप्रिय धूमकेतु भी कहा जाता है। इसे साल 1531 में ब्रिटिश वैज्ञानिक “Edmond Halley” के द्वारा खोजा गया था। उन्होंने इस धूमकेतु को साल 1531, साल 1607 और साल 1682 में तीन बार निरीक्षण किया और पाया की ये एक बहुत ही दुर्लभ धूमकेतु है जिसे की एक निर्धारित समय के अंतराल में ही पृथ्वी से देखा जा सकता है (खुली आँखों से)।
2014 से लेकर 2016 के अंदर यूरोपीय अंतरिक्ष संस्थान के द्वारा “Rosetta Probe” के माध्यम से इस कॉमेट के कई सारे तस्वीर इकट्ठे किए गए। इन तस्वीरों से ये पता चला की, कॉमेट के ऊपर भी पानी मौजूद है परंतु ये पानी पृथ्वी के ऊपर मौजूद पानी से काफी अलग है। बता दूँ की, हैलि के इस धूमकेतु का अर्धव्यास (Radius) लगभग 5.5 km है और इसकी लंबाई लगभग 15 km तक है। आज भी ये अंतरिक्ष में प्रति सेकंड 0.91 km के रफ्तार से गति कर रहा है। हालांकि! कई बार इसकी तीव्रता 54.55 km/second तक भी पहुँच जाता है।
कई पुराने किताबों से हमें ये पता लगा हैं की, हैलि के धूमकेतु का उल्लेख कई प्राचीन किताबों में है। कई इतिहासकारों का ये भी कहना हैं की, इंसानों ने इस धूमकेतु को 239 ईसा पूर्व से ही देखना आरंभ कर दिया था। 164 और 87 ईसा पूर्व में इसे दो बार फिर से देखा गया था। हालांकि! उस समय के लोग धूमकेतु के देखे गए इन घटनाओं को अलग-अलग ही मानते आ रहे थे।
आखिरी बार इसे कब देखा गया था और आगे इसे देखने का मौका हमें कब मिलेगा? :-
मैंने ऊपर ही हैलि के धूमकेतु (Halley’s comet in hindi) के बारे में काफी कुछ कहा है। परंतु अभी भी लोगों के मन में कई तरह के सवाल आ रहें होंगे। तो चलिये एक बात उन्हीं सवालों के बारे में भी चर्चा कर लेते है।
वैसे मैंने पहले से ही कह रखा हैं की, हैलि के धूमकेतू को प्राचीन काल में कई बार देखा गया हैं। परंतु लोगों के मन में ये सवाल जरूर होगा की; इसे हाल ही में आखिरी बार कब पृथ्वी के पास देखा गया है (last Halley’s comet date)? तो, मित्रों बता दूँ की इस सवाल का जवाब है साल 1986 का मार्च का महीना। जी हाँ! मित्रों इस धूमकेतु को पृथ्वी के पास आखिरी बार मार्च 8 साल 1986 (halley’s comet 1986) में देखा गया था।
लोगों के मन में इस धूमकेतु को लेकर दूसरा सबसे बड़ा सवाल ये जरूर होगा की, इसे आगे कब देखा जा सकता है? (next Halley’s comet)। तो मित्रों बता दूँ की, अगर सब कुछ सही रहा तो हम इस धूमकेतु को दुबारा साल 2061 में देख सकते है। मित्रों! जब हैलि का धूमकेतु पहली बार 1986 में पृथ्वी के पास आया था, तब हमने उसको और करीब से देखने के लिये अंतरिक्ष में कई स्पेसक्राफ्ट भी भेजा था।
उस समय धूमकेतु और पृथ्वी के बीच की दूरी 6 करोड़ 21 लाख km था। वैसे और एक खास बात ये भी हैं की, उस समय हैलि का धूमकेतु सूर्य के पास से हो कर गुजरा था; जिससे उसे इतने भी अच्छे तरीके से देखा न जा सका। वैसे नासा का प्रोब हैलि के धूमकेतु का सबसे करीबी फोटो खींचने में सक्षम रहा, जो की लगभग 2 करोड़ km की दूरी से लिया गया था।
क्या हैलि को हर 75 सालों में ही सिर्फ एक बार देखा जा सकता हैं? :-
देखिये हैलि के धूमकेतु (Halley’s comet in hindi) को लेकर ये जो प्रश्न हैं, ये थोड़ा पेचीदा अवश्य ही हैं! परंतु इसका भी उत्तर आपको मिल सकता है। मित्रों! यूं तो ये बात पूरे तरीके से सच हैं की, हैलि के धुमकेतू को हर 75 सालों में ही देखा जा सकता है। परंतु इस धूमकेतु के द्वार छोड़े गए अवशेषों को आप हर साल अंतरिक्ष से गिरते हुए देख सकते है।
कहने का तात्पर्य ये हैं की, हर साल अक्टूबर के महीने में “Orinoid Meteor Shower” होता है। उल्कापिंडों की इस बारिश में आकाश से जो उल्कापिंड गिरते हैं वो हैलि के धूमकेतु के द्वारा छोड़े गए अवशेष ही है। इसके बाद अगर आप मई के महीने भी ऐसे ही उल्कापिंडों की बारिश (हैलि के धुमकेतू के अवशेषों से बना हुआ) को देखना चाहते हैं तो आपको “Eta Aquarids” का इंतजार करना चाहिए।
तो, मित्रों! आप एक तरह से कह सकते हैं की; हर 75 सालों में न सही परंतु साल में दो बार आप हैलि के धूमकेतु के अंशों को पृथ्वी पर अद्भुत तरीके से गिरते हुए जरूर ही देख सकते है।
अगली बार हमें हैलि का धूमकेतु कैसे दिख सकता हैं? :-
वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया हैं की, साल 2061 में हैलि का धूमकेतु देखे जाने वाला है। परंतु उस समय ये पृथ्वी से कैसे दिखेगा, इसके बारे में अभी से ही काफी चर्चाएँ होने लगी हैं। तथ्यों के अनुसार 2061 में हैलि का धूमकेतु (halley’s comet in hindi) सूर्य के पास ही देखने को मिलेगा। हालांकि! कुछ वैज्ञानिक ये भी कहते हैं की, पहले से ही 100 साल से ज्यादा इस धुमकेतू के कक्षा के बारे में अनुमान कर पाना संभव नहीं है। क्योंकि इसी बीच वो अंतरिक्ष में किसी भी चीज़ से टकरा सकता है। वैसे इस बात को कई वैज्ञानिक नकारते भी है।
कुछ वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया हैं की, साल 2061 में हैलि धूमकेतु पृथ्वी के आकाश में काफी ज्यादा चमक सकता है। परंतु! दूसरे वैज्ञानिकों के अनुसार उस समय हमारे आकाश में इससे भी ज्यादा चमकीले सितारे मौजूद हो सकते है। वैसे मित्रों! व्यक्तिगत रूप से बताऊँ तो, मुझे तो पूर्ण विश्वास है की आज से लगभग 41 सालों बाद ये धूमकेतु अवश्य ही वापस पृथ्वी के पास से ही आयेगा। इन घटनाओं को आप जीवन में बस एक बार ही देखने का सौभाग्य प्राप्त करते है! इसलिए आशा हैं की, हम सभी को इस धूमकेतु को देखने का मौका अवश्य ही मिलना चाहिए।
वैसे आपको इसके बारे में क्या लगता हैं? क्या ये धूमकेतु सच में लौटेगा! जरूर ही बताइएगा। मित्रों, भविष्य में होने को कुछ भी हो सकता हैं और इसकी जानकारी शायद किसी इंसान के सोच से भी परे हो।
Sources :- www.space.com, www.nasa.gov